शनिवार, अक्टूबर 22, 2011

डर्टी स्त्री का सिगरेट के सुट्टे से निकलता पुरुषवादी गुणधर्म . by Ml Gurja

डर्टी स्त्री का सिगरेट के सुट्टे से निकलता पुरुषवादी गुणधर्म .

by Ml Gurja


आदरणीय हरि शंकर जी परसाई का मुझे एक उद्धरण याद आता है ..उन्होंने कहा था ..कि..'''पुरुष स्त्री कि आँखों पर पट्टी बांध कर उसे

अपने कन्धों पर उठा कर एक नामालूम जगह ले जाता है ..फिर उसे नीचे उतार कर पट्टी खोलता है ..और कहता है ..देखो तुम कितनी आगे बढ़ गई हो .'''

उक्त उद्धरण आज के समय में ज्यादा प्रासंगिक हो गया है ..क्योंकि स्त्री आगे बढ़ चुकी है ..अभी मेने विद्या बालन की आने वाली फिल्म डर्टी के बड़े ही डर्टी फोटो देखे .इन फोटो में वो किसी में तो मर्दों की तरह सिगरेट का सुट्टा लगा कर अपनी नासिका से धुंए की दुनाली छोडती हुई दिखाई दे रही है .तो किसी फोटो में उसने इतने लो कट गले का ब्लाउज पहन रखा है .कि..वो एन सीमावर्ती इलाके यानी डेंजर जोन पर ही जा कर खत्म हो रहा है ..इस देश के युवा के बचे हुए चरित्र का बेंड बजाने के लिए ..ये काफी है .

आजकल इस कथित महिला शशक्तिकरण जो पुरुषों द्वारा प्रयोजित है ,,क्योंकि डर्टी फिल्म का निर्माता भी एक पुरुष है ..और देर रात को एक चेनल पर चलने वाला बिग बोस धारावाहिक भी पुरुष द्वारा ही बनाया गया है ..

डर्टी होना आजकल लड़कियां पसंद कर रही है ..डर्टी दिखना कथित अगडापन है .आजकल इसी कारण धारावाहिकों में और फिल्मो में ''वुमन डोमिनेशन'' को ज्यादा चित्रित किया जाता है .क्योंकि ये अंदाज़ धन की आमद के रास्ते खोलता है ..अधिक धन अगडेपन की धारणा को पुष्ट करता है ..बिग बोस में एक दो पुरुष है ,,बाकी सभी महिलायें है .महिलायें पुरे समय षड्यंत्रों में लिप्त रहती है ..और पुरुषों की दशा ये हो गई है ..की वे तय नहीं कर पा रहे हैं की किसके साथ एंगेज हों .आजकल कहतें विदेशों में तो महिला क्लब खुल गए हैं जहां पुरुष नृत्य करते हैं और धनी और सफल महिलायें अपने एकाकीपन को दूर करने और अपने धन का जलवा बिखेरने वहां आती है ..उनके गुण धर्म पुरुषों की तरह हो गए हैं ,,वे भी सिगरेट के सुट्टे लगाती है और नाक से मर्दों की तरही ही धुएं की दुनाली छोडती है ..वे शराब भी पीती है और डांस करते हुए मर्दों के शरीर का जायजा ठीक उसी तरह लेती है जेसे मर्द नृत्य करती हुई किसी स्त्री का करते हैं ..यानि इस स्थान पर केवल पुरुष की जगह महिला है ..अन्यथा अंदाज़ वही है ..मर्दाना ..वे मर्दों को अपना जी बहलाने के लिए इस्तेमाल भी करती है .

ये स्थापित हो रहा है कि..सफलता और अधिक धन का गुणधर्म पुरुषवादी है ..अगर ये दोनों महिला के पास हो तो वो भी वेसा ही बर्ताव करेगी जेसे एक पुरुष करता है ..अभी कुछ समय पहले एक महिला सी ई ओ के बारे में समाचारों में आया कि वो ..अपने अधीनस्थ कर्मचारी पुरुषों का शोषण करती थी .

अब क़ानूनी तौर पर भी ..ये हो रहा है कि स्त्री पुरुष बिना विवाह किये साथ रह सकते हैं ..साथ रहने में कोई परेशानी नहीं ..पर इसके लाभ कम और नुकसान ज्यादा है ..ये भी ध्यान रहे ..

ये डर्टी वातावरण शास्वत नहीं है ..ये उसी वर्ग की महिलाओं में आया है जो सक्षम या अधिकार सम्पन्न है ..अन्यथा स्त्री का तो आज भी शोषण जारी है ..मेने और आपने भी देखा होगा की ..लकदक करती चमकीली लम्बी कार से कोई धनी महिला बाज़ार में आती है तो शोरुम के वाचमेन से लेकर उसके मालिक तक का स्टाफ .. उस नैनाभिराम और अंति सुंदर महिला को ऐसे देखते हैं जेसे कोई कई दिन के भूखे के सामने अचानक छप्पन भोग से सजी थाली आ गई हो .परन्तु उस महिला के अधिकार सम्पन्न और धनी होने के कारण वे ..उसके सामने कुत्ते की तरह दूम हिलाते नज़र आते है और उसकी सेवा में उसके जर खरीद गुलामो की तरह लग जाते हैं ..वे जब उस महिला से बात करते हैं तो ऐसा लगता है .जेसे हर शब्द को कहने से पहले वे जबान पर मिश्री रख देते हैं ..

ये स्त्री को प्रमोट करने की कथित तिकड़म है क्योंकि इसके पीछे आर्थिक हित है ..महिला को सुंदर बनाना और उसे सार्वजानिक तौर पर प्रस्तुत करना ..कई लाख करोड़ का विश्व्यापी व्यवसाय बन चुका है .और ये पुरुषों द्वारा ही नियंत्रित और संचालित है .अब डर्टी कहने वाले कहते रहें ,,क्या फर्क पड़ता है ..लगाओ सुट्टा ..छोड़ो धुंए की दुनाली ..

डर्टी स्त्री धुएं की दुनाली अपनी नाक से छोड़ रही है ..और पुरुष चांदी काट रहा है ,,,और स्त्री करीना कपूर के रूप में छमक छल्लो बनी हुई पुरुष की बीन पर मदहोश हो कर नाच रही है ,,की उसे अपने वस्त्रों की भी थाह नहीं ..वो पूनम पाण्डेय के रूप में बाथरूम के पानी में आग लगा रही ..तो पठाखा बन पुरुषों को अपने बेपनाह हुस्न के विस्फोट से उड़ा रही है ..

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