गुरुवार, अक्तूबर 31, 2013

इस्लाम खतरे में है! इम्तियाज़ के कुबुलनामे में. पटना बम धमाके |

इस्लाम खतरे में है! इम्तियाज़ जब भी कोई सवाल पूछता तब मेमन और हैदर ये बात कह कर उसे चुप करा देते. ये कहना है इम्तियाज़ के कुबुलनामे में. पटना बम धमाके में पकड़ा गया एक आतंकी है इम्तियाज़. साथ ही तारीक़ वो आतंकवादी है जो गंभीर रूप से घायल है.

इम्तियाज़ और तारीक़ दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं. इम्तियाज़ के पिता कमालुद्दीन हैं, तो तारीक़ के अताउल्लाह. दोनों ही रांची के धुर्वा थाना स्थित सीटीओ बस्ती में रहते हैं. इम्तियाज़ कम पढ़ा-लिखा है और ज़्यादा वक्त धार्मिक तहरीर और जलसे में बिताता है.

इम्तियाज़ ने बताया कि धार्मिक जगहों पर उसकी मुलाकात मेमन जो हिंदपिड़ी मुहल्ला, रांची में रहता है और एक और शख्स हैदर, जो रांची का ही रहने वाला है, से हुई. इन दोनों ने इम्तियाज़ का ब्रेनवाश किया और उसे आतंकवाद की तरफ मुड़ने को विवश कर दिया.

इम्तियाज़ के मुताबिक उसे कभी ओसामा बिन लादेन की जीवनी पढ़ाते तो कभी मुज़फ्फरनगर दंगो का वीडियो फूटेज दिखाकर उत्तेजित करते. इम्तियाज़ ने माना कि मेमन और हैदर ने रांची में ऐसे कई लोगों को तैयार कर रखा है जिन्हें इस्लाम और ज़ेहाद के नाम पर गुमराह कर रहें हैं.

इन्हें कई दिनों से आतंकवादी हमले को अंज़ाम देने के लिए प्रेरित कर रहे थे कि एक मौका आ गया पटना के गांधी मैदान में धमाका करने का.

काफी तैयारी की गई थी. कई लोग गांधी मैदान का रेकी कर चुके थे. उसने ये भी बताया कि 25 तारीख को सीपीआई के रैली के दिन कुछ लड़के यहां के होटल में रुके थे और मॉक ड्रिल भी किया था. पर सबसे हैरानी की बात ये थी कि इम्तियाज़ और उसका भतीजा कभी पटना नहीं आया था.

वो रात, यानी 26 तारीख की शाम (मोदी के हुंकार रैली के ठीक एक दिन पहले) मेमन और हैदर ने इम्तियाज़ और तारीक़ दोनों को रांची के कांटाटोली के बस स्टैंड आने को कहा. ये दोनों घर से कह कर निकले थे कि दोस्त के घर जा रहें हैं और इंशाअल्लाह जल्द ही लौटेंगे.

ये घर से सीधा बस स्टैंड पहुंचें. वहां पर पहले से मेमन और हैदर मौजुद थे. इन दोनों ने 230 रू का टिकट कटाकर रांची से पटना जाने वाली एक बस में बैठा दिया. साथ ही तीन-तीन बम से भरे दो काले रंग के पीठ पर टांगने वाले बैग दिये.

जब इम्तियाज़ ने पूछा कि तुम दोनों हमारे साथ नहीं आ रहे तो मेमन ने कहा कि ज्यादा सवाल पूछना इस्लाम के खिलाफ है, साथ ही ज्यादा बात नहीं करने की झिड़की भी दी. फिर इम्तियाज़ अपने भतीजे तारीक के साथ उसी बस से पटना पहुंच गया.

पटना में सुबह साढ़े छह बजे उन दोनों ने ऑटो पकड़ा और सीधा रेलवे स्टेशन पहुंच गए. इम्तियाज़ ने यह भी बताया कि रांची से तीन टीमें चली थीं और वो भी अलग-अलग बस से. एक टीम में वो खुद और उसका भतीजा था, जबकि दूसरी टीम में हैदर, लोमान और तौफीक़. हैदर औरंगाबाद, बिहार का रहने वाला है जबकि लोमान और तौफीक़ रांची के ही हैं. तीसरी टीम में मेमन और दो और लोग थे जिसे वो नहीं जानता था.

आठ लोग और अठारह बम्, निशाने पर स्टेशन और गांधी मैदान्. इम्तियाज़ ने बताया कि उन्हें राह खर्च के लिए पांच-पांच हजार रुपये मिले और मोबाइल ना रखने की हिदायत भी दी. साथ ही ये भी कहा कि धमाका करने के तुरन्त बाद वो पटना से 15 किलोमीटर दूर पुनपुन रेलवे स्टेशन चले जाएं और वहां से गया के लिए ट्रेन पकड़े, फिर गया से रांची वापस लौट जाए.

इन चाचा-भतीजा के ज़रिये पटना रेलवे स्टेशन के उत्तरी और दक्षिणी दोनों छोर पर तीन-तीन बम से धमाका करने की साजिश थी. और वो भी सुबह नौ बजे पन्द्रह मिनट के अंतराल पर्. पटना स्टेशन के प्लैटफॉर्म नम्बर 10 से लगा हुआ सुलभ शौचालय के अन्दर जाने के लिए 5 रुप्ये का टोकन भी इन दोनों ने कटाया.

अंदर जाकर बम को बैट्री से जोड़ना था और टाईम सेट करना था. पंद्रह मिनट इसलिए कि अगर बम दिख भी जाए तो उसे डिफ़्यूज़ नहीं किया जा सके. पर भतीजे तारीक़ ने बैट्री से बम को जोड़ा और वो ब्लास्ट कर गया. इम्तियाज़ घबरा गया. उसने सोचा कि अब वो घर वापस जाए या अपने एक मित्र अरशद के यहां मोतिहारी चला जाए. इसी बीच एक पुलिसवाले ने उसे देख लिया.

उसने देखा कि जिस बैग में घमाका हुआ है, ठीक वैसा ही बैग उसके पास है. इसी संदेह में पुलिस ने उसे पकड़ लिया. फ़िर पुछताछ में उसके पास से एक कागज़ बरामद हुआ जिसमें सात टेलीफ़ोन नंबर लिखे थे. इस फोन के आधार पर उसके घर पर छापेमारी हुई जहां कुकर और बम बनाने के सामान बरामद किए गए. उसकी निशान्देही पर मोतिहारी में अरशद भी पकड़ा गया.

उसने ये भी बताया कि उन सभी को पांच-पांच लाख रुपये दिये गए और बाकी काम हो जाने पर मिलने का भरोसा दिलाया गया था. मेमन ने कहा था कि अगले जुम्मे को किसी एक मस्ज़िद में मुलाकात होगी. बाकी टीम के सदस्य मोतिहारी में रुकते और वहां से नेपाल चले जाते.

लेकिन चाचा पकड़ा गया और वो भी ब्लास्ट के पंद्रह मिनट बाद ही. उसे स्टेशन का मैप दिया गया था जिसके सहारे उसे बम रखना था. इम्तियाज़ के पास से एक पर्स और एक अखबार भी मिला था. http://abpnews.newsbullet.in/blogtest/74-more/58449-2013-10-31-02-50-03

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