मंगलवार, अक्तूबर 08, 2013

एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे।

एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे। मैक्सिको में एक खुदाई के दौरान गणेश और लक्ष्मी की प्राचीन मूर्तियां पाई गईं। अफ्रीका में 6 हजार वर्ष पुराना एक शिव मंदिर पाया गया और चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जापान में हजारों वर्ष पूरानी विष्णु, राम और हनुमान की प्रतिमाएं मिलना इस बात के सबूत हैं कि हिंदू धर्म संपूर्ण धरती पर था।

'मैक्सिको' शब्द संस्कृत के 'मक्षिका' शब्द से आता है और मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है। जीसस क्राइस्ट्स से बहुत पहले वहां पर हिंदू धर्म प्रचलित था- कोलंबस तो बहुत बाद में आया। सच तो यह है कि अमेरिका, विशेषकर दक्षिण-अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप का हिस्सा था जिसमें अफ्रीका भी सम्मिलित था। भारत ठीक मध्य में था।

अफ्रीका नीचे था और अमेरिका ऊपर था। वे एक बहुत ही उथले सागर से विभक्त थे। तुम उसे पैदल चलकर पार कर सकते थे। पुराने भारतीय शास्त्रों में इसके उल्लेख हैं। वे कहते हैं कि लोग एशिया से अमेरिका पैदल ही चले जाते थे। यहां तक कि शादियां भी होती थीं। कृष्ण के प्रमुख शिष्य और महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन ने मैक्सिको की एक लड़की से शादी की थी। निश्चित ही वे मैक्सिको को मक्षिका कहते थे। लेकिन उसका वर्णन बिलकुल मैक्सिको जैसा ही है।

मैक्सिको में हिंदुओं के देवता गणेश की मूर्तियां हैं, दूसरी ओर इंग्लैंड में गणेश की मूर्ति का मिलना असंभव है। कहीं भी मिलना असंभव है, जब तक कि वह देश हिंदू धर्म के संपर्क में न आया हो, जैसे सुमात्रा, बाली और मैक्सिको में संभव है, लेकिन और कहीं नहीं, जब तक वहां हिंदू धर्म न रहा हो। मैं जो यह कुछ उल्लेख कर रहा हूं, अगर तुम इसके बारे में और अधिक जानकारी पाना चाहते हो तो तुम्हें भिक्षु चमन लाल की पुस्तक ‘हिंदू अमेरिका’ देखनी पड़ेगी, जो कि उनके जीवनभर का शोधकार्य है।

मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं
जिनसे यह सिद्ध होता है। जीसस क्राइस्ट्स से बहुत
पहले वहां पर हिंदू धर्म प्रचलित था- कोलंबस
तो बहुत बाद में आया। सच तो यह है कि अमेरिका,
विशेषकर दक्षिण-अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप
का हिस्सा था जिसमें अफ्रीका भी सम्मिलित था।
भारत ठीक मध्य में था।
अफ्रीका नीचे था और अमेरिका ऊपर था। वे एक बहुत
ही उथले सागर से विभक्त थे। तुम उसे पैदल चलकर
पार कर सकते थे। पुराने भारतीय शास्त्रों में इसके
उल्लेख हैं। वे कहते हैं कि लोग एशिया से
अमेरिका पैदल ही चले जाते थे। यहां तक
कि शादियां भी होती थीं। कृष्ण के प्रमुख शिष्य और
महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन ने
मैक्सिको की एक लड़की से शादी की थी। निश्चित
ही वे मैक्सिको को मक्षिका कहते थे। लेकिन
उसका वर्णन बिलकुल मैक्सिको जैसा ही है।
मैक्सिको में हिंदुओं के देवता गणेश की मूर्तियां हैं,
दूसरी ओर इंग्लैंड में गणेश
की मूर्ति का मिलना असंभव है।
कहीं भी मिलना असंभव है, जब तक कि वह देश हिंदू
धर्म के संपर्क में न आया हो, जैसे सुमात्रा,
बाली और मैक्सिको में संभव है, लेकिन और कहीं नहीं,
जब तक वहां हिंदू धर्म न रहा हो। मैं जो यह कुछ
उल्लेख कर रहा हूं, अगर तुम इसके बारे में और अधिक
जानकारी पाना चाहते हो तो तुम्हें भिक्षु चमन लाल
की पुस्तक ‘हिंदू अमेरिका’ देखनी पड़ेगी, जो कि उनके
जीवनभर का शोधकार्य है।
(स्वर्णिम बचपन : ओशो- प्रवचनमाला सत्र- 6-
नानी का प्रेम… भारत एक सनातन)।
©®-इसके अतिरिक्त श्री P.N OAK की पुस्तक "CHRISTIANITY IS A KRISHNA NEETI" भी अवश्य पढ़े....
हर हर महादेव

(स्वर्णिम बचपन : ओशो- प्रवचनमाला सत्र- 6-नानी का प्रेम… भारत एक सनातन)।

हिंदू और जैन धर्म : अब तक प्राप्त शोध के अनुसार हिंदू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है, लेकिन यह कहना कि जैन धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म के बाद हुई तो यह उचित नहीं होगा। ऋग्वेद में आदिदेव ऋषभदेव का उल्लेख मिलता है।

राजा जनक भी विदेही (दिगंबर) परंपरा से थे। वैदिक काल में पहले ऐसा था कि परिवार में एक व्यक्ति ब्राह्मण धर्म में दीक्षा लेता था तो दूसरा जैन। इक्ष्वाकू कुल के लोग हिंदू भी थे और जैन भी। इस देश में दो जड़ें एकसाथ विकसित हुईं।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आप हिंदू धर्म को सबसे पुराना मानते हैं और साथ में ये भी कहते हैं कि जैन धर्म कि उत्पति उसके बाद हुई यह उचित नहीं है|तो आपका कहने का मतलब ये निकालें कि सबसे पुराना धर्म हम जैन धर्म को भी मान सकते हैं? कृपया बताएं|

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  2. पूर्व में मैंने एक प्रश्न का जवाब माँगा था जो मुझे अभी तक नहीं मिला कि क्या जैन धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है?

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  3. lekh mul lekhak ka hain, kshatriya raja apne ek bete ko jain ki to dusre ko brahman kshatriya shiksha deta tha,

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  4. puana dharm prakrati hain, jyu gyaan badhaa uske upbhaag huye, raja apne ek bete ko jain ki to dusre ko brahman kshatriya shiksha deta tha, baki aap chahe to apne dharm ko bhi puratan kah sakte hain par mahaveer swami thirthankar ji bhi kshatriya ke wahaa paida huye the.

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