शनिवार, दिसंबर 08, 2012

‎1984 दंगों को नरसंहार घोषित करने के प्रस्ताव को समर्थन

‎1984 दंगों को नरसंहार घोषित करने के प्रस्ताव को समर्थन
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वाशिंगटन। भारत में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे को नरसंहार घोषित करने के प्रस्ताव के समर्थन में अब तक करीब 25 हजार लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं। न्यूयॉर्क के सिख फॉर जस्टिस [एसएफजे] संगठन द्वारा ओबामा प्रशासन की ओर से इस बारे में जवाब मिलने को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। अभियान गत 15 नवंबर को प्रारंभ किया गया था।

प्रस्ताव में ओबामा प्रशासन से मांग की गई है कि नरसंहार पर संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत नवंबर, 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे को नरसंहार घोषित किया जाए। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि दंगे भड़काने में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसमें कहा गया है कि इस दंगे को हमेशा से सिख विरोधी दंगा कहा जा रहा है। एसएफजे की ओर से कहा गया है कि इस प्रस्ताव को एक अन्य सिख संगठन वॉयस फॉर फ्रीडम का समर्थन मिला है। अमेरिका स्थित गुरुद्वारों ने भी इसका समर्थन किया है। एसएफजे दंगे में शामिल लोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाने की भी मांग कर रहा है। उसकी ओर से पहले ही कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की संसद में प्रस्ताव पेश कर 1984 के सिख विरोधी दंगे को नरसंहार घोषित करने की मांग की गई है। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने नरसंहार पर संयुक्त राष्ट्र समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों में घरेलू कानून भी हैं जिनके मुताबिक किसी धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा को नरसंहार घोषित किया जा सकता है।

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