शनिवार, सितंबर 03, 2011

भारत की मीडिया सेकुलरो और वेश्याओं का झुंड मात्र है

भारत की मीडिया सेकुलरो और वेश्याओं का झुंड मात्र है

वर्तमान परिस्थितों को देखते यह साफ समझा जा सकता है की कौन बेईमान है और कौन इमानदार ? देश के चौथे स्तम्भ की वेश्यावृति अब प्रत्यक्ष रूप से सामने आ गयी है, स्टार न्यूज का दीपक चौरसिया , बाबा के बॉडी लौन्गेवज समझने लगा है ( जो आज तक अपनी लैंग्वेज नहीं सुधार पाया), कल का छोकरा राहुल कंवल को आरएसएस का साथ होना, बेईमानी लगती है ( इस लड़के की  निष्पक्ष पत्रकारिता देखिये ) . पहले इन चैनलों के खाते चेक होने चाहिए की , कांग्रेस का बिस्तर गर्म करने के लिए इनके मालिकों ने कितना पैसा लिया.

मीडिया के रुख को पहले दिन से देखें तो मामला साफ  हो जाता है. जैसे ही यह बात आती है की बाबा अनशन करेंगे, मीडिया उनके बैंक खाते , उनके चार्टर्ड प्लेन और उनके व्यक्तिगत धन का ब्यौरा दे कर जनता के मन में उनके खिलाफ ज़हर भरने लगती है. उनके देशहित के मुद्दे को राजनितिक खेल कहा जाता है. आइये उसके द्वारा उठाये गए सवालों की बत्ती बनाएं . आप  कह रहे हो की बाबा के पास करोडो हैं ,  और फिर पूछते हो की खर्च कहाँ से हुआ. क्या कांग्रेस ने इतना दिया की दिमाग ख़राब हो गया?

१. बाबा के पास अकूत धन है, कई अचल संपतियां है और कई करोड़ रुपये है. ( स्टार न्यूज , आज तक और कई वेश्याओं ने कहा )देश के संविधान में सम्पति रखने की छुट है. बाबा क्या तेरा बाप भी अपने औकात से सम्पति कमा के रखा है , और चैनल वाले भी सम्पति रखने के लिए कार्यक्रम चला रहे है. यह सवाल पूछे वाला यह पहले खुद से पूछे की उसने सम्पति कमाने में क्या कसर छोड़ी? बाबा ने सम्पति जमा की , तो अपने पुरुषार्थ से की, अपने दम पर की. उनके संपति पर नज़र डालने वाले को उनके खिलाफ व्यक्तिगत दुश्मनी रखने वाला माना जाये. बाबा अपनी सम्पति का क्या करते हैं, किसे देते हैं ..यह उनका फैसला है .. वह किसी भडवे पत्रकार से पूछ कर नहीं करेंगे. और अब अगर सरकार को यह लगता है की बाबा ने सम्पति गलत तरीके से अर्जित की है, और वह जांच की मांग करती है , तो यह निहायत हीं पांचवे क्लास के बच्चे द्वारा किये हाय हरकत जैसा है.

जब राहुल गाँधी, कानून के प्रतिब्द्न्ध के वाबजूद भट्टा परसौल जात है, किसानो के सामने घडियाली आंसू रोता है , तो यहीं दोगली मीडिया इसे राहुल की कामयाबी के रूप में पेश करता है. क्या वह भट्टा-परसौल के वाकये का राजनीतक फायदा उठाना नहीं है. क्या राहुल जैसे अन्य टुच्चे कान्ग्रेसिओं ने एक के बाद वहां फिराफ्तरी देकर .. ड्रामा नहीं किया.
तो ड्रामा कौन नहीं करता . परन्तु बाबा के ड्रामे में लाखों लोगों की आस्था है. और जब ड्रामा १लख्ग लोग कारेनिन , तो ड्रामा कहने वाले बरखा दत्त जैसे पतित पत्र-आकारों को अपना मुंह बंद कर, पत्रकारिता छोड़ पान की दुकान खोलनी चाहिए. क्योंकि ऐसी बिना सर पैर के बातों की उम्मीद पान की दुकान पर सुनने कहने के लिए हैं. मीडिया की आवाज बन कर , देश के लोगो को बरगलाने के लिए नहीं.
राहुल करे तो रासलीला , बाबा करें तो करेक्टर ढीला .. | ड्रामा तो राहुल करता है, कभी दलित के घर रोटी खा कर , तो कभी राष्ट्र-उत्थान के लिए किसानो की प्रगति को अपरिहार्य बता कर. क्या उसे पता नहीं , की मनमोहन किसके इशारे पर काम करता है. ड्रामा तो मनमोहन करता है , उसके पहले दसवीं पास होने के सर्टिफिकेट, वेरीफाई होने चाहियें. कहाँ तो सबसे बड़ा अर्थशाष्त्री हो कर देश का अर्थशाश्त्र सुधारने बैठा था..घर का अर्थ शास्त्र भी नहीं सुधार पाया!
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२ बाबा के पंडाल इत्यादि पर करोडो का खर्च हुआ , वह पैसा कहा से आया ? बाबा को आरएसएस का साथ है!
> करोड़ों क्या , अरबों का खर्च होगा. बाबा ने धन रिजर्व बैंक से नहीं लिया , राज्य के खजाने से नहीं लिया तो परेशानी क्या है. एक तरफ तो यहीं मीडिया बाबा के पास अकूत धन होने की बात पर मुहर लगता है फिर उनके खर्चे पर सवाल उठता है. यह तो मानसिक दिवालियापन है.

३. आर एस एस का साथ है ?
> हाँ है !

४ पोलिटिकल एजेंडा है ?
> हाँ हैं ..तो इसमें बुरा क्या है. राजनीति श्रीकृष्ण से शुरू हैम अब बॉलीवुड के भंड राजनीति नहीं कराते तो क्या हम उनके पीछे चले ! ये भांड  ही है बॉलीवुड के जो अब तक देश के सबसे पवित्र व्यक्ति है मीडिया को इन लोगो मे कोई गंदगी नहीं दिखाई देती भले ही कितने अनेतिक आचरण औरभ्रष्टाचार यही से आते हो ! आरएसएस शुरू से ही देशहित के लिए समर्पित संस्था रही है. राष्ट्रहित के लिए आर एस एस का साथ लिया तो क्या बुरा किया. बाबा के पंडाल के बाहर यह तो नहीं लिखा न , की कांग्रेस और कुते नहीं आ सकते. या राहुल कँवल नहीं जा सकता , या चौरसिया नहीं घुस सकता. तो बाबा के साथ जो है ..वह है. सवाल यह नहीं की कौन साथ है ? सवाल यह है की क्यूँ साथ है.? अब कौन कौन साथ है ..बोलकर क्यूँ साथ है को ढकने की कोशिश की जा रही है.

५ अभी बाबा यह सब पौलिटिक्स में आने के लिए कर रहे ?
> तो इसमें भी क्या बुराई है. सभी को पोलिटिक्स में जाने का हक़ है .. बाबा भी अगर जाना चाहें तो उन्हें रोक लोगे ? कम से कम जनता का समर्थन लेकर जा रहे हैं. मनमोहन तो ऐसा ही बैठ गया , सोनिया के तलवे चाट कर .
आर एस एस का साथ होने में बुरा क्या है. नहीं , इन भडवे चैनलों की मानें , तो रामावतार होने की प्रतीक्षा की जाये. ताकि स्वयं भगवान् आकर अनशन करें और उनपे कोई सवाल नहीं हो.यह हर आम आदमी जनता है , कि आज के समय में दूध का धुला कोई नहीं. लाग -लपेट , लोचा करना पड़ता है. हम सभी एक घर सँभालने में दस लोचे करते हैं , तो भला इतने बड़े उद्देश्य के लिए, लोचे को एक्सेप्ट क्यूँ है करते. मैंने यह बात पहले भी लिखी और आज फिर दुहरा रहा हूँ. राम चौदह कलाओं से परिपूर्ण थे, कृष्ण सोलह से (जिसमे छल , कूटनीति जुड़े ) और आज किसी रामदेव को अट्ठारह कलाओं से युक्त होकर ही कार्य करना होगा. और वह कला होगी राजनीती और कूटनीति. इसलिए बड़े बदलाव की अपेक्षा रखने वालों , यह बात गौर से अपने जेहन में बैठा लो , कीचड़ साफ़ करने लिए कीचड़ में घुसना होगा. और बाबा ने अगर कोई गुप्त डील की है , तो वह स्वीकार्य है ..क्योंकि हमें लक्ष्य की चिंता है ..टूल्स की नहीं. बाबा को अपने टूल्स इस्तेमाल करने की आजादी है.
अब कल तक के सरे सवाल की बत्ती बन गयी है. अब इन भडवे चैनोलों की आज की करतूत देखें. बाबा ने धोखा दिया.. बाबा ने पहले ही डील कर ली.
६. बाबा ने जनता को गुमराह किया. बाबा ड्रामा कर रहे हैं.

> यह सारा जमाना जानता है , कि ड्रामे करने की आदत किसे है. चिरकुट कौन हैं. यह हर शाम को हम देखते हैं . बाबा वह सख्स है जिसने एक छोटे से गाँव से निकल , भारत की सांस्कृतिक खोज और विज्ञानं , योग को आज अपने गौरव को वापस दिलवाया. वैज्ञानिक स्थापना दी. और वह इतना रखता है .कि ऐसे दो कौड़ी के भड़वों को खड़े खड़े खरीद ले ( इसलिए कि इन्हें बिकने की आदत है). जनता बाबा के साथ नहीं, जनता अन्ना के साथ नहीं ..जनता मुद्दे के साथ है , चाहे वह जो भी उठाये.
इस कांग्रेस सरकार को  शर्म आनी चाहिए कि देश के करदाताओं का पैसा चुरा कर विदेशी बैंकों में भर दिया. घोटालों की बाढ़ आ गयी . आम आदमी को जिन्दा रहने के लिए दिन भर काम करना पड़ता है, तब भी महीने का बजट नहीं निकल पा रहा. अफजल और कसाब को पालने में करोड़ों खर्च कर चुकी यह दोगली सरकार को हम पर साशन करने का कोई अधिकार नहीं. देश के देशद्रोही .. कश्मीर के नेता खुलेआम दिल्ली में देशके मुंह पर थूक कर चले जाते हैं , और कांग्रेस उसे चाट कर कुल्फी खाने का अनुभव देश को बताते हुए कहती है .. कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है.
यह दिग्विजय सिंह तो शुरू से ही सठियाया बलगता है. मुस्लिम कट्टरपंथीओं के साथ इसके सम्बन्ध जग -जाहिर हो चुके हैं. इसे बोलने की तमीज है ,नहीं .कभी को कभी तो इतना बौरा जाता है कि कांग्रेस के लिए मुस्किल बन जाता. इसबार तो लगता है पुरे भेजे का सर्किट हिल गया है.
मुझे शर्म आती है ऐसे देश का नागरिक कहलाते हुए, इस देश की धत बना दी इस कांग्रेस ने. पूर्वजों ने सही कहा कि वर्णशंकर हमेशा विनाश का कारन ही बनता है. इस गाँधी नाम के वर्णशंकारों को देश से लात मार कर बहार कर देने से, देश को चैन मिलेगा. और तब जाकर भारत निर्माण होगा . बाबा , जो है जिस तरह से भी यह कर रहे .. हम सभी को सिर्फ यहीं चाहिए .. कि मांगे पूरी हों ..और यथाशीघ्र कानून बने. यह चर्चा बाद में करेंगे कि बाबा ने यह सब कैसे किया और किसके मदद से किया ?
( पाठकों से अपेक्षा की जाती है , कि इस लेख में प्रयुक्त शब्दों की तीक्ष्णता और भाषा की कटुता को नजर अंदाज़ करेंगे . कई बार हमें अपनी बात रखने के लिए ऐसे शब्द ही जायज लगते हैं . और न्यू मीडिया को यह स्वतंत्रता जन्मजात मिली है, वैसे भी जिस देश में , भारत माँ को गली देने पर, तिरंगा जला देने पर , संसद पर हमला करने पर सरकार को कोई असर नहीं होता .,.. वहां मुझे नहीं लगता कि हम जैसे छोटे लोगों की गाली इन्हें बुरी लगेगी)
--- लेखक : राजेश त्रिपाठी

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