सोमवार, सितंबर 03, 2018

अहमदिया और दलित

 हर साल सैकड़ों अहमदिया या कादियानी मुस्लिमों को सऊदी अरब मक्का और मदीना में पकड़ कर उन्हें डिपोर्ट करता है और उन्हें हज नहीं पढ़ने देता ...पूरे विश्व के किसी भी मुस्लिम देश में कादियानी या अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम का दर्जा नहीं है ...दूसरे मुसलमान उन से रोटी बेटी का रिश्ता नहीं रखते इनसे बिजनेस का रिश्ता नहीं रखते इन्हें अपनी मस्जिदों में नहीं आने देते ...लेकिन फिर भी किसी भी अहमदिया या कादियानी मुस्लिम ने इस्लाम त्याग कर ईसाई, बौद्ध, या हिंदू धर्म स्वीकार नहीं किया अहमदिया एक धार्मिक आंदोलन है, जो के 19वीं सदी के अंत में भारत में आरम्भ हुआ।इसका प्रारंभ मिर्जा गुलाम अहमद (1835-1908) की जीवन और शिक्षाओं से हुआ। अहमदिया आंदोलन के अनुयायी गुलाम अहमद (1835-1908) को मुहम्मद के बाद एक और पैगम्बर (दूत) मानते हैं जबकि अन्य मुसलमानों का विश्वास है कि पैगम्बर मोहम्मद ख़ुदा के भेजे हुए अन्तिम पैगम्बर हैं। अहमदिया इस्लाम का एक संप्रदाय है। मुसलमान इसे काफिर मानते हैं। इस्लाम यह मानता है कि मोहम्मद ही इस्लाम के पहले और अंतिम नबी यानी पैगंबर है लेकिन अहमदिया मुस्लिम इसके उलट यह मानते हैं इस्लाम में समय-समय पर और भी नबी या पैगंबर आते हैं और इस आंदोलन को मिर्जा गुलाम अहमद ने चलाया इसलिए इसे मानने वाले अहमदिया कहलाये .. क्योंकि मिर्जा गुलाम मोहम्मद का जन्म भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के कदियानी कस्बे में हुआ था इसलिए अहमदिया मुसलमानों को कादियानी मुसलमान भी कहते हैं अहमदिया मुसलमान वही कुरान पढ़ते हैं ऐसे ही दाढ़ी रखते हैं ऐसे ही टोपी पहनते हैं पांचों वक्त नमाज पढ़ते हैं सिर्फ अहमदिया और दूसरे मुसलमानों में इतना ही फर्क है कि जहां दूसरे मुसलमान यह मानते हैं कि मोहम्मद साहब खुदा के भेजें अंतिम और पहले नबी हैं वहीं अहमदिया मुसलमान यह मानते हैं कि मोहम्मद साहब के बाद मिर्जा गुलाम अहमद को भी खुदा ने नबी या पैगंबर बनाकर भेजा था बस इसी छोटी सी बात पर अहमदिया मुसलमानों का जीवन नर्क बन चुका है पाकिस्तान इन्हें मुस्लिम नहीं मानता नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम पाकिस्तान के पहले और अकेले वैज्ञानिक हैं जिन्हे फिज़िक्स के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। वह एक अहमदिया थे। लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें कभी नहीं अपनाया और उनके नोबेल पुरस्कार जीतने पर जश्न तक नहीं हुआ था... महेरशला अली अभिनय के लिए ऑस्कर जीतने वाले पहले मुस्लिम अभिनेता थे ... उन्हें भी पाकिस्तान ने अपना नागरिक या मुस्लिम मानने से मना कर दिया था पाकिस्तान में लगभग 30 लाख अहमदिया रहते हैं। इस प्रकार विश्व में सर्वाधिक अहमदिया पाकिस्तान में ही रहते हैं। भारत मे 50 हजार अहमदिया है ... पाकिस्तानी पंजाब के रबवा में अहमदिया जमात का मुख्यालय हुआ करता था जो अब इंगलैण्ड में ले जाया गया है। पाकिस्तान में अहमदिया लोगों पर सुन्नी बहुसंख्यक अत्याचार करते रहते हैं। पाकिस्तान में उन्हें मुसलमान नहीं, अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है। अहमदिया समुदाय के लोग स्वयं को मुसलमान कहते हैं लेकिन दूसरे मुसलमान इन्हें हरगिज़ अपनाने को तैयार नहीं है यहां तक कि हर मुसलमान की तरह अहमदिया भी हज यात्रा करना चाहते हैं और यह चोरी छुपे जानकारी छुपाकर सऊदी अरब जाते हैं लेकिन लेकिन कड़ी पूछताछ और जांच में जैसे ही पता चलता है कि यह अहमदिया मुसलमान है तो सऊदी अरब इन्हें 10 कोड़ों की सजा देकर डिपोर्ट कर देता है जनरल जिया उल हक के समय में एक अहमदिया इस्लामाबाद के किंग फहद मस्जिद में नमाज पढ़ने चला गया था तो उसे 25 साल की सजा सुनाई गई थी इतने जुल्मों सितम और तिरस्कार के बाद भी अहमदिया खुद को मुसलमान कहते हैं और इधर भारत में कुछ दलित लोग हजारों साल पहले के भेदभाव का मामला पकड़कर आज भी हिंदू धर्म से नफरत करते हैं

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