गुरुवार, अक्तूबर 12, 2017

नमाज ★ गुप्त सलाम?

नमाज के बाद हमेशा एक खास गुप्त दुआ / सलाम पढ़ी जाती है । इस दुआ / सलाम को इस्लाम के अलग-अलग फिरकों में पढ़ने के अपने-अपने तरीके हैं, कोई तेज आवाज मे पढ़ता है, कोई धीमे स्वर मे, पर पढ़ते सभी हैं ।
जिस तरह मंदिर मे हवन-पुजा या आरती के बाद पंडित जी एक दुआ करते हैं, जो आपने अक्सर सुना होगा "धर्म की -- जय हो, अधर्म का -- नाश हो, प्राणियों मे -- सद्भावना हो, विश्व का -- कल्याण हो" । मानवता-धर्म और सत्य की विजय की कामना के साथ समस्त प्राणियों और विश्व के कल्याण के लिए भगवान से दुआ मांगी जाती है ।
ठीक वैसे ही नमाज के बाद या साथ ही नमाज़ी एक खास "दुआ / सलाम" पढ़ते हैं । इस दुआ मे कुरान की खास 3 आयतें शामिल की गयी है । एक मौलाना-मौलवी इन आयतों के छोटे से खास हिस्से को अरबी मे पढ़ता है और बाँकी नमाज़ी "आमीन" आमीन" बोला करते हैं । यहाँ आप हिन्दू-बौद्ध-सिख भाइयों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है की नमाज के ठीक बाद या साथ पढ़ी जाने वाली "दुआ / सलाम" आखिर क्या है ? किस चीज की दुआ माँगते हैं मुसलमान और इन दुआओं मे आप गैर-मुसलमानों के खिलाफ अल्लाह से क्या मिन्नतें करते हैं ये ? देखिये :-
1) “हमें काफ़िरों के मुक़ाबिले में नुसरत अता फ़रमा।” कुरान सूरा 2 आयत 250
2) या अल्लाह, काफ़िरों को शिकस्त देने में हमारी मदद फ़रमा।” कुरान सूरा 2 आयत 286
3) “ या खुदा हमारे पापों को माफ कर, हमारी कदमों मे मजबूती दे, काफ़िरों के मुक़ाबिले हमारी फतह कर । “ कुरान सूरा 3 आयत 147
हम पर सलाम हो और अल्लाह के तमाम नेक बंदों पर सलाम हो । आमीन
यह और ऐसी कुरानी दुआएं नमाज के साथ और बाद में की जाती हैं ,इन से मुसलमानों के बुरी नियत और गंदी सोच का पता चलता है । कितनी नफरत भरी है इनके दिमाग मे की ईश्वर की प्रार्थना के वक्त भी गैर-मुसलमानों के लिए शिकस्त और बरबादी की दुआ मांगते हैं । :- # DrAlam
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पिछले दिनों आगरा के दबकय्यान स्थित मस्जिद मे सलाम पढ़ने के तरीके को लेकर नमाज के बाद बरेलवी और देवबंदी मुसलमान भिड़ गए । एक पक्ष कह रहा था सलाम धीमे स्वर मे पढ्न चाहिए, दूसरा ऊंचे स्वर का पक्षधर थे , इतनी सी बात मे दो फिरके खून-खराबा पर आमदा हो गए । थाना-पुलिस के दखल के बाद पत्थरबाजी बंद हुई । देखिये जाहिलों की हरकत की न्यूज़ :- http://
www.kohraam.com/state-news/devbandi-and-barelvi-clash-over-salam-64775.html
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ऐसी गंदी सोच और नफरत पालने वाली कौम को आखिर कब तक दुनिया बर्दाश्त करेगी ? आखिर कब तक मुसलमान बेगुनाहों से कुरान की आयतें पुछ कत्ल करेंगे ? एक दिन ऐसा जरूर आयेगा जब दुनिया भर के लोग तुम्हारी लुल्ली चेक कर तुम्हें कत्ल करेंगे -- शुरुआत दुनिया की सबसे शांतिप्रिय-दयालु धर्म के लोगों ने की है -- धीरे-धीरे यह आग इस पैशाचिक-राक्षसी मजहब को निगल जाएगी - आमीन

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