शुक्रवार, अक्टूबर 13, 2017

प्रदूषण तो सिर्फ बहाना है, हिन्दू निशाना है

Pawan Tripathi
हिंदुओं से चिढ़ने के पीछे का रहस्य
पटाखों के पीछे की गहरी साजिश करने वालो को देखेंगे तो साफ़-साफ़ दिखेगा प्रदूषण तो सिर्फ बहाना है, हिन्दू निशाना है।प्रदूषण दूर करना होता तो साल भर के लिए पटाखों पर बैन लगता न की सिर्फ दीपावली के लिए।डीजल गाड़ियों,और ओखला में चल रहे छोटे कारखानों पर बैन लगता,बकरीद पर बैन लगता न की दिवाली पर।हिन्दुओ को चिढ़ाने की योजना काफी दिनों से बन रही थी। आपको इतना तो पता है की सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर बैन लगाया है पर हिन्दू त्यौहार दीपावली पर पटाखों को बैन करवाने के पीछे कांग्रेस लॉबी है यह नही पता होगा ? किन लोगों ने बैन लगवाया ?गहराई से इसका विश्लेषण करिये कुछ चौकाने वाले नाम सामने आयेंगें।
अर्जुन गोयल -उम्र - याचिका के समय 6 माह 12 दिन,आरव भंडारी- उम्र - याचिका के समय 6 माह 21 दिन,ज़ोया राव भसीन -उम्र-याचिका के समय -14 माह 5 दिन।याचिका प्रकार - जनहित याचिका आर्टिकल 21 के तहत - आर्टिकल 21 के तहत सांस लेने के लिए साफ़-सुथरे वातावरण को अपना अधिकार बताया है।सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को आवाज़ उठाने का हक़ दे रखा है.। ऐसे मामलों में बच्चों के मां-बाप पेटिशन दायर कर सकते हैं. संविधान में आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जिंदगी जीने और उनकी पसंद के खान-पान का अधिकार है।मैं किसी राजनीती का समर्थन नही करता लेकिन कोई चाहे तो इन याचिकाकर्ताओ के माता पिता के किसी पार्टी से संलिप्तता देखकर मुद्दा बना सकता है।
जस्टिस एके सिकरी - दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोडक्ट् है ।1977 से 1998 तक दिल्ली कोर्ट में वकील 1999 में जज बनाये गए ।महामहिम प्रणव मुखर्जी जी द्वारा appoint किये गए है ।।
जस्टिस अभय मनोहर सपरे - साहब जबलपुर से है माननीय प्रणव मुखर्जी द्वारा सीधे जज बनाये गए है दवाब किसका आप समझ सकते है ।जस्टिस अशोक भूषण - साहब सीधे माननीय प्रणव मुखर्जी द्वारा जज बनाये गए है इनको मंजुला चेल्लूर (Manjula Chellur) ने suggest किया था जो खुद प्रणव दा द्वारा appoint है।जस्टिस एके सिकरी पे RTI के तहत खुलासा हुआ है की साहब को सरकारी खर्च पे घूमना बहोत पसंद है अब तक परिवार के साथ सरकारी खर्च पे लंदन और दुबई (संयुक्त अरब अमीरात), सिंगापुर (दो बार), हांगकांग, ब्रुसेल्स , हांगकांग और बीजिंग, मकाओ (चीन) , एम्सटर्डम, हेग (नीदरलैंड्स) घूम चुके है सालाना एयर टिकट 37लाख से ऊपर का है।
अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी साथ ही ज़ोया राव इसमें से 2 की उम्र 6 महीने थी, और 1 की उम्र 14 महीने थी, यानि ये तो दुधमुहे बच्चे थे।इनको क्या पता सुप्रीम कोर्ट क्या होता है, याचिका क्या होती है।नवजात दुधमुहे बच्चों के कंधे पर बन्दुक किसी और ने ही चलाया है जिन लोगों ने इन बच्चों के नाम पर दीपावली पर पटाखों के खलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई उनके नाम है।एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण, सौरभ भसीन और एडवोकेट अमित भंडारी।इसने से अमित भंडारी कांग्रेस के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के साथ काम करता है। ये वही अभिषेक मनु सिंघवी है जो लोगों को जज बनवाता थे, और महिला के साथ भी अश्लील हरकत करता पकड़ा गये थे(मूल कांग्रेसी चरित्र)। न जाने कितने लोगों को जज बनवाया होगा।तो कुल मिलाकर बच्चों के कंधे पर बन्दुक रखकर जिन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में दीपावली पर पटाखों के खिलाफ याचिका डाली,आपको नही लगता ये कनेक्शन कांग्रेस पार्टी तक पहुँचता है?
कांग्रेस पार्टी से जुड़े वकील ट्रिपल तलाक के समर्थन में केस लड़ते है।अयोध्या जी में श्री राम मंदिर के खिलाफ भी कांग्रेस का नेता और वकील कपिल सिब्बल ही लड़ रहा है।दीपावली पर पटाखों पर बैन का कनेक्शन भी इसी पार्टी से जुड़ता है।कांग्रेस और उसके नेता हिन्दू समाज के प्रति किस प्रकार का सोच रखते है ये पूरी दुनिया जानती है कांग्रेस के एक ऐसे ही नेता है जो की केरल से आते है। केरल वही राज्य जहाँ कांग्रेस ने गाय को सड़क पर काटा था।कांग्रेस नेता शशि थरूर बहुत खुश है।सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सिर्फ दीपावली के मौके पर पटाखों पर बैन लगाया है।जिसके बाद तमाम सेक्युलरो की तरह शशि थरूर भी बेहद खुश है।उन्होंने कई ट्वीट किये और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जताई। पर कुछ लोगों ने शशि थरूर को ट्विटर पर सवाल करने शुरू कर दिए। बहस शुरू हो गयी। लोगों का कहना था की आप दीपावली के पटाखों पर बैन चाहते हो, कभी मुहर्रम के खून पर भी बैन की बात करो, बकरीद पर जानवरो के कत्लेआम के खिलाफ भी बात करो।
फिर क्या था, खुद के दोगलेपन की पोल खुलने पर शशि थरूर भड़क गए और उन्होंने ये ट्वीट किया।
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Shashi Tharoor @ShashiTharoor
Bakr-Id sacrifices hurt only goats; Muharram mourners flagellate themselves, but Diwali firecrackers affect celebrants&non-revellers alike.
1:45 AM - Oct 11, 2017
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शशि थरूर ने मुहर्रम और बकरीद को दीपावली से बेहतर बताते हुए लिखा है कि
* बकरीद पर तो सिर्फ बकरियों पर असर होता है, उनको काटा जाता है उसका असर किसी और पर नहीं होता?
* मुहर्रम में तो दुःख मनाया जाता है, उसका भी किसी दूसरे पर असर नहीं होता?
* पर दीपवाली के पटाखों से तो दूसरों पर भी असर होता है जो दीपावली नहीं मनाते।
शशि थरूर बताने की कोशिश कर रहे है की, बकरीद पर जानवरों का कत्लेआम जायज है, उसका विरोध नहीं हो सकता, वहीँ मुहर्रम में तो दुःख मनाया जाता है उसका भी विरोध नहीं हो सकता विरोध दीपवाली के पटाखों का होगा क्यूंकि वो दूसरों पर असर करता है।
यहाँ आपको बता दें की, बकरीद पर जानवरों के क़त्ल से परजीवी फैलते है, कैंसर तक की बीमारियां दूसरों को होती है, साथ ही पानी की बर्बादी, और जमीन के जरिये भूतल जल में खून का मिलना। बकरीद एक बेहद प्रदुषण फैलाने वाला इस्लामी त्यौहार है, पर शशि थरूर जो खुद को पढ़ा लिखा बताते है, वो इसपर नहीं बोलना चाहते वहीँ दही हांड़ी में हिन्दू बच्चे ऊपर चढ़े उनके पैर टूटे उस से दूसरों पर क्या असर पड़ता है ?फिर भी कोर्ट और सेक्युलर तत्व दही हांड़ी को खतरनाक बताकर उसपर नियम थोपते ही है, जबकि मुहर्रम में बच्चों का खून बहाया जाता है, उसपर ये सेक्युलर चुप कैसे रहते है और जब कोई इनसे सवाल पूछे तो ये भड़क जाते है, मुहर्रम, बकरीद को दीपावली से बेहतर बताने लगते है।
कांग्रेस देश का बंटवारा करवाती है, कांग्रेस दो करोड़ हिंदुओं को उजाड़ देती है, कांग्रेस इस देश के बटवारे के बावजूद भी मुस्लिमो को रोक लेती है, कांग्रेस भारत में छद्म सेकुलरिज्म के नाम पर हिंदू-विरोध का बढ़ावा देती है, कांग्रेस संविधान में 'धर्मनिरपेक्षता वादी समाजवादी गणराज्य जुड़वा कर एकतरफा-पक्षपाती बर्ताव करती है,कांग्रेस इस देश मे समानता-वादी संविधान(कॉमन सिविल कोड) नही बनने देती,कांग्रेस गोहत्या करवाती है,कांग्रेस इस देश में हिंदुओं के दमन का हर तरीका ढूंढती है,कांग्रेस हिंदुओं के मंदिरों को बनवाने से रोकने के लिए कानून पेश करती है,कांग्रेस हिंदुओं में जातिय-बंटवारा करवाने के लिए तमाम तरह के संविधान बनवाती है, कांग्रेस तमाम तरह के आरक्षण से हिंदू समाज का बंटवारा करती है,कांग्रेस दूसरे मजहबो को विशेष-अधिकार वाले राज्य बनाकर प्रादेशिक बंटवारा करवाती है, कांग्रेस धर्मांतरण पर कानून नहीं बनने देती,धर्मांतरण को बढ़ावा देती है।कांग्रेस हिंदू समाज को घटाने और क्षति पहुंचाने के लिए हर उपाय खोजती/बनाती है,कांग्रेस हिंदुओं में दखलअंदाजी का तरीका अपनाती है,कांग्रेस कभी हलाला,मुताही,तीन तलाक, चार विवाह,जैसे मुद्दों को टच नहीं करने देती,कांग्रेस ऐसी मीडिया नीति को बढ़ावा देती है जो हिंदुओं को नीचा दिखाते हैं,कांग्रेस विदेशों में स्थापित कैथोलिक जनों को भारत में स्थापित करने के लिए एक बड़ी पॉलिसी अपनाती है,काश्मीर को 370 देकर पंडितों को खदेड़े जाने को समर्थन देती है,एक मजहब की जनसंख्या बढ़ाने को सब्सिडी देती है,बांग्ला घुसपैठियो का बढावा देती है,मीडिया,फ़िल्म,लेखन,शिक्षा के मॉध्यम से हिंदू-संस्कृति के दमन को बढ़ावा देती है, आखिर माजरा क्या है? ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस ने अपने सत्तर वर्षो के शासन में एक रणनीति के तहत भारत में हिंदुओं को कमजोर करके समाप्त करने की साजिश चली थी? ऐसा नहीं लगता कांग्रेस एक विदेशी कंपनी है जो धीरे-धीरे धीरे-धीरे अंग्रेजो को छुटा कार्य कर रही है।विशेषकर वह जो 600 साल में मुसलमान और 200 साल में अंग्रेज नहीं कर पाए।ऐसा नहीं लगता कांग्रेस ईसाईयों की रणनीति को भारत में बढ़ावा दे रही है? आखिर ऐसे-कैसे हो सकता है कि 2004 से 2014 तक के कांग्रेसी मंत्रिमंडल में 67 प्रतिशत कांग्रेस नेता या तो क्रिश्चियन हैं या तो उनकी पत्नियां कैथलिक है।उनमें से मैक्सिमम चर्चो से जुड़े रहे हैं।अधिकतर क्रिप्टो-क्रिश्चियन है।यानी हिंदू नाम के सहारे हिंदूओ को नष्ट करने में लगे ईसाई।वे हिन्दुओ समाप्त करने का काम क्यों करते रहे यह बहुत गहरा रहस्य और जांच का विषय है।
सोनिया गांधी,प्रियंका बढेरा,रॉबर्ट बढेरा,कैथोलिक क्रिश्चियन हैं।वी-जार्ज,एके एंथोनी,आस्कर फर्नांडीज,अजित जोगी,आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी,सभी ईसाई हैं।मनीष तिवारी की पत्नी क्रिस्चियन,आनन्द शर्मा की पत्नी,सतीश शर्मा की पत्नी,माखन लाल फोतेदार की पत्नी,एनकेपी साल्वे की पत्नी ईसाई है।ऐसा सम्भव नही है कि इतनी पुरानी सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी का पूरा नेतृत्त्व सहजता से ईसाई हो गया होगा।उसके पीछे पूरी योजना और रणनीति बनाई गई होगी।तब जाकर पूर्णतः कब्जा हुआ होगा।स्वाभाविक है मुस्लिम पिता और कैथोलिक माँ से पैदा हुए राहुल गांधी क्रिप्टो-इस्लामिज्म में जकड़े है।जिनको मन ही हिन्दुओ को खत्म करने का संस्कार सहजता से मिला है।काँग्रेसियो में उपजा छद्म सेकुलरिज्म मतलब हिंदू-विरोध का मूल कारण यही है।

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