मंगलवार, अक्तूबर 17, 2017

सच को सच कहना भी आसान नही है !!

Farida Khanam सच को सच कहना भी आसान नही है !!
कुछ लोगों सवाल कर रहे हैं की मुगल हिन्दुस्तान आये और जबरन धर्म परिवर्तन करवाया तब हिन्दुस्तान में सिर्फ 15% मुसलमान और 85% हिन्दू कैसे हैं ?
वह भुल जाते हैं की उस वक्त पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान भी हिन्दुस्तान का ही हिस्सा थे और इन सब की जनसंख्या का आजादी के पूर्व की जनसंख्या से मिलान किया जाए तो बात स्पष्ट हो जाएगी की सारी सुन्नत ही मार मार बनाई मुसलमान हैं !
रही बात शियाओं की तो वह निश्चित ही विदेशी शरणार्थियों में रहे हैं जो खुद पर हो रहे अत्याचारों से ज्यादा इमाम हुसैन अहिलैस्लाम का इंसानियत का पैगाम ले कर ठीक उसी तरह वतन से निकले थे जैसे तथागत बौद्ध बुद्धत्व का पैगाम ले कर निकले थे !
बुद्ध के संदेशवाहको ने कभी किसी देश मे हिंसा के सहारे बुद्ध का संदेश नहीं पहुंचाया ! ठीक उसी तरह आज भी हिन्दुस्तान के इतिहास इमाम हुसैन के इंसानियत के संदेश लाए शिया कभी आतंकवाद के आरोपी तक नहीं रहे !
अफसोसजनक है की शमशीरें सत्य को काटती चली गई और शैतानीयत इस्लाम के चहरे में घुसपैठ कर बैठी!
वर्तमान का कट्टरपंथी मुसलमान इस्लाम से ज्यादा हिन्दू धर्म की कुरीतियों पर बात करता नजर आएगा ! वह हर इल्म के लिए विदेशी इस्लामीक मुल्कों की सूरत देखता नजर आएगा, यह बात ठीक उन दलितों के बौद्ध धर्म और बौद्ध धर्म की विदेशी सूरत को देखें तो तस्वीर साफ हो जाएगी , तथाकथित बौद्ध की पोस्ट गौर करें वह हिन्दु विरोधी हैं पर कहीं बुद्ध की क्षिक्षाऔ का अनुगामी नहीं !वह बुद्ध का ध्यान भुल ही गया वर्ना शिव तक पहुंच जाता , ठीक ऎसे ही मुसलमान हुसैन अहिलैस्लाम का त्याग याद रखता तो आतंकवाद तक नहीं पहुंचता ! कमज़ोरी की पहचान गालियाँ और आतंक है , सत्यता की पहचान मौन और अहिंसा है

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