Pawan Saxena
शंभूनाथ रैगर क्या एक प्रहरी है ??
क्या दशहरे पर सिर्फ शस्त्र पूजन से धर्म और प्राण बचाए जा सकते हैं ? क्या बहन के हाथ से रक्षाबंधन पर सिर्फ रक्षासूत्र बंधवा कर बहन के सतीत्व की रक्षा हो सकती है ? घर मे दोनाली बंदूक हो और गोली चलाने की हिम्मत और जज़्बा गायब हो तो आतताई से प्राण-संपत्ति रक्षा हो सकती है ? सबका जवाब एक ही है 'नहीं' !
दारा सिंह और शंभु नाथ रैगर ने सदियों से चले आ रहे यौन जिहाद और धर्म-परिवर्तन के शाप को मानने से इनकार कर दिया है ! क्या सनातन बेटियों पर सदियों से डाला जा रहा डाका हमारे अंदर अकुलाहट, अपमानबोध और ठगे जाने का भाव पैदा नहीं करता ? हां अब अपमानबोध हद से बाहर हो चुका है और शम्भूनाथ रैगर पैदा होने लगे हैं !
मारा गया बांग्लादेशी,एक पैसे वाला 45 वर्षीय मजदूर ठेकेदार था, बांग्लादेशी और बांग्लादेशी लेबर राजसमंद में सप्लाई करता था ! वह शख्स, अखबार बताते हैं, शंभु के मोहल्ले की दो लड़कियों को खुर्द-बुर्द कर चुका था ,तीसरा केस खुद शंभु के साथ हो गया जब कि बांग्लादेशी, शंभु की मोहल्ले की मुंहबोली बहन को ही ले उड़ा ! खुद बांग्लादेशी ने मोहल्ले वालों को धमकाना जारी रखा और शंभु रैगर के परिवार को जान से मारने की धमकी दी ! इसी पॉइन्ट पर शंभूनाथ रैगर ने आम सनातन वाला कायराना व्यवहार करना स्वीकार नहीं किया ! अखबार बताते हैं कि यदि शंभु बांग्लादेशी की हत्या न करता तो शंभूनाथ की हत्या हो जाती !
बड़ी बात यह है कि शंभूनाथ ने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा हेतु वह अपराध किया,जिसका अंजाम उसे मालूम था ,अपराध के बाद वह भागा नहीं, खुद ही शंभु ने वीडियो वायरल किया और पुलिस के आगे समर्पण भी ! वीडियों में सनातन -हिंदुओं की दशा ,उपेक्षा और उन पर जेहादी शिकंजे पर उसकी पीड़ा दिखती है , लव जिहाद,पद्मावती-अपमान और घुसपैठ पर इसकी पीड़ा-तकलीफ और चिंता साफ दृष्टिगोचर होती है ! बेशक कुछ आंखों को शंभूनाथ रैगर एक खलनायक दिख रहा हो ,परन्तु बहावी आक्रमण ऐसे ही जारी रहा तो और शंभूनाथ रैगरों की उत्पत्ति की कल्पना अनोखी नहीं होगी !
शंभूनाथ रैगर क्या एक प्रहरी है ??
क्या दशहरे पर सिर्फ शस्त्र पूजन से धर्म और प्राण बचाए जा सकते हैं ? क्या बहन के हाथ से रक्षाबंधन पर सिर्फ रक्षासूत्र बंधवा कर बहन के सतीत्व की रक्षा हो सकती है ? घर मे दोनाली बंदूक हो और गोली चलाने की हिम्मत और जज़्बा गायब हो तो आतताई से प्राण-संपत्ति रक्षा हो सकती है ? सबका जवाब एक ही है 'नहीं' !
दारा सिंह और शंभु नाथ रैगर ने सदियों से चले आ रहे यौन जिहाद और धर्म-परिवर्तन के शाप को मानने से इनकार कर दिया है ! क्या सनातन बेटियों पर सदियों से डाला जा रहा डाका हमारे अंदर अकुलाहट, अपमानबोध और ठगे जाने का भाव पैदा नहीं करता ? हां अब अपमानबोध हद से बाहर हो चुका है और शम्भूनाथ रैगर पैदा होने लगे हैं !
मारा गया बांग्लादेशी,एक पैसे वाला 45 वर्षीय मजदूर ठेकेदार था, बांग्लादेशी और बांग्लादेशी लेबर राजसमंद में सप्लाई करता था ! वह शख्स, अखबार बताते हैं, शंभु के मोहल्ले की दो लड़कियों को खुर्द-बुर्द कर चुका था ,तीसरा केस खुद शंभु के साथ हो गया जब कि बांग्लादेशी, शंभु की मोहल्ले की मुंहबोली बहन को ही ले उड़ा ! खुद बांग्लादेशी ने मोहल्ले वालों को धमकाना जारी रखा और शंभु रैगर के परिवार को जान से मारने की धमकी दी ! इसी पॉइन्ट पर शंभूनाथ रैगर ने आम सनातन वाला कायराना व्यवहार करना स्वीकार नहीं किया ! अखबार बताते हैं कि यदि शंभु बांग्लादेशी की हत्या न करता तो शंभूनाथ की हत्या हो जाती !
बड़ी बात यह है कि शंभूनाथ ने सनातन धर्म की प्रतिष्ठा हेतु वह अपराध किया,जिसका अंजाम उसे मालूम था ,अपराध के बाद वह भागा नहीं, खुद ही शंभु ने वीडियो वायरल किया और पुलिस के आगे समर्पण भी ! वीडियों में सनातन -हिंदुओं की दशा ,उपेक्षा और उन पर जेहादी शिकंजे पर उसकी पीड़ा दिखती है , लव जिहाद,पद्मावती-अपमान और घुसपैठ पर इसकी पीड़ा-तकलीफ और चिंता साफ दृष्टिगोचर होती है ! बेशक कुछ आंखों को शंभूनाथ रैगर एक खलनायक दिख रहा हो ,परन्तु बहावी आक्रमण ऐसे ही जारी रहा तो और शंभूनाथ रैगरों की उत्पत्ति की कल्पना अनोखी नहीं होगी !
Amit Kumar
जवाब देंहटाएंभैंचो सारा चुतियापा पढ लिया
# शंभु के बारे में, बस इतना हि कहूंगा जो दिखाया जा रहा हैं वो हैं नहीं और जो हैं वो दिखाया जा नही रहा ।
मैं राजसमन्द का हु ,प्रशासन ने "नेटबंदी "करवा दि, लेकिन सच छिपता नहीं छिपाने से चाहे लाख कोशिशे कर लो…
हिंदू धर्म ने हमेशा से सिर्फ सहा हैं कभी प्रतिघात नहीं किया आज जो हुआ वो पहली बार हुआ है। क्या गांजा पीना किसी व्यक्ति को मानसिक विक्षिप्त साबित कर सकता हैं!!अगर आप कहते हो हां तो आप अव्वल दर्जे के चुतिये हो क्योंकि आपके घर परिवार मे भी गंजेडी व शराबी मिल जाते होंगे। नशेडी सबसे पहले अपने बीवी-बच्चे को मारता हैं उसने कभी हाथ नहीं उठाया, एक दो लाख के कर्जे को कर्जा बताना निहायती बेवकूफी हैं क्योंकि मार्बल का व्यवसाय करने वाला चालीस पचास हजार हर महिने कमा लेता हैं अगर उसका काम पिछले कुछ महीनों से नहीं चल रहा हैं तो इसका मतलब ये तो नहीं कि वो हत्या कर देगा और बेरोजगारी का हत्या और लव जेहाद से क्या ताल्लुक है। ये सच हैं कि वो पश्चिम बंगाल जाकर उसके मुहल्ले कि एक लडकी को छुडाकर लाया था तो क्या उसे इस बात कि भी सजा मिलनी चाहिए?
मेन स्ट्रीम मीडिया और प्रिंट मीडिया उसे "वहशी दरिंदा "आदमखोर "नरपिशाच "इत्यादि नाम दे रहा हैं ,मैं पूछता हु डाॅ-नारंग के हत्यारे को ये नाम क्यों नहीं दिया गया और फिर दिल्ली के उस रिक्शे वाले को मारने वाले के लिये राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने रिपोर्ट क्यों नहीं मांगी ?
पुलिस उनके हत्यारों के लिये फांसी कि सजा कि मांग क्यों नहीं करती। क्या मरने का हक सिर्फ हिन्दुओं को हैं?
अगर ये दुर्दान्त हत्या थी तो वो क्या हैं जो केरल, कैराना और कश्मीरी हिन्दुओं के साथ हुई मुझे पता है अब आपके मुंह मे दही जम गया होगा ।
हां तो उस जमे हुये दही को फेंटिये ,घी बनाइये और उस चींगट को "उस जगह "लगाकर मजे लीजिये।