दिनेश कुमार प्रजापति
उदयपुर शहर चांदपोल क्षेत्र , कुछ मुस्लिम युवक सरेआम एक शादीशुदा जोड़े को रोककर महिला से बदतमीजी करते हैं , दूसरे दिन अखबार में समाचार पढ़के सारा शहर दंग रह जाता है कि उदयपुर जैसे शांत एवं सभ्य जगह पर जहाँ होली के दिन भी आप सपत्नीक दुपहिया वाहन पर निसंकोच आ जा सकते है वहाँ ऐसी हरकत ??
जिला राजसमंद ,गाँव धोइंदा
रैगर समाज के पुश्तेनी काम चर्मकारी को तथाकथित सामाजिक उत्थान आंदोलन और चमड़ा फैक्टरियां लूट चुकी तो अब यह समाज ज्यादातर कंस्ट्रक्शन साइटों पर मजदूरी करता है जहाँ कम पैसे के चक्कर में कई आयातित बंगलादेशी मुस्लिम भी मजदूरी /कारीगरी करते हैं।
ऐसे ही कुछ मुस्लिम कारीगरों ने रैगर समाज की 3-4 मज़दूरनियों को फांस कर पहले शोषण किया और फिर अपने साथ ले जाकर कालीचक (प.बंगाल का आपराधिक केंद्र ) वैश्यावृत्ति हेतु बेच दिया ।
उनमे से एक लड़की के मुँहबोले मामा का बेटा जो मार्बल का व्यापारी था और सजग धार्मिक नागरिक था वह स्तब्ध रह गया , दूर कस्बे की आग अब उनके पड़ोस के घर तक पहुंच चुकी थी । वह पुरुषार्थी था तो हिम्मत की अपनी बहन जैसी लड़की को बचाने उस "ममतामयी " चक्रव्यूह बंगाल से उस बहन को बचाके लाने की , मौत के घर में जल्लादों से भिड़ कर युक्ति लगा कर वह उस लड़की को ले आया ।
लड़की तो आ गई लेकिन उन दल्लों और जल्लादों के आंखों में खटक गया कि ऐसे तो यह दुकानदारी ही खत्म हो जाएगी जिसमें "सभी का हिस्सा " बदस्तूर पहुंचता है ।
बंगाली जल्लादों ने संदेश भिजवाया राजसमंद (हिंदुआ सूर्य की भूमि मेवाड़) के स्थानीय जल्लाद भाइयों को की इस गुस्ताख़ को इसकी औकात दिखाई जाए जिसने हमारे शिकार को बचाने की जुर्रत की ।
स्थानीय जल्लाद जिनके हौंसले हमेशा दीनी सहायता , मक्कारी तिकडमों और बेईमान बिके हुए हिन्दुओं की गद्दारी के बूते सातवें आसमान पर ही होते हैं वे लगे उस वीर को धमकाने , बारह साल की मानसिक दिव्यांग लड़की तक के कत्ल की धमकियों के साथ !
मूर्ख नही था वह ! पता था कि जो जंग उसने छेड़ी है उसमें सामने वाला पक्ष प्रतिघात तो करेगा ही पहले से अधिक घातक वार के साथ करेगा । बहुत विचार किया उसने , बहुत कागजी शेरों को एक्शन के नाम पर संवैधानिक होते देखा , कईयों ने तो बुद्ध ,महावीर और गांधी तक कि कसमें दिला दी लेकिन जाने वह कौनसी मिट्टी का बना था उसने क्रूरता का जवाब दो कदम और घटिया क्रूरता से देने का निर्णय किया ।
पता था उसे की पुलिस ,प्रशासन और कोर्ट से ज्यादा प्रश्न उन्ही के दिलों मे उठेंगे जिनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए वह अपना जीवन बलिदान करने जा रहा है ।
आप वीडियो देखकर विचलित हो गए ??
प्राकृतिक हैं ,नही देखा जाता , अभ्यास जो नही है , इराक मे isis के धर्मगौरव लड़ाकों द्वारा मारी गई कूर्द बच्चियों के केवल मृत शरीर देखियेगा ये वीडियो भूल जाएंगे आप ।
महाभारत के युद्ध में कृष्ण कहते है कि यह युद्ध है इसमे भीम भी चाहिए जो दुःशासन की भुजाएं उखाड़ फेंके और हृदय का रक्त पी जाएं , यहाँ घटोतकच भी चाहिए जो शत्रु सैनिक को बीच मैदान जीवित निगल जाए और धृष्टद्युम्न भी चाहिए जो द्रोण को मार सके जिसे मारने की इच्छा तुम पांडवों की कभी थी ही नहीं और किसी का यह सामर्थ्य नही ।
धृष्टद्युम्न ने जो किया सही किया या नही यह प्रश्न है ही नही ,प्रश्न है कि कौरवों के सफाये के लिए यह कृत्य अपरिहार्य हैं या नही , और हाँ यदि यह टाला जा सकता था तो द्रोपदी चीर हरण के नए संस्करण के लिए स्वयं को तैयार कर लो पार्थ ।
हिन्दू समाज को भी यह समझना पड़ेगा " its bloody war ! Damn war for the existence of fittest , at any cost ! "
शम्भू ने जो किया वह उचित /अनुचित , सही /गलत से परे अपरिहार्य मात्र था । बेईमान पुलिस , जालसाज शत्रु , सत्तालोलुप नेताओं और नपुंसक न्यायव्यवस्था से निराश एक स्वाभिमानी व्यक्ति और कर भी क्या सकता था ??
कौन जिम्मेदार है आखिर इस विभत्स घटना का ??
मात्र शंभु ?
मृतक अफराजुल ?
जेहादी मानसिकता जो अब वैश्यावृति जेहाद तक पहुंच गई है ?
हिन्दू -मुस्लिम वैमनस्य ?
वोट बैंक की प्यासी सरकारें ?
न्याय व्यवस्था की लीपापोती करने वाला प्रशासन ??
रिश्वतखोर भ्रष्ट पुलिस ?
सोते हिन्दू ??
क्या सभी जिम्मेदार नहीं है इस घटना के लिए ??
हर समाज कुछ लिखित -अलिखित नियमों से चलता है , स्त्री पर आधिपत्य भी एक ऐसा ही विषय है ।
आपको देश का कानून इजाजत दे सकता है अंतर्धार्मिक विवाह की लेकिन संबंधित समाज कभी इन संबंधों को स्वीकृति नही देता जिनके रीति ,रिवाजो , खान पान , रहन-सहन , जीवन मूल्यों एवं मुख्य विचारधारा में उत्तर -दक्षिण का फर्क हो !
हम कितने भी सभ्य सुसंस्कृत क्यों ना हो जायें स्त्री पर आधिपत्य को लेकर हमारे अवचेतन में हमेशा कबीलाई संस्कृति ही जिंदा रहेगी और खासकर तब जबकि एक पक्ष बिल्कुल आदिकालीन कब्जाई रणनीति पर उतर आया हो ।
क्या कोई जाति ,धर्म अपने अस्तित्व के लिए आत्मरक्षा के लिए लड़ें भी नही जबकि जिम्मेदार व्यवस्थाएं मात्र पाखंड कर के इतिश्री कर ले ।
जो मारा गया वह उस नेक्सस का सबसे आसान शिकार था , शम्भू ने लड़ाई की शुरुआत आसान शिकार से की ताकि बाकी के अपेक्षाकृत अधिक क्रूर और संसाधनों से लैस उसके साथी जल्लादों तक उसके आक्रमण का संदेश इस तरह से जाए कि उनकी चूलें हिल जाए , इसीलिये उसने इतना क्रूर कर्म करना स्वीकार किया जिसका स्वयं वह भी अभ्यस्त नही था ।
मुस्लिम कसाईयों ! चालाकी और धूर्तता आपको एक मोर्चा जितवा सकती है विश्वयुद्ध नहीं , ये काठ की हांडी रोज नहीं काम दे सकती । भारत मे रहकर हिन्दुओ के शोषण का जो अनैतिक पाप आप लोग चंद सत्तालोलुपों के उकसाने पर कर रहे हैं वह कभी न कभी आपके लिए अस्तित्व का खतरा बनके सामने आएगा ही और उस दिन ये लोग एक क्षण में पाला बदल लेंगे और आपके साथ दूसरा बर्मा घटित हो जाएगा । अपने युवाओं को बच्चों को दूसरे समाज की स्त्रियों के प्रति उचित व्यवहार का प्रशिक्षण दीजिये अन्यथा बिलो दी बेल्ट आघात का प्रतिघात सिक्स इंच बिलो दी बेल्ट ही मिलेगा ,यह तय है ।
हिन्दुओ की धार्मिक सहिष्णुता और वैचारिक टॉलरेन्स का बहुत दुरपयोग हो चुका अब भी वक्त है सुधर जाइये । भारत जैसी भूमि और ऐसे लोग कहीं नही मिलेंगे यह सिद्ध करने की आवश्यकता नही है ।
आपके नकली रहबर आजकल शम्भू की ही तरह माथे पर चंदन लगाए मंदिर मंदिर भटक रहे हैं ,ये इशारा है समझ जाइये ।
भाजपा सरकार और प्रशासन जो स्वयं बांग्लादेशियों को बंगाली आधार कार्ड देकर भारत भर के शांत इलाकों को बर्बाद करने के षडयंत्रों को देखते हुए भी शुतुरमुर्ग की तरह मिट्टी मे मुँह दबाके के बैठी है वह भी उतनी ही दोषी है जो अब इस घटना को शंभू की निजी सनक और मानसिक स्थिति का नाम देकर लीपापोती मे लगी हुई है ।
आखिर क्या हम अपने खून पसीने से टैक्स इसलिए चुकाते हैं कि ये बांग्लादेशी /रोहिंग्या दरिंदे हमारी ही भूमि और हमारे ही संसाधनों का दोहन करके हमारी ही बहन बेटियों से वैश्यावृत्ति करवायें ??
शर्मनाक है यह स्टैंड इन सरकारों का और इस घोर अन्यायपूर्ण आत्मघाती अन्धव्यवस्थाओं का ।
आज हजारों शांतिदूतों की भीड़ के सामने आप रेगरों के साथ अन्याय करके जो इस आग को दबाने का प्रयत्न कर रहे हो यही आग एकदिन ज्वालामुखी बनकर फूटेगी बर्मा ,मुजफ्फरनगर और गुजरात की तरह शायद तभी सभी को समझ आयेगा की राजसमंद में आखिर हुआ क्या था ?
वीडियो देख़कर आंसुओं से बुद्ध बन जाने वाले हिन्दुओ कम से कम चुप रहकर ही अपनी मूर्खता साबित होने से बचालो? अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब ये आग तुम्हारे भी घर के ठीक पास ही होगी ।। https://m.facebook.com/dineshkumar.kumar.5070?fref=nf&refid=52&ref=opera_speed_dial&_ft_=qid.6498862080791759691%3Amf_story_key.719499100830027103%3Atop_level_post_id.1625560880833460&__tn__=C-R
उदयपुर शहर चांदपोल क्षेत्र , कुछ मुस्लिम युवक सरेआम एक शादीशुदा जोड़े को रोककर महिला से बदतमीजी करते हैं , दूसरे दिन अखबार में समाचार पढ़के सारा शहर दंग रह जाता है कि उदयपुर जैसे शांत एवं सभ्य जगह पर जहाँ होली के दिन भी आप सपत्नीक दुपहिया वाहन पर निसंकोच आ जा सकते है वहाँ ऐसी हरकत ??
जिला राजसमंद ,गाँव धोइंदा
रैगर समाज के पुश्तेनी काम चर्मकारी को तथाकथित सामाजिक उत्थान आंदोलन और चमड़ा फैक्टरियां लूट चुकी तो अब यह समाज ज्यादातर कंस्ट्रक्शन साइटों पर मजदूरी करता है जहाँ कम पैसे के चक्कर में कई आयातित बंगलादेशी मुस्लिम भी मजदूरी /कारीगरी करते हैं।
ऐसे ही कुछ मुस्लिम कारीगरों ने रैगर समाज की 3-4 मज़दूरनियों को फांस कर पहले शोषण किया और फिर अपने साथ ले जाकर कालीचक (प.बंगाल का आपराधिक केंद्र ) वैश्यावृत्ति हेतु बेच दिया ।
उनमे से एक लड़की के मुँहबोले मामा का बेटा जो मार्बल का व्यापारी था और सजग धार्मिक नागरिक था वह स्तब्ध रह गया , दूर कस्बे की आग अब उनके पड़ोस के घर तक पहुंच चुकी थी । वह पुरुषार्थी था तो हिम्मत की अपनी बहन जैसी लड़की को बचाने उस "ममतामयी " चक्रव्यूह बंगाल से उस बहन को बचाके लाने की , मौत के घर में जल्लादों से भिड़ कर युक्ति लगा कर वह उस लड़की को ले आया ।
लड़की तो आ गई लेकिन उन दल्लों और जल्लादों के आंखों में खटक गया कि ऐसे तो यह दुकानदारी ही खत्म हो जाएगी जिसमें "सभी का हिस्सा " बदस्तूर पहुंचता है ।
बंगाली जल्लादों ने संदेश भिजवाया राजसमंद (हिंदुआ सूर्य की भूमि मेवाड़) के स्थानीय जल्लाद भाइयों को की इस गुस्ताख़ को इसकी औकात दिखाई जाए जिसने हमारे शिकार को बचाने की जुर्रत की ।
स्थानीय जल्लाद जिनके हौंसले हमेशा दीनी सहायता , मक्कारी तिकडमों और बेईमान बिके हुए हिन्दुओं की गद्दारी के बूते सातवें आसमान पर ही होते हैं वे लगे उस वीर को धमकाने , बारह साल की मानसिक दिव्यांग लड़की तक के कत्ल की धमकियों के साथ !
मूर्ख नही था वह ! पता था कि जो जंग उसने छेड़ी है उसमें सामने वाला पक्ष प्रतिघात तो करेगा ही पहले से अधिक घातक वार के साथ करेगा । बहुत विचार किया उसने , बहुत कागजी शेरों को एक्शन के नाम पर संवैधानिक होते देखा , कईयों ने तो बुद्ध ,महावीर और गांधी तक कि कसमें दिला दी लेकिन जाने वह कौनसी मिट्टी का बना था उसने क्रूरता का जवाब दो कदम और घटिया क्रूरता से देने का निर्णय किया ।
पता था उसे की पुलिस ,प्रशासन और कोर्ट से ज्यादा प्रश्न उन्ही के दिलों मे उठेंगे जिनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए वह अपना जीवन बलिदान करने जा रहा है ।
आप वीडियो देखकर विचलित हो गए ??
प्राकृतिक हैं ,नही देखा जाता , अभ्यास जो नही है , इराक मे isis के धर्मगौरव लड़ाकों द्वारा मारी गई कूर्द बच्चियों के केवल मृत शरीर देखियेगा ये वीडियो भूल जाएंगे आप ।
महाभारत के युद्ध में कृष्ण कहते है कि यह युद्ध है इसमे भीम भी चाहिए जो दुःशासन की भुजाएं उखाड़ फेंके और हृदय का रक्त पी जाएं , यहाँ घटोतकच भी चाहिए जो शत्रु सैनिक को बीच मैदान जीवित निगल जाए और धृष्टद्युम्न भी चाहिए जो द्रोण को मार सके जिसे मारने की इच्छा तुम पांडवों की कभी थी ही नहीं और किसी का यह सामर्थ्य नही ।
धृष्टद्युम्न ने जो किया सही किया या नही यह प्रश्न है ही नही ,प्रश्न है कि कौरवों के सफाये के लिए यह कृत्य अपरिहार्य हैं या नही , और हाँ यदि यह टाला जा सकता था तो द्रोपदी चीर हरण के नए संस्करण के लिए स्वयं को तैयार कर लो पार्थ ।
हिन्दू समाज को भी यह समझना पड़ेगा " its bloody war ! Damn war for the existence of fittest , at any cost ! "
शम्भू ने जो किया वह उचित /अनुचित , सही /गलत से परे अपरिहार्य मात्र था । बेईमान पुलिस , जालसाज शत्रु , सत्तालोलुप नेताओं और नपुंसक न्यायव्यवस्था से निराश एक स्वाभिमानी व्यक्ति और कर भी क्या सकता था ??
कौन जिम्मेदार है आखिर इस विभत्स घटना का ??
मात्र शंभु ?
मृतक अफराजुल ?
जेहादी मानसिकता जो अब वैश्यावृति जेहाद तक पहुंच गई है ?
हिन्दू -मुस्लिम वैमनस्य ?
वोट बैंक की प्यासी सरकारें ?
न्याय व्यवस्था की लीपापोती करने वाला प्रशासन ??
रिश्वतखोर भ्रष्ट पुलिस ?
सोते हिन्दू ??
क्या सभी जिम्मेदार नहीं है इस घटना के लिए ??
हर समाज कुछ लिखित -अलिखित नियमों से चलता है , स्त्री पर आधिपत्य भी एक ऐसा ही विषय है ।
आपको देश का कानून इजाजत दे सकता है अंतर्धार्मिक विवाह की लेकिन संबंधित समाज कभी इन संबंधों को स्वीकृति नही देता जिनके रीति ,रिवाजो , खान पान , रहन-सहन , जीवन मूल्यों एवं मुख्य विचारधारा में उत्तर -दक्षिण का फर्क हो !
हम कितने भी सभ्य सुसंस्कृत क्यों ना हो जायें स्त्री पर आधिपत्य को लेकर हमारे अवचेतन में हमेशा कबीलाई संस्कृति ही जिंदा रहेगी और खासकर तब जबकि एक पक्ष बिल्कुल आदिकालीन कब्जाई रणनीति पर उतर आया हो ।
क्या कोई जाति ,धर्म अपने अस्तित्व के लिए आत्मरक्षा के लिए लड़ें भी नही जबकि जिम्मेदार व्यवस्थाएं मात्र पाखंड कर के इतिश्री कर ले ।
जो मारा गया वह उस नेक्सस का सबसे आसान शिकार था , शम्भू ने लड़ाई की शुरुआत आसान शिकार से की ताकि बाकी के अपेक्षाकृत अधिक क्रूर और संसाधनों से लैस उसके साथी जल्लादों तक उसके आक्रमण का संदेश इस तरह से जाए कि उनकी चूलें हिल जाए , इसीलिये उसने इतना क्रूर कर्म करना स्वीकार किया जिसका स्वयं वह भी अभ्यस्त नही था ।
मुस्लिम कसाईयों ! चालाकी और धूर्तता आपको एक मोर्चा जितवा सकती है विश्वयुद्ध नहीं , ये काठ की हांडी रोज नहीं काम दे सकती । भारत मे रहकर हिन्दुओ के शोषण का जो अनैतिक पाप आप लोग चंद सत्तालोलुपों के उकसाने पर कर रहे हैं वह कभी न कभी आपके लिए अस्तित्व का खतरा बनके सामने आएगा ही और उस दिन ये लोग एक क्षण में पाला बदल लेंगे और आपके साथ दूसरा बर्मा घटित हो जाएगा । अपने युवाओं को बच्चों को दूसरे समाज की स्त्रियों के प्रति उचित व्यवहार का प्रशिक्षण दीजिये अन्यथा बिलो दी बेल्ट आघात का प्रतिघात सिक्स इंच बिलो दी बेल्ट ही मिलेगा ,यह तय है ।
हिन्दुओ की धार्मिक सहिष्णुता और वैचारिक टॉलरेन्स का बहुत दुरपयोग हो चुका अब भी वक्त है सुधर जाइये । भारत जैसी भूमि और ऐसे लोग कहीं नही मिलेंगे यह सिद्ध करने की आवश्यकता नही है ।
आपके नकली रहबर आजकल शम्भू की ही तरह माथे पर चंदन लगाए मंदिर मंदिर भटक रहे हैं ,ये इशारा है समझ जाइये ।
भाजपा सरकार और प्रशासन जो स्वयं बांग्लादेशियों को बंगाली आधार कार्ड देकर भारत भर के शांत इलाकों को बर्बाद करने के षडयंत्रों को देखते हुए भी शुतुरमुर्ग की तरह मिट्टी मे मुँह दबाके के बैठी है वह भी उतनी ही दोषी है जो अब इस घटना को शंभू की निजी सनक और मानसिक स्थिति का नाम देकर लीपापोती मे लगी हुई है ।
आखिर क्या हम अपने खून पसीने से टैक्स इसलिए चुकाते हैं कि ये बांग्लादेशी /रोहिंग्या दरिंदे हमारी ही भूमि और हमारे ही संसाधनों का दोहन करके हमारी ही बहन बेटियों से वैश्यावृत्ति करवायें ??
शर्मनाक है यह स्टैंड इन सरकारों का और इस घोर अन्यायपूर्ण आत्मघाती अन्धव्यवस्थाओं का ।
आज हजारों शांतिदूतों की भीड़ के सामने आप रेगरों के साथ अन्याय करके जो इस आग को दबाने का प्रयत्न कर रहे हो यही आग एकदिन ज्वालामुखी बनकर फूटेगी बर्मा ,मुजफ्फरनगर और गुजरात की तरह शायद तभी सभी को समझ आयेगा की राजसमंद में आखिर हुआ क्या था ?
वीडियो देख़कर आंसुओं से बुद्ध बन जाने वाले हिन्दुओ कम से कम चुप रहकर ही अपनी मूर्खता साबित होने से बचालो? अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब ये आग तुम्हारे भी घर के ठीक पास ही होगी ।। https://m.facebook.com/dineshkumar.kumar.5070?fref=nf&refid=52&ref=opera_speed_dial&_ft_=qid.6498862080791759691%3Amf_story_key.719499100830027103%3Atop_level_post_id.1625560880833460&__tn__=C-R
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