सोमवार, मई 07, 2012

सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए


यह द्रश्य देखकर शायद आपको अचम्भा हो लेकिन यह शहर के उस स्थान का है जहाँ से बरेली शहर के अधिकारीयों एवं नेताओ का गुजरना आम है।

जनता के हक की लड़ाई लड़ने के नाम पर वोट लेकर संसद मे पहुचने वाले नेता बेईमान साबित हो रहे है।
पहले राजनीती समाजसेवा के लिए की जाती थी अब तो नेता बाकायदा अपना व्यवसाय बताने लगे है... एक नहीं सेकड़ों एन जी ओ ऐसी है जो गरीबों के उदहार के नाम पर अनुदान लेकर अपनी जेबे गरम कर रही हैं।

गरीबों को कितना लाभ मिल रहा द्रश्य स्पष्ट कर रहा है। यह बात अब दूर तलक जरूर जाएगी क्योकि सब अपना अपना पेट भरने में लगे हुए हैं आम जनता से किसी को नहीं है सरोकार।


इन्सान को इन्सान के साथ खाना देखना कोई आम बात नहीं है लेकिन पेट की आग बुझाने के लिए बचा खाना सड़क पर डाला गया हो गरीब उठा कर खाने लगे ... इसी बीच गो माता आ जाएँ और वो भी खाने का लुफ्त उठाने लगे .... इन्सान तो इन्सान को ही भूलता जा रहा है लेकिन बेजुवान जानवर कितने समझदार हैं....जिसे इस इन्सान की पेट की आग देखकर तरस आ गया और दोनों साथ साथ खाने लगे।


हमारे देश मे ये बिडम्बना है एक आदमी महीने भर में बमुश्किल ३००० रूपये ही कमा पाता है वही दूसरा आदमी तीन लाख रुपये वेतन ले रहा है और साथ में बिभिन्न सुबिधाओं का आनंद भी उठा रहा है फिर भी करोड़ों के घोटाले कर रहा है लेकिन अभी भी भूखा है..... इसीलिए गरीबों की परवाह किये बगैर सिर्फ अपने लिए सोचता है_________


"हर सेकेंड भूख से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है.
यानी हर घंटे 3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 86400 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी हर साल 3,15,3600 लोगों की मौत भूख से होती है.
यानी 58 प्रतिशत मौते भूख की वजह से होती है_______"




सुना है इन्सान के दुःख दर्द का इलाज मिला है
क्या बुरा है अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाए

किसी ने सच ही कहा है-

वो भूख से मरा था,फ़ुटपाथ पे पड़ा था
चादर उठा के देखा तो पेट पे लिखा था
सारे जहां से अच्छा,सारे जहां से अच्छा
हिन्दुस्तां हमारा,हिन्दुस्त ां हमारा

भूख लगे तो चाँद भी रोटी नज़र आता है
आगे है ज़माना फिर भी भूख पीछे पीछे
सारी दुनिया की बातें दो रोटियों के नीचे

किसी ने सच ही कहा ...

माँ पत्थर उबालती रही कड़ाही में रात भर
बच्चे फ़रेब खा कर चटाई पर सो गए
चमड़े की झोपड़िया में आग लगी भैया
बरखा न बुझाए बुझाए रुपैया

किसी ने सच ही कहा ...

वो आदमी नहीं मुक़म्मल बयां है
माथे पे उसके चोट का गहरा निशां है

इक दिन मिला था मुझको चिथड़ों में वो
मैने जो पूछा नाम कहा हिन्दुस्तान है हिन्दुस्तान है

कुछ लोग दुनिया में नसीब लेके आते हैं
बाकी बस आते हैं और यूं ही चले जाते हैं
जाने कब आते हैं और जाने कब जाते हैं

किसी ने सच ही कहा ...

ये बस्ती उन लोगों की बस्ती है
जहां हर गरीब की हस्ती एक एक साँस लेने को तरसती है
इन ऊँची इमारतों में घिर गया आशियाना मेरा
ये अमीर मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए

भूख लगे तो चाँद ..........

किसी ने सच ही कहा______

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