मंगलवार, जून 12, 2018

राजीव गांधी की हत्या और अनकहे पहलू

Satish Chandra Mishra
# प्रधानमंत्री_की_हत्या_की_साज़िश_की_खबर_पर
# सोनिया_की_कांग्रेस_की_खिल्ली_ने_
# मुझे_चौंकाया_नहीं ।
21 मई 1991 की रात लगभग 9:40 पर तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या एक भयानक आत्मघाती बम विस्फोट के द्वारा कर दी गयी थी। आत्मघाती हमलावर का नाम धनु था और घटनास्थल पर रहकर हत्या की उस पूरी साज़िश को अंजाम देनेवाले आतंकी सरगना का नाम शिवरासन था। इतनी कहानी से तो लगभग पूरा देश परिचित है। लेकिन राजीव गांधी हत्याकांड के कुछ और सच भी थे। जो देश के सामने कभी सार्वजनिक नहीं हुए। कुछ लोगों को छोड़कर वह सच आजतक देश के सामने सार्वजनिक नहीं किये गए। उन सच्चाइयों की कोख से उपजे सवालों के जवाब ना खोजे गए, ना ही किसी और को खोजने दिया गया।
# पहला_सच
जिस श्रीपेरम्बदूर की चुनावी सभा में राजीव गांधी की हत्या हुई उस श्रीपेरम्बदूर की कांग्रेसी सांसद का नाम मार्गथम चन्द्रशेखर था और वही उस चुनावी सभा की मुख्य कर्ताधर्ता थी।
# दूसरा_सच
जिस आत्मघाती हमलावर धनु ने स्वयं को बम विस्फोट से उड़ाकर राजीव गांधी को मौत के घाट उतार दिया था। वह धनु श्रीलंका से भारत आकर तमिलनाडु में किसी और के घर में नहीं बल्कि मार्गथम चन्द्रशेखर के घर मे गेस्ट बनकर रह रही थी।
# तीसरा_सच
हाई सिक्योरिटी वाले जिस चुनावी सभा मे राजीव गांधी की हत्या हुई उस हाई सिक्योरिटी वाली चुनावी सभा तक मार्गथम चन्द्रशेखर की बेटी लता के साथ ही आत्मघाती हत्यारिन धनु पहुंची थी। लता बाद में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक भी बन गयी थी।
# चौथा_सच
जिस चुनावी सभा के मंच पर राजीव गांधी की हत्या हुई उस चुनावी सभा के आयोजन के लिए लिट्टे के आतंकी सरगना शिवरासन ने मार्गथम चन्द्रशेखर के बेटे ललित चन्द्रशेखर को 5 लाख रूपये दिए थे। ललित उसी श्रीपेरम्बदूर से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ रहा था। ललित की बीबी श्रीलंकाई थी और उसी के माध्यम से धनु मार्गथम चन्द्रशेखर के घर तक पहुंची थी।
ध्यान रखें कि जिस समय शिवरासन ने 5 लाख रुपये दिए थे उस समय देश में 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग 3500 रुपये थी। अर्थात तब के 5 लाख आज के 50 लाख के बराबर थे। इतनी बड़ी रकम कोई व्यक्ति किसी अपरिचित अनजान या कम परिचित व्यक्ति से कभी नहीं लेता।
# पांचवा_सच
तमिलनाडु कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वी राममूर्ति ने उस चुनावी सभा की कवरेज के लिए एक वीडियोग्राफर नियुक्त किया था जिसकी वीडियो फुटेज से यह पता चलता था कि हत्याकाण्ड से पहले धनु किन किन लोगों से घुलमिल कर बातें कर रही थी। वह वीडियो फुटेज उसके परिचितों की पहचान करा रही थी। वी राममूर्ति ने 22 मई को ही वह वीडियो हत्याकाण्ड की जांच के लिये आईबी के तत्कालीन चीफ एमके नारायणन को सौंप दिया था। जिसकी सूचना तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर को पत्र लिखकर भी दे दी गयी थी। लेकिन बाद में वह वीडियो गायब हो गया।
# छठा_सच
राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य जांच अधिकारी के.रागोथमन ने अपनी किताब Conspiracy to Kill Rajiv Gandhi: From the CBI Files. में बहुत साफ लिखा है कि हत्याकाण्ड की जांच के लिए बनी SIT के चीफ डी.कार्तिकेयन ने बाद में वी.राममूर्ति पर जबरदस्त दबाव डाला था कि वो वीडियो टेप देनेवाली बात पर ज्यादा जोर ना दे दें।
डी.कार्तिकेयन उस समय आईबी चीफ एमके नारायण के अधीन ही काम कर रहे थे। 2012 में एक इंटरव्यू में जब कार्तिकेयन से उस वीडियो के बारे में पूछा गया तो कार्तिकेयन ने साफ कह दिया था कि ऐसे किसी वीडियों की बात ही उन्हें याद नहीं।
# सातवां_सच
डी. कार्तिकेयन और एमके नारायणन ने मार्गथम चन्द्रशेखर और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को गिरफ्तार कर उनसे कभी पूछताश ही नहीं की।
# आठवां_सच
इतने बड़े बम धमाके में उस चन्द्रशेखर परिवार के किसी सदस्य और किसी भी बड़े कांग्रेसी नेता को खरोंच तक नहीं आयी। जबकि रजीव जब मंच पर थे तब आयोजक उनके बिल्कुल निकट होने चाहिए थे लेकिन वो सब एक सुरक्षित दूरी पर रहे।
आखिर क्यों.?
# नौवां_सच
उस सर्वाधिक महत्वपूर्ण सबूत वाले वीडियो के गायब होने से अत्यन्त क्रोधित हुए थे 1992 में देश का प्रधानमंत्री बने पीवी नरसिम्हा राव। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने 1992 में ही एमके नारायणन को आईबी चीफ के पद से हटाकर उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने जांच करने का आदेश CBI को दिया था। लेकिन पीवी नरसिम्हा राव के पद से हटते ही वह केस खत्म हो गया था तथा यूपीए की सरकार में एमके नारायणन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरीखा पद सौंप दिया गया था। उसके बाद यूपीए सरकार ने एमके नारायणन को बंगाल का गवर्नर बनाकर सम्मानित किया था।
के रागोथमन की किताब तथा श्रीलंका के एक अखबार में कई किस्तों में छपी राजीव हत्याकांड की जांच रिपोर्ट ऐसे कई अन्य तथ्यों से परिचित कराती है।
लेकिन उपरोक्त तथ्य ही मेरे लिए पर्याप्त हैं इसबात के लिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साज़िश की खबर की यदि सोनिया की कांग्रेस खिल्ली उड़ा रही है तो उससे यही उम्मीद की भी जानी चाहिए।
Comments
इंदिरा गांधी राजीव गांधी और संजय गांधी इन तीनों की हत्याओं के पीछे भयंकर षडयंत्र इटली में बैठे ईसाई मठाधीशों द्वारा भारत की सत्ता को पिछले दरवाजे से कबजाने के लिए किया गया है सोनिया इस पूरे खेल में एक बड़ा मोहरा है बड़ा ही दीर्घकालिक सोच के साथ सोनिया को इंदिरा गांधी के परिवार में फिट किया गया उसके बाद धीरे-धीरे जो रास्ते में आता गया उसको समाप्त कर दिया गया

इस हत्याकांड के जीवित अपराधियो से 4 बार जेल में जाकर सोनिया गांधी मिली थीं और उनकी अनुशंसा पर अपराधियों को सुविधापूर्ण श्रेष्ठ श्रेणी मिली हुई थी जो कि बड़े राजनीतिक कैदियों को मामूली से सजा पर मिलता है।

एक महत्वपूर्ण तथ्य ये भी है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद 7 वर्षों तक कांग्रेस और उसके समर्थन पर चलने वाली सरकारें रहीं लेकिन फिर भी जांच सही तरीके से नहीं हो पाई।
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