शनिवार, जनवरी 10, 2015

मन की बात Haider Rizvi

मन की बात - पार्ट २
सही है मुहम्मद साहब का कार्टून बनाने वालों को मार दो. इस्लाम के खिलाफ बोलने वाले का सर काट दो, कुरान जलाने वाले को जिंदा जला दो ... यही तो सिखाया है तुम्हारे मुहम्मद ने????
जिस मुहम्मद का नाम तुमने खुद इतना बदनाम कर रखा है उसके कार्टून से आज इतनी चिढ क्यूँ.?????? तुम कबसे मुहम्मद और इस्लाम की इज्ज़त करने वाले हो गए??????
तुम उसी बरबरियत की औलादें हों , जिसने कभी रसूल तक को चैन से जीने नहीं दिया. अपने मुहम्मद को उसकी ज़िन्दगी में ही तुमने पागल कहा, रसूल की बेटी (जिसके आदर में खुद रसूल खड़े हो जाते थे) के घर को जलाया, जलता दरवाज़ा गिरने से रसूल का नवासा उनकी बेटी के पेट में ही मर गया, मुहम्मद की उस बेटी को आम लोगों के बीच दरबार में खड़ा किया, मुहम्मद के नवासे को कर्बला में मारा. और यह सारे कुकृत्य तुमने "अल्लाहो अकबर" के नारे के साथ किये.
तुम्हारे तो तभी से करम ऐसे रहे हैं की इंसानियत क्या खुद हैवानियत शरमा जाय. इस अल्लाहो अकबर के नारे की आड़ में तुम्हारे गुनाह आखिर कब तक छिपते? तैमूर लंग जिसके नाम से आज भी कई वंश चलते हैं, जिसे इस्लामी योद्धा मानते हो,पता है इस्लाम के नाम पर कितने लोग मारे उसने????? 5% of current world population. वो मुग़ल वो औरंगजेब वो शाहजहाँ तुम्हारे आइडियल हैं जिनसे किसी शरीफ अरब राजघराने ने कभी रिश्ता तक करना गवारा नहीं समझा.
तुम्हारे जाहिल मुल्ला तुम्हे पागल बनाते रहेंगे और तुम ऐसे ही जानवर बनते रहना. सारे मुस्लिम आतंकवादी नहीं होते , लेकिन हरातान्क्वादी क्यूँ मुस्लिम होता है. बड़ा बुरा लगता है न? क्युकी तुम सब रंगे सियार हो. एक दिन जेहाद की तालीम देने वाले मुल्ला की दाढ़ी पकड़ कर मस्जिद के बाहर निकालो तो. देखो यही मीडिया तुम्हारी जय जयकार करती है या नहीं??? लेकिन नहीं. मीम भाई निभाने लग जाते हो जाहिलों.
जिस रसूल के कार्टून बनाने पर तुम जाहिलों का दिमाग खौल रहा है, जब उसकी ज़िन्दगी में, उसकी मस्जिद में एक गैर मुस्लिम पेशाब कर गया था, तब तुम्हारे बाप दादाओं का भी खून भी ऐसे ही खौला था. मुहम्मद ने सबको डांटा कि इसे नहीं पता मस्जिद की हुरमत, इसकी कोई गलती नहीं है, हमारी मस्जिद है इसे मैं खुद साफ़ करूंगा.
तो मुहम्मद की सुन्नत पर चलने वाले मुसलमानों! अब समय आगया है की खुद झाडू उठाओ और अपने इस्लाम की सफाई खुद शुरू कर दो, जैसे मुहम्मद खुद किया करते थे . अल्लाहोअकबर के नारों के पीछे की सियासत अब सबको समझ में आचुकी है. और अगर तुम यह नहीं कर पाए, तो याद रखना दस साल बाद दुनिया तुम्हे गेंहू के साथ घुन की तरह पीस डालेगी.
(ऊपर लिखी किसी भी तथ्य में अगर किसी मुल्ला को आपत्ति हो, तो मेरा दिमाग खाने के बजाय साक्षरता मिशन को आगे बढाते हुए नीचे लिखी किताबों का मुआयना करे. यह इस्लामिक इतिहास और हदीसों की सबसे पुरानी ऐतिहासिक किताबे हैं)
- गनीहतुततालेबीन - मौलाना महमूद अहमद
- सही बुखारी वोल्यूम ३
- अल अमामुरज़ैद
- अल खुल्फाऊर्राशिदीन - अब्दुल वह्हाब अल्नाजार
- उम्मादातुल क़ारी
- तारीख़े इस्लाम - मिहीनुद्दीन अहमज़र्वी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें