कुरान
और हदीस का रिफरेन्स और कृत्यों की वजह से सारे मुसलमानों को गलत बता देते
हैं कुछ लोग.. मगर ये सिर्फ अल्पज्ञान के कारण ही ऐसा करते हैं.. आप सबको
जानना चाहिए कि इस्लाम से कितनी शाखाएं निकली.. दुनिया में किसी भी धर्म की
इतनी शाखाएं नहीं हैं जितनी इस्लाम की हैं.. और इन सबकी मान्यताएं बिलकुल
भिन्न हैं
सुफिस्म: इस्लामिक सुफिस्म इस्लाम का ही हिस्सा है मगर इसकी शिक्षाएं इसकी अपनी हैं.. पूरी दुनिया में इस्लामिक सुफिस्म के तीन सौ से भी ज्यादा शाखाएं हैं और हर शाखा की अपनी अपनी शिक्षा है.. सुफिस्म की सारी शिक्षा वेदान्त, बुधिस्म और जेन ही की तरह हैं..
सुफिस्म: इस्लामिक सुफिस्म इस्लाम का ही हिस्सा है मगर इसकी शिक्षाएं इसकी अपनी हैं.. पूरी दुनिया में इस्लामिक सुफिस्म के तीन सौ से भी ज्यादा शाखाएं हैं और हर शाखा की अपनी अपनी शिक्षा है.. सुफिस्म की सारी शिक्षा वेदान्त, बुधिस्म और जेन ही की तरह हैं..
बहाई धर्म: ये भी इस्लाम से ही निकला है.. सय्यद अली मुहम्मद शिराज़ी इसके
संथापक थे.. जिन्होंने अपने आपको पैगम्बर घोषित किया और नया धर्म ही चला
दिया.. बाद में आखिर उनको मार डाला गया.. मगर बहाई धर्म फला फूला.. दिल्ली
का लोटस टेम्पल बहाई धर्म का केंद्र है
कादियानी (अहमदिया): ये भी इस्लाम का ही एक अंग है.. मिर्ज़ा गुलाम अहमद इसके संस्थापक हैं और इन्होने भी अपने आपको पैगम्बर घोषित किया.. इसकी शिक्षाएं इस्लाम से भिन्न हैं.. इसमें कृष्ण जी और भगवान् बुद्ध को भी अल्लाह का पैगम्बर माना गया है और उनको पैगम्बर जितना सम्मान दिया जाता है
नियाजी मुस्लिम: ये पन्थ “शमा नियाजी” द्वारा स्थापित किया है.. उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गावं में.. आज इनके मानने वालों की संख्या लाखों में है.. ये पंथ काबा को आदम की कब्र मानता है.. और आदम और मनु को पहला मानव मानता है.. और ये भी कि काबा हर धर्म के लिए है और इसे सबके लिए खोलना चाहिए.. इनकी अन्य शिक्षाओं में भी सनातन, वेदांत और बुद्ध की शिक्षाओं का समावेश है.. भगवान राम और अन्य लोगों को भी इसमें पूर्ण आदर दिया जाता है.. बड़े वहाबी विरोधों के बावजूद भी ये पंथ फलफूल रहा है
शिया इस्लाम: इस पंथ की मूल आस्था का केंद्र पैगम्बर मुहम्मद, और उनके दामाद अली और नवासे हसन हुसैन हैं.. शिया संप्रदाय का वहाबी सम्प्रदाय से मतभेद बहुत पुराना है.. शिया कुरान को तो मानता है मगर हदीस में मतभेद है.. शिया पंथ का मतभेद इस्लाम के कुछ खलीफाओं से भी है.. ये माना जाता है की सुफिस्म शिया इस्लाम से ही निकला था
सुन्नी मत: वैसे पूरी दुनिया के मुसलमानों को सुन्नी बोला जाता है.. मगर एशियाई देशो में सुन्नी मत भिन्न है.. भारत में सुन्नी “अहमद राजा खान बरेलवी” की शिक्षाओं को मानता है.. इसीलिए सुन्नियों की बरेलवी भी बोला जाता है और वहाबियों को देवबंदी.. सुन्नी मत पैगम्बर मुहम्मद को प्रथम रखता है और इनकी इनकी शिक्षाओं में धर्म को लेकर कट्टरपन कम पाया जाता है.. इनका अल्लाह से मिलने का सिलसिला पैगम्बर से होकर जाता है
वहाबी इस्लाम: सऊदी अरब और अन्य इस्लामिक देशो में ये मत ही सर्वोपरि है.. भारत में इसका केंद्र देवबंद है.. ये मत अपने आपको ही असली इस्लाम बताता है बाकी अन्य किसी भी इस्लामिक मत को ये नहीं मानता है.. इनमे अल्लाह पहले आता है बाकी सब कुछ उसके बाद.. ये मत मजारों और दरगाहों और हर उस चीज़ में जिसमे किसी और व्यक्ति या वस्तु की आराधना हो, को खारिज करता है..
और भी बहुत शाखाएं हैं इस्लाम की जिनके बारे में फिर कभी लिखूंगा..
कादियानी (अहमदिया): ये भी इस्लाम का ही एक अंग है.. मिर्ज़ा गुलाम अहमद इसके संस्थापक हैं और इन्होने भी अपने आपको पैगम्बर घोषित किया.. इसकी शिक्षाएं इस्लाम से भिन्न हैं.. इसमें कृष्ण जी और भगवान् बुद्ध को भी अल्लाह का पैगम्बर माना गया है और उनको पैगम्बर जितना सम्मान दिया जाता है
नियाजी मुस्लिम: ये पन्थ “शमा नियाजी” द्वारा स्थापित किया है.. उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गावं में.. आज इनके मानने वालों की संख्या लाखों में है.. ये पंथ काबा को आदम की कब्र मानता है.. और आदम और मनु को पहला मानव मानता है.. और ये भी कि काबा हर धर्म के लिए है और इसे सबके लिए खोलना चाहिए.. इनकी अन्य शिक्षाओं में भी सनातन, वेदांत और बुद्ध की शिक्षाओं का समावेश है.. भगवान राम और अन्य लोगों को भी इसमें पूर्ण आदर दिया जाता है.. बड़े वहाबी विरोधों के बावजूद भी ये पंथ फलफूल रहा है
शिया इस्लाम: इस पंथ की मूल आस्था का केंद्र पैगम्बर मुहम्मद, और उनके दामाद अली और नवासे हसन हुसैन हैं.. शिया संप्रदाय का वहाबी सम्प्रदाय से मतभेद बहुत पुराना है.. शिया कुरान को तो मानता है मगर हदीस में मतभेद है.. शिया पंथ का मतभेद इस्लाम के कुछ खलीफाओं से भी है.. ये माना जाता है की सुफिस्म शिया इस्लाम से ही निकला था
सुन्नी मत: वैसे पूरी दुनिया के मुसलमानों को सुन्नी बोला जाता है.. मगर एशियाई देशो में सुन्नी मत भिन्न है.. भारत में सुन्नी “अहमद राजा खान बरेलवी” की शिक्षाओं को मानता है.. इसीलिए सुन्नियों की बरेलवी भी बोला जाता है और वहाबियों को देवबंदी.. सुन्नी मत पैगम्बर मुहम्मद को प्रथम रखता है और इनकी इनकी शिक्षाओं में धर्म को लेकर कट्टरपन कम पाया जाता है.. इनका अल्लाह से मिलने का सिलसिला पैगम्बर से होकर जाता है
वहाबी इस्लाम: सऊदी अरब और अन्य इस्लामिक देशो में ये मत ही सर्वोपरि है.. भारत में इसका केंद्र देवबंद है.. ये मत अपने आपको ही असली इस्लाम बताता है बाकी अन्य किसी भी इस्लामिक मत को ये नहीं मानता है.. इनमे अल्लाह पहले आता है बाकी सब कुछ उसके बाद.. ये मत मजारों और दरगाहों और हर उस चीज़ में जिसमे किसी और व्यक्ति या वस्तु की आराधना हो, को खारिज करता है..
और भी बहुत शाखाएं हैं इस्लाम की जिनके बारे में फिर कभी लिखूंगा..
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