गुरुवार, मार्च 14, 2013

फास्ट फूड’ एवं शीतपेयसे बचें !

फास्ट फूड’ एवं शीतपेयसे बचें !

पाश्चात्यों समान भारतमें भी आज ‘फास्ट फूड’ की भोगवादी संस्कृति पैल रही है । पिज्जा, बर्गर, चिप्स इत्यादि ‘फास्ट फूड’, कृत्रिम एवं प्रक्रियासे तैयार किया गया अन्न है !

‘फास्ट फूड’ के सेवनसे शारीरिक हानि

‘फास्ट फूड’ पौष्टिक नहीं होता एवं पचनके लिए कठिन होता है । एक सर्वेक्षणसे ज्ञात हुआ है कि, ‘विदेशमें ‘फास्ट फूड’ एवं शीतपेयके अत्यधिक सेवनसे बच्चोंमें स्थूलता बढ रही है और उनके चेहरे विकृत दिख रहे हैं’ । इससे हृदयरोग होनेकी संभावना होती है, जंकफूडके कारण बांझपन आता है, दांत दुर्बलहो जाते हैं, कर्करोगकी संभावना होती है, दांत तिरछे निकलते हैं और जबडेका आकार छोटा हो रहा है ।

मनुष्यकी आयु घटती है

‘फास्ट फूड’ जैसे आहारके कारण शरीरका मोटापा बढता है । इससे मनुष्यकी आयु घट सकती है । ब्रिटेनके प्रा. डेविड किंगके एक शोधके निष्कर्षके अनुसार जंकफूड खानेसे हुए मोटापेके कारण मनुष्यकी आयु १३ वर्षतक घट सकती है ।

‘फास्ट फूड’ के कारण संभावित आध्यात्मिक हानि

अधिकांशतः ‘फास्ट फूड’ दीर्घ कालावधिके लिए संग्रहित अन्न होता है । इससे तमोगुण बढता है और अनिष्ट शक्तियोंको आकर्षित करता है । ऐसे ‘फास्ट फूड’ के सेवनसे वृत्ति तामसिक बनती है (उदा. चिडचिडापन, वर्चस्व, मत्सर इत्यादि दुर्गुण बढते हैं) तथा अनिष्ट शक्तियोंके प्रभावकी आशंका बढती है ।

सात्त्विक भारतीय पदार्थोंका सेवन करें !

भारतीय पदार्थ ताजे, पचानेमें हलके एवं पौष्टिक होते हैं । भारतीय पाककलामें, अन्नमें विद्यमान नैसर्गिक तत्त्वों एवं जीवनसत्त्वोंको नष्ट किए बिना, पदार्थोंपर प्रक्रिया (उदा. सेकना, उबालना, सलाद बनाना) ध्यानपूर्वक की जाती है । इसलिए भारतीय पदार्थ सात्त्विक भी होते हैं ।

उतने ही अन्नका सेवन कीजिए, जिससे आधा पेट भर जाए; एक चौथाई जलके लिए तथा शेष वायुके लिए रहे !

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