Shivam Shukla
ग्रामोफोन पर गूंजा प्रथम वाक्य 'वेद' था।
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ग्रामोफोन का आविष्कार 19 वीँ सदी मेँ थॉमस अल्वा एडिसन ने किया था। इलेक्ट्रिक बल्ब और मोशन पिक्चर कैमरा जैसे कई अन्य आविष्कार करने वाले एडिसन चाहते थे कि सबसे पहले ग्रामोफोन पर किसी प्रतिष्ठित विद्वान की आवाज रिकॉर्ड की जाये इसके लिये उन्होँने जर्मनी के प्रो. मैक्स मूलर को चुना जो 19 वीँ सदी की एक महान हस्ती थे उन्होँने एडिसन से कहा कि एक समारोह मेँ यूरोप के कई विद्वान इकट्ठा हो रहे हैँ, उसी दौरान ये कार्य ठीक रहेगा। इसके मुताबिक एडिसन इंग्लैँड यूरोप पहुँच गये समारोह मेँ हजारोँ लोगोँ के सामने उनका परिचय कराया गया। सभी लोगोँ ने एडिसन का करतल ध्वनि से स्वागत किया। बाद मेँ एडिसन की गुजारिश पर मूलर स्टेज पर आये और उन्होँने ग्रामोफोन के रिकार्डिँग पीस पर कुछ शब्द बोले, इसके बाद एडिसन ने डिस्क को चालू किया और ग्रामोफोन से निकलती आवाज को सभी दर्शकोँ को सुनाया सभी लोग रोमांचित हो उठे लोगो ने इस अनूठे आविष्कार के लिये एडिसन की जमकर प्रशंसा की।
इसके बाद मैक्स मूलर दुबारा स्टेज पर आये और दर्शकोँ से बोले -"मैँने ग्रामोफोन पर जो कुछ भी रिकॉर्ड किया क्या वो आप लोगोँ को समझ मे आया?"
श्रोताओँ मैँ सन्नाटा छा गया, क्योँकि मूलर जो बोले थे वो किसी को भी समझ मेँ नहीँ आया था फिर मैक्स मूलर ने उन्हेँ बताया कि-
"वे संस्कृत मेँ बोले थे यह ऋग्वेद का पहला श्लोक सूक्त था जो कहता है 'अग्निमीले पुरोहितं' यह ग्रामोफोन डिस्ट प्लेट पर रिकॉर्डेड पहला वाक्य था"
आखिर मूलर ने रिकॉर्ड करने के लिये यही वाक्य क्योँ चुना मैक्स मूलर ने इसके बारे मेँ कहा-"वेद इंसानो द्वारा रचित सबसे पहले ग्रंथ हैँ और यह वाक्य ऋग्वेद का पहला सूक्त है अति प्राचीन समय मेँ जब इंसान अपने तन को ढंकना भी नहीँ जानता था, शिकार पर जीवन-यापन करता था व गुफाओँ मेँ रहता था, तब हिन्दुओँ ने उच्च शहरी सभ्यता प्राप्त कर ली थी और उन्होँने दुनिया को वेदोँ के रूप मेँ एक सार्वभौमिक दर्शन प्रदान किया इसीलिये मैँने ये वाक्य इस मशीन पर रिकॉर्ड करने के लिये चुना"
हमारे देश मेँ ऐसी वैभवशाली विरासत है। जब इस वाक्य को फिर से रिप्ले किया गया तो वहाँ मौजूद तमाम लोग इस प्राचीन ग्रंथ के सम्मान मेँ खड़े हो गये।
ग्रामोफोन पर गूंजा प्रथम वाक्य 'वेद' था।
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ग्रामोफोन का आविष्कार 19 वीँ सदी मेँ थॉमस अल्वा एडिसन ने किया था। इलेक्ट्रिक बल्ब और मोशन पिक्चर कैमरा जैसे कई अन्य आविष्कार करने वाले एडिसन चाहते थे कि सबसे पहले ग्रामोफोन पर किसी प्रतिष्ठित विद्वान की आवाज रिकॉर्ड की जाये इसके लिये उन्होँने जर्मनी के प्रो. मैक्स मूलर को चुना जो 19 वीँ सदी की एक महान हस्ती थे उन्होँने एडिसन से कहा कि एक समारोह मेँ यूरोप के कई विद्वान इकट्ठा हो रहे हैँ, उसी दौरान ये कार्य ठीक रहेगा। इसके मुताबिक एडिसन इंग्लैँड यूरोप पहुँच गये समारोह मेँ हजारोँ लोगोँ के सामने उनका परिचय कराया गया। सभी लोगोँ ने एडिसन का करतल ध्वनि से स्वागत किया। बाद मेँ एडिसन की गुजारिश पर मूलर स्टेज पर आये और उन्होँने ग्रामोफोन के रिकार्डिँग पीस पर कुछ शब्द बोले, इसके बाद एडिसन ने डिस्क को चालू किया और ग्रामोफोन से निकलती आवाज को सभी दर्शकोँ को सुनाया सभी लोग रोमांचित हो उठे लोगो ने इस अनूठे आविष्कार के लिये एडिसन की जमकर प्रशंसा की।
इसके बाद मैक्स मूलर दुबारा स्टेज पर आये और दर्शकोँ से बोले -"मैँने ग्रामोफोन पर जो कुछ भी रिकॉर्ड किया क्या वो आप लोगोँ को समझ मे आया?"
श्रोताओँ मैँ सन्नाटा छा गया, क्योँकि मूलर जो बोले थे वो किसी को भी समझ मेँ नहीँ आया था फिर मैक्स मूलर ने उन्हेँ बताया कि-
"वे संस्कृत मेँ बोले थे यह ऋग्वेद का पहला श्लोक सूक्त था जो कहता है 'अग्निमीले पुरोहितं' यह ग्रामोफोन डिस्ट प्लेट पर रिकॉर्डेड पहला वाक्य था"
आखिर मूलर ने रिकॉर्ड करने के लिये यही वाक्य क्योँ चुना मैक्स मूलर ने इसके बारे मेँ कहा-"वेद इंसानो द्वारा रचित सबसे पहले ग्रंथ हैँ और यह वाक्य ऋग्वेद का पहला सूक्त है अति प्राचीन समय मेँ जब इंसान अपने तन को ढंकना भी नहीँ जानता था, शिकार पर जीवन-यापन करता था व गुफाओँ मेँ रहता था, तब हिन्दुओँ ने उच्च शहरी सभ्यता प्राप्त कर ली थी और उन्होँने दुनिया को वेदोँ के रूप मेँ एक सार्वभौमिक दर्शन प्रदान किया इसीलिये मैँने ये वाक्य इस मशीन पर रिकॉर्ड करने के लिये चुना"
हमारे देश मेँ ऐसी वैभवशाली विरासत है। जब इस वाक्य को फिर से रिप्ले किया गया तो वहाँ मौजूद तमाम लोग इस प्राचीन ग्रंथ के सम्मान मेँ खड़े हो गये।
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