बुधवार, अप्रैल 14, 2021

आए जानते हैं सकपाल उर्फ़ #अम्बेकडर के अनजान पहलूएँ:

 जितने भी मित्रगण नीलटे भीमटे कहकर सम्बोधन करते हैं वे अधिक हानि करते हैं। आप लोग कृपया कर शब्दावली का चयन तनिक सोच समझकर किया करें।


ये भोले भाले लोग एक गलत व्यक्ति के दुर्प्रचार का शिकार हैं। आप अम्बेकडर की वास्तविकता पूरी प्रमाणिकता से रखिए, सब तो नहीं कुछ के आचरण एवम व्यवहार में बदलाव आएगा ही। अम्बेकडर पूर्ण रूप से ढोल के भीतर पोल हैं। आप लोग अध्ययन तो कीजिए। उनके लिखे हुए पुस्तकें एवम उनका देशविरोधी व्यक्तव्य ही बहुत है उनका बोरिया बिस्तर बांधने के लिए। इन बेचारों भोले भाले लोगों को इस तरह से सम्बोधन समाज से दूर ही ले जाएगा।

न जाने कितने मैसेंजर इनबॉक्स में आते हैं, उनका कथन यही रहता है कि भैया इनके चक्कर में हमारा समाज विक्षिप्तता को प्राप्त हो रहा है, अभी तो उड़ रहें हैं, कल को जब उनके अनजान पहलू सब को ज्ञात होगा तो हमारा क्या होगा? जिस स्तर पर झूठे $T $C एक्ट लगते हैं, वह भी 30 वर्ष बाद हमारे विरुद्ध बहुत घातक रूप में होगा। हम कहीं के नहीं रहेंगे। इनको यह उत्तर देते हैं कि यही तो इस औपनिवेशिक Constitution का उद्देश्य है। दोनो ओर से समाज उलझा रहेगा। अन्तत: स्वतः घृणा करते करते वह कुछ और बनेगा। वह कुछ और क्या बनेगा यह समझने के लिए अम्बेकडर को ही पढ़ों, जब वे बचपन में बियाबल पढ़ते थे, मसीहा बनना उनका उद्देश्य था, वे प्रकृति पूजक पेगन से घृणा करते थे।

तो आए जानते हैं सकपाल उर्फ़ #अम्बेकडर के अनजान पहलूएँ:

■1. अम्बेकडर बचपन से बायबल पढ़कर बड़े हुए थे।माननीय आम्बेडकर जी बायबल को एक समर्पित विद्यार्थी के रूप पढ़ते थे, उनके घर पर बायबल साहित्य का पूरा ढेर था औऱ जिसके कारण से वे अपनी तुलना बायबल के मोशेज़ (Moses) से करत थे।

स्त्रोत : DR. AMBEDKAR LIFE AND MISSION by KEER DHANANJAY, Page 493 https://archive.org/details/dli.bengal.10689.12635/page/n517/mode/2up?q=moses

■ 2. वह वे ही थे जिन्होंने शूद्रो को अनटचेबल (UNTOUCHABLE) वास्तविक अर्थों में घोषित करने की सिफारिश की थी। इससे पहले अछूत का इस्तेमाल काल्पनिक सेन्स (पेज 203, लास्ट पैरा) में किया गया था। वे तीनों एकल समुदायों को दो द्विजात वर्गों को एक ही रूप Untouchable के रूप में करने के लिए सहमत हुए। जैसे:

(१) भोकसा समूह .. ३०,००० (TOUCHABLE) / १९०२८ (UNTOUCHABLE)
(२) कोरी समूह .. १५४,८६७ (TOUCHABLE) / ७७५,८३९ (UNTOUCHABLE)
(३) चमार समूह .. २,०००,००० (TOUCHABLE) / ४,१८७, ७७०(UNTOUCHABLE)

[क्या आप सोच सकते हैं, एक ही समूह के लोग “टचेबल” और “अनटचेबल” में विभाजित थे। क्या मापदंड था?]
Source: Indian Franchise report, 1932, Note by Dr Ambedkar, pages 202, 203 and 210.
Weblink. https://eci.gov.in/files/file/7441-indian-franchise-committee-vol-i-1932/

■ 3. वे ही थे जो “अरख समूह” को “अनटचेबल” घोषित करना चाहते थे, जिन्हें अन्यथा “टचेबल” के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
Source: Source: Indian Franchise report, 1932, Note by Dr Ambedkar, page 20.
Weblink.https://eci.gov.in/files/file/7441-indian-franchise-committee-vol-i-1932/

■ 4. उन्होंने इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि "नाई" को “अनटचेबल” क्यों नहीं माना गया।
Source: Source: Indian Franchise report, 1932, Note by Dr Ambedkar, page 203.
Weblink.https://eci.gov.in/files/file/7441-indian-franchise-committee-vol-i-1932/

■ 5. उन्होंने कहा की “भारत में ब्रिटिश शासन “अनटचेबल” द्वारा प्रदान की गई सहायता से ही, ब्रिटिश का अस्तित्व है। इससे बड़ी कोई गलती नहीं हो सकती कि कई ब्रिटिशों का मानना ​​है कि भारत को क्लाइव, हेस्टिंग्स, कोट से विजय प्राप्त हुई थी। दरसल, भारत को भारतीयों की सेना ने जीत लिया था और जिन भारतीयों ने सेना बनाई थी वे सभी “अनटचेबल” थे। ”

[(ब्रिटिश) कैबिनेट मिशन के एक सदस्य, ए वी अलेक्जेंडर को उनके लिखे पत्र के अनुसार, 14 मई 1946 को लिखा गया था]
Source: अंबेडकर वांग्मय, खंड 10, पृष्ठ 496 (इंग्लिश)
WebLink. https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_10.pdf

■ 6. उन्होंने आगे कहा, 'अगर भारत में “अनटचेबल” ने भारत को जीतने में मदद नहीं की होती तो भारत में ब्रिटिश शासन असंभव हो जाता। “प्लासी” की लड़ाई को ही ले लो, ब्रिटिश शासन की शुरुआत या “किर्की” की लड़ाई जिसने भारत की विजय को पूरा किया। इन दोनों भयंकर युद्धों में अंग्रेजों के लिए लड़ने वाले सैनिक सभी “अनटचेबल” थे।
स्रोत: अंबेडकर वांग्मय, खंड 10, पृष्ठ 496-497(इंग्लिश)
WebLink. https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_10.pdf

■ 7. भाषण में उन्होंने ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहते हैं “प्रधानमंत्री, मुझे एक बात स्पष्ट करने की अनुमति दें। “डिप्रेस क्लास” वर्ग चिंतित नहीं हैं, वे मुर्ख नहीं हैं, इन सबने कोई ब्रिटिश विरुद्ध ”तत्काल सत्ता हस्तानान्तरण” हेतु कोई आंदोलन शुरू नहीं किया है| ब्रिटिश लोगों के खिलाफ उनकी विशेष शिकायतें हो सकती हैं, और मुझे लगता है कि मैंने उन्हें स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त रूप से आवाज़ उठाई है कि हम उन शिकायतों को सबसे अधिक तीव्रता से महसूस सके| लेकिन, तथ्य यही है की कि “डिप्रेस्ड क्लास” वर्ग राजनीतिक सत्ता के हस्तांतरण के लिए संघर्ष नहीं कर रहे हैं।
स्रोत: आंबेडकर वांगमय, खंड 9, पृष्ठ 66 (इंग्लिश)
WebLink. https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_09.pdf

■ 7. अपनी स्वयं की पुस्तक, "शूद्र कौन थे" के अनुसार, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि शूद्र आर्य हैं और उन्होंने आगे उन्हें क्षत्रिय घोषित किया।

स्रोत: बी आर अंबेडकर द्वारा शूद्र कौन थे, पृष्ठ IV
वेबलिंक: https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.282497/page/n7/mode/2up/search/solar+race

■ 9. उनके दादा (आजोबा) ने ईस्ट इण्डिया कंपनी की सेना में सेवा के लिए अपने वंशानुगत व्यवसाय को छोड़ दिया था, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की शुरुआत से ही उनके पिता ने भी परिवार की परंपरा का पालन किया और सेना में सेवा की मांग की। उनके पिता एक अधिकारी के पद तक पहुंचे, और जब वे सेवानिवृत्त हुए तो एक सूबेदार थे।

स्रोत: एक वीजा की प्रतीक्षा कर रहा है, आंबेडकर वांगमय, खंड १२, पृष्ठ 665 (इंग्लिश)
WebLink. https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_12.pdf

■ 10. जब लाखों भारतीय भुखमरी से मर रहे थे, तो उनका परिवार एक नए स्थान पर जाने के लिए बड़ी तैयारी करने में व्यस्त था। यात्रा के लिए अंग्रेजी के नए शर्ट [= स्टाइल], चमकीले बेजल वाले कैप, नए जूते, रेशम की सी-बॉर्डर वाली धोती [= लिपटे हुए निचले वस्त्र] का आदेश दिया गया। उनके पिता ने उनकी यात्रा के संबंध में उन्हें सभी विवरण दिए थे, और उनसे कहा था कि वे उन्हें सूचित करें कि वे किस दिन शुरू कर रहे थे, ताकि वह अपने चपरासी को हमसे मिलने और हमें लेने के लिए रेलवे स्टेशन भेज सकें।

स्रोत: एक वीजा की प्रतीक्षा कर रहा है, आंबेडकर वांगमय, खंड १२, पृष्ठ ६६६ (इंग्लिश)
WebLink. https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_12.pdf

■11. 'अंबेडकर' नाम से उनका एक ब्राह्मण शिक्षक था। वह ब्राह्मण शिक्षक भीमराव के लिए दोपहर के भोजन के ब्रेक के दौरान, बिना किसी गलती से कुछ रोटी और सब्जियां पैक करता था और हर दिन लाता था, कि ब्राह्मण शिक्षक उसे बुलाते थे और उसे खुद के भोजन से कुछ रोटी और सब्जियां देगा।
स्रोत: उनके अपने जीवनी लेखक “खिरोडे” को बताया
WebLink.http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/khairmode_shukla.html#namesake

■12. 13 साल की उम्र में वह एलफिन्स्टन, मुंबई में सरकारी मिशनरी स्कूल में चले गए और केवल अपने ही “अनटचेबल” छात्र बन गए। (क्या कोई कल्पना कर सकता है कि वह मिशनरी स्कूल में मात्र वही “अनटचेबल” थे?)

■13. उनके पास संस्कृत भाषा की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी। कोई रिकॉर्ड नहीं हैं। इसके अलावा, अपनी पुस्तक में उन्होंने अपनी DEFICIENCY को संस्कृत भाषा में स्वीकार किया और प्रोटेस्टेंट क्रिस्चन (जॉन मुइर, विलिम जोन्स, फ्रेडरिक मैक्समूलर और एम ए शेरिंग) द्वारा लिखित हिंदू शशत्रों के अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ा।

[हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी भी प्रोटेस्टेंट क्रिस्चन ने संस्कृत भाषा में कोई औपचारिक शिक्षा हासिल नहीं की है, फिर भी भीमराव जी बने उनके लेखन को सच्चे शाश्त्र के रूप में चुना है। कोई भी ज्ञान नहीं होने के बावजूद भीमराव ने हिन्दू शाश्त्रों जैसे कि वेद, स्मृति-ग्रंथ, श्रुति, उपनिषद और पुराणों पर टिप्पणी की]

स्रोत: डॉ. बी.आर अम्बेडकर द्वारा शूद्र कौन थे, पृष्ठ IV
WebLink.https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.282497/page/n7/mode/2up

■14. वे एक औसत छात्र थे, उसने 750 में से 282 अंक प्राप्त किए थे, उसका उच्चतम स्कोर फारसी भाषा में था।

स्रोत: धनंजय कीर, डॉ. अंबेडकर: जीवन और मिशन, बॉम्बे: लोकप्रिय प्रकाशन, 1954, पृष्ठ 19
Weblink. https://archive.org/details/dli.bengal.10689.12635/page/n7/mode/2up

■15. वे सबसे पहले शूद्रों को “मेनियल्स” के रूप में संबोधित करने वाले पहले व्यक्ति थे।
स्रोत: डॉ। अंबेडकर द्वारा शूद्र कौन थे, पृष्ठ 3
WebLink.https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.282497/page/n7/mode/2up

■16. उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी "मनुस्मृति" नहीं पढ़ी। अपने लेखन में उन्होंने ऐसा ही कहा कि उन्होंने भार्गव की कुछ स्मृति पढ़ी थी।

स्रोत: अंबेडकर वांगमय, खंड 3, पृष्ठ 270
WebLink. https://www.mea.gov.in/Images/attach/amb/Volume_03.pdf

■17. महात्मा गांधी को दिए अपने जवाब में उन्होंने लिखा, “मुझे यकीन है कि हिन्दू गलत आदर्शों को पालन करते हैं और एक गलत सामाजिक जीवन जीते हैं। हिंदुओं और हिंदू धर्म के साथ मेरा झगड़ा उनके सामाजिक आचरण की कमियों पर नहीं है। यह बहुत अधिक मौलिक है। यह उनके आदर्शों से अधिक है।”

स्रोत: डॉ अम्बेडकर द्वारा महात्मा को पत्र, बिन्दु. संख्या. ४४ [कोई भी उनके लेखन से इस तरह का उद्धरण प्राप्त कर सकता है, जिसका नाम जाति उन्मूलन है (Annihilation of caste)]
WebLink.http://ccnmtl.columbia.edu/projects/mmt/ambedkar/web/appendix_2.html

■18.. माननीय अम्बेडकर जी कहते हैं कि "यदि हिन्दू राज वापस आ गया तो इसमें कोई सन्देह नहीं होगा कि यह सबसे अधिक प्राकृतिक विपत्ति इस देश पर आ जायेगा। चाहे हिन्दू कुछ भी कहें, हिन्दू धर्म, लिबर्टी, समानता, और भाईचारा के लिए सबसे खराब है। हिन्दू राज को आने से बचाना चाहिए, किसी भी मूल्य पर।

Source: DR. BABASAHEB AMBEDKAR : WRITINGS AND SPEECHES, Volume 8, page 358
मूलतः यह बात उन्होंने अपनी पुस्तक "Pakistan or the Partition of India" में कही है।

■19. अम्बेडकर जी के अनुसार अथर्ववेद Vulger है।

Source:Who were The Shudras : Dr B. R. Ambedkar- page -84

[सनातन के अतिरिक्त यदि कोई अन्य धर्म के व्यक्ति ने किसी धर्म पुस्तक को Vulgar लिखा होता तो उसे बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता। लेकिन हिन्दुओं ने कभी भी लेखक को किसी तरह की हानी नहीं पहुंचाई बल्कि बदले में उनको संविधान सभा का अंग बनाया गया।]

■20.. अम्बेडकर कहते हैं कि "राम का जन्म चमत्कारी है और कहने के अनुसार उनका जन्म ऋषि श्रृंग द्वारा बनाए खीर के खाने के से हुआ है, यह कहानी अलंकृत रूप से कही जाती है ताकि एक नंगा सत्य छुपाया जा सके कि राम का जन्म कौशल्या और ऋषि श्रृंग से हुआ जो दोनो पति पत्नी नहीं थे..........और भी अन्य घटनाएं हैं जो राम के जन्म को विवादित चरित्र बताते हैं जिसे नकारा नहीं जा सकता है।"

अम्बेडकर जी ने इसका कोई स्त्रोत नहीं दिया हैं।

[अब विचार कीजिए कि सरकार इनको भारत रत्न दी है? किस कार्य के लिए? यह प्रश्न सनातनियों को पूछना चाहिए। आजकल राष्ट्रवादी इनको पूजते हैं। किस आधार पर?]

Source: Ambedkar Wangmay, Volume 4, Page 344

उन्होंने मूलतः यह बात Riddles in Hinduism में लिखा है। उनको संस्कृत भी नहीं आती थी।

https://ia800409.us.archive.org/17/items/Dr.BabasahebAmbedkarWritingsAndSpeechespdfsAllVolumes/Volume_04.pdf

■21. सायमन किमीशन के समक्ष जब माननीय आंम्बेडकर जी पूछा गया क्या वे चाहते हैं कि Criminal और Aboriginal Tribes को भी वोट देने का अधिकार मिले? Criminal Tribe को वोट के अधिकार से मना कर दिया था। उन्हें ऐसा नहीं लगता था था कि यह सम्भव है कि की उन्हें वोट देने का अधिकार (Adult Suffrage) मिले।

स्रोत: Ambedkr’s Writings and Speeches, Vol. 2. Page 459 and next two pages

(ध्यान रखिए भारत की बहुत सी जातियों को 1871 ई में जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया था।)

◆ 22. एक असत्य बात प्रचारित किया जाता है कि आंम्बेडकर जी ने जर्मनी में Bonn University में संस्कृत का अध्ध्यन किए थे। जबकि सत्य यह है कि वहां पर भी उन्होंने एकॉनॉमिक्स की पढ़ाई के लिए स्वयम को रजिस्टर किया था, संस्कृत के लिए नहीं। केवल इतना ही नहीं, अप्रैल 1921 ई में उनका रजिस्ट्रेशन हुआ था लेकिन वे कभी एक भी लेक्चर को अटेंड नहीं किया था, परिणामस्वरूप 7 महीने बाद, जनवरी 1922 ई में उनका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया गया था। उन्होंने कभी जर्मनी में संस्कृत का अध्ययन किया ही नही।

Source: Ambedkar studies at Heidelberg by Maren Bellwinkel-Schempp
https://velivada.com/2015/01/18/dr-ambedkar-in-germany/

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ज्वलन्त विचारणीय प्रश्न: बताओ भला! वे चाहते थे की हर एक हिन्दू के कुल (जाति) का सर्वनाश (Annihilation) हो जाए. नही तो कोई ऐसी पुस्तक क्यों लिखेगा ? और आप सबको उसके बारे में कुछ पता ही नहीं है।

(कॉपी-पेस्ट करके ही लोगों के साथ साझा करना है। मात्र शेयर नहीं करना है। प्रत्येक व्यक्ति तक पंहुचाना है. अथक अनुसन्धान के बाद लिखा है)

👉 नीचे लगे फ़ोटो को ध्यान से देखिए कैसे जिनेऊधारी ब्राह्णण, कोट पैंट धारी सकपाल का शोषण कर रहा है।। 



लेख साभार देवदास सिंघानिया

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