#सलीम_की_सौतेली_मां_थी_अनारकली !
" तथ्य जो कभी बताया/ पढ़ाया ही नही गया "
अनारकली का नाम #मुग़लिया सल्तनत की सबसे रोमांचक प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है। सम्राट अकबर के बेटे #सलीम की प्रेमिका के तौर पर प्रसिद्द #अनारकली को ज्यादातर लोग एक काल्पनिक पात्र मानते हैं। प्रचलित कथाओं में अनारकली अकबर के दरबार की एक खूबसूरत नर्तकी थी जिसे शहजादा सलीम दिल दे बैठा था और जो शाही अहंकार और गद्दी की सियासत की भेंट चढ़कर दीवारों में चिनवा दी गई। वस्तुतः इस प्रेम कहानी की हकीकत कुछ और है। यह एक वर्जित और नाजायज़ रिश्ता था जिसे हमारे कुछ अदीबों और फिल्मकारों ने लैला-मजनू और शीरी-फरहाद की तर्ज़ पर ट्रैजिक प्रेमकथा में तब्दील करने की नीयत से न सिर्फ इतिहास बल्कि नैतिक और पारिवारिक मूल्यों के साथ भी खिलवाड़ किया।
अनारकली के ज़िक्र इतिहास में कम, विदेशी पर्यटकों की यात्रा विवरणों में ज्यादा आए है। एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में उसकी चर्चा ब्रिटिश लेखक #सैमुअल_परचास द्वारा संपादित 1625 की एक किताब ‘परचास हिज पिलग्रिम्स’ में हुई है। इस किताब में 1611 में लाहौर की यात्रा करने वाले अंग्रेज व्यापारी #विलियम_फिंच ने बाबा शेख फरीद की मस्जिद के पास अकबर की एक प्रिय बीवी अनारकली की कब्र देखने की बात कही है। उसने अनारकली को अकबर के एक बेटे #दानियाल की मां बताया है जिसका शहजादे सलीम के साथ #नाजायज़ रिश्ता था। तब अनारकली #चवालीस साल की थी और सलीम #तीस साल का। इस रिश्ते से नाराज़ अकबर ने अनारकली को महल की एक दीवार में चिनवा दिया था। सलीम ने बादशाह बनने के बाद अनारकली की याद में एक आलीशान मकबरा तामीर करने का आदेश दिया था जो फिंच की यात्रा के समय अभी निर्माणाधीन था। फिंच के पांच साल बाद ब्रिटेन के एक पादरी #एडवर्ड_टैरी ने अपनी यात्रा रिपोर्ताज में लिखा है कि अकबर ने अपनी सबसे प्रिय पत्नी #नादिरा_बेगम उर्फ़ अनारकली के साथ नाज़ायज रिश्ते के कारण शहज़ादे सलीम को उत्तराधिकार से वंचित कर दिया था। वह अनारकली के बेटे दानियाल को उत्तराधिकार सौंपना चाहता था, लेकिन दानियाल की मौत के कारण मृत्युशैया पर उसने अपना आदेश वापस ले लिया था। 'द लास्ट स्प्रिंग : द लाइव्स एंड टाइम्स ऑफ द ग्रेट मुगलस' के लेखक #अब्राहम एराली ने भी अनारकली को अकबर की बीवी और उसके बेटे दानियाल की मां बताया है। इतिहासकार #अब्दुल_लतीफ ने 'तारीख-ए-लाहौर' में लिखा है कि सलीम से इश्क के चलते अकबर की एक बीवी अनारकली को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इतिहासकार हेरंब चतुर्वेदी ने भी इस रिश्ते को नाजायज़ बताया है। कुछ लोग अनारकली को सिर्फ इसीलिए खारिज़ करते हैं कि अबुल फ़ज़ल की किताब 'आईने अकबरी' में उसका ज़िक्र नहीं है। उन्हें समझना चाहिए कि अकबर के एक दरबारी इतिहासकार की किताब में ऐसे वर्जित संबंधों का ज़िक्र हो भी कैसे सकता था ?
अनारकली अकबर के दरबार की रक्कासा नहीं, अकबर की एक प्रिय पत्नी और सलीम की सौतेली मां थी। उसकी वास्तविकता का सबसे बड़ा सबूत लाहौर में मौज़ूद अनारकली का मक़बरा और कब्र है। जहांगीर द्वारा अपने शासनकाल में बनवाए इस मक़बरे को लोग दूसरा ताजमहल कहते हैं। इसी मकबरे के भीतर अनारकली की कब्र है जो उन्हीं दो दीवारों के बीच बनी बताई जाती है जिनमें अनारकली को चिनवा दिया गया था। कब्र पर जहांगीर ने दो मिसरे खुदवाए हैं जिनका अनुवाद देखिए - अगर मैं अपनी प्रिया का चेहरा एक बार फिर अपनी दोनों हथेलियों में थाम सकूं तो मैं क़यामत के दिन तक ख़ुदा का शुक्रगुज़ार रहूंगा !
( आदरणीय #Dhruv_Gupt जी द्वारा लिखित )
Iqbal Singh Patwari जी की वाल से
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