शुक्रवार, जुलाई 17, 2020

दुबई में हिंदू लड़कियों के हालात पर अशोक भारती जी की रिपोर्ट

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मैने दुबई भ्रमण के दौरान होटलों रेस्तरां नाचघरों में लड़कियां को काम करते हुए देखा, जब भी मैंने उनसे बात करने के प्रयास किया, वह सहम जाती थी रात को बाहर जाते समय उनके साथ 1-2 नीग्रो होते थे मैने कई बार प्रयास किया ,फिर मैंने एक पठान टैक्सी ड्राईवर की मदद से नीग्रो को कुछ पैसे देकर बात करने पर राजी किया और हमारी भेट १ भारतीय रेस्टोरेंट सागर रत्न में हुई। सभी लड़कियां भारत के अलग अलग भागों से अच्छे परिवारों से है और कुछ एक ने तो अपने परिवार से विद्रोह करके अपने ही घर से चोरी करके गहने-कैश लेकर अपने मुस्लिम प्रेमी के साथ भाग कर विवाह किया था और कुछ महीने प्रेमी के साथ बिताने के बाद दुबई घूमने आयी थी, और मुस्लिम लड़को ने उनके साथ ऐश करने के बाद उन्हें बेच दिया था। कुछ ने बताया कि उनका मुस्लिम पति दुबई में ही जॉब करता है और साथ रखने के लिए आई थी पर यहाँ बेच दिया गया
उनमें से ३ लड़कियां तो ऐसी थी जिन्हे १ ही मुस्लिम लड़के अलग अलग स्थानों पर विवाह कर के यहाँ बेचा था,उन लड़कियों ने बताया कि हमारे अलावा भी बहुत सी लड़कियां है जो अलग अलग होटलों नाच घरों में नरक भोग रही है। अधिकतर लड़कियां ने बताया कि उन्होंने बड़ा अपराध किया। और उसकी सजा के रूप में नरक भोग रही है।
मैने उन्हें वापिस भारत अपने घर लौटने के लिए कहा तो सब ने मना कर दिया ,अब उनके लिए भारत में कुछ नहीं है ,हम न तो परिवार और समाज को अपना मुँह दिखाने लायक रही और न हमारे पास कोई दूसरा सोर्स जिससे अपने रहने खाने की व्यवस्था कर सके ,अब तो इसी नरक रहना है और फिर भगवान् जाने क्या होगा जब आयु ढल जाएगी।
लगभग सभी लड़कियां ने अपने पढाई पूरी नहीं की थी , स्कूल- कॉलेज की पढाई के दौरान ही प्यार हुआ और विवाह किया था , वैसे तो पूरे भारत से लड़कियां इस इस्लामिक जिहादियों के जाल में फसंती है पर सबसे अधिक उत्तराखंड से आई हुई थी। १ लड़की तो दिल्ली के पंजाबी सरकारी अफसर की बेटी थी ,और सब लड़कियां हिन्दू स्वर्ण समाज से ही थी ,वैसे नाम के लिए तो ये सभी लड़कियां होटल-रैस्टोरेंट बार में काम करती थी, पर वहाँ आने वाले ग्राहकों को खुश रखने के लिए देह व्यापर करने पर भी बाध्य थी।
मेरे बहुत अधिक आग्रह करने पर दिल्ली की २ लड़की अपने परिवार का पता और फोन नंबर देने पर राजी हुई। मेने उन्हें समझाया था कि मैं अपनी और से प्रयास करूँगा कि आपका परिवार आपको स्वीकार करें और आप इस नर्क से निकल कर वापिस भारत अपने परिवारों के साथ रहें। मेने दिल्ली में उनके परिवारों से मिलने के लिए गया। और उनकी बेटी की स्थति अवगत कराया पर दोनों के परिवार नहीं चाहते कि लड़कियां वापिस आएं। वे अब उनके लिए मर गई है। आत्मा तो मर ही गई है। पर देह जीवित है। 
मेरा अपने हिन्दू-सिक्ख भाई बहनों से निवेदन है कि ऐसे जिहादी अपने घरों या बच्चों के आसपास मंडराने हुए देंखे तो खुद भी सचेत हो जायें और बच्चों को भी जागरूक करें ,ताकि हमारी बेटियां इन जिहादियों के जाल में न फंसे

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साभार : अशोक भारती जी

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