बुधवार, सितंबर 18, 2019

वीर शिरोमणि क्रांतिकारी शहीद बाबा गंगू जी को शत् शत् नमन।

महान सेना नायक बाबा गंगादीन भंगी की पुण्य तिथि पर
महान सेना नायक बाबा गंगादीन भंगी की पुण्य तिथि पर श्रद्दांजलिपेशवा बाजीराव तृतीय के निःसंतान रह जाने के कारण धोड़पत नाना साहब को गोद लिया गया।
नाना साहब पेशवा ने अपने विश्वस्त सूबेदार बाबा गंगादीन भंगी को अपने प्रधान पलटन का कर्नल बनाया। बाबा गंगादीन ही गंगू मेहत्तर थे, जिनके नेतृत्व में नाना साहब की फौजों ने अंग्रेजों पर कहर बरपाया
अब पढ़िए आगे का पूरा इतिहास Ashutosh Sharma की वाल से
महान सेना नायक बाबा गंगादीन भंगी की पुण्य तिथि पर श्रद्दांजलि
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1857 में कलकत्ता की बैरकपुर छावनी में कानपुर के रहने वाले शहीद मातादीन भंगी (अमर शहीद मंगल पाण्डे को अपवित्र कारतूसों की सूचना देने वाला) की शहादत रंग लाई और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी कानपुर झांसी एवं मेरठ की सैनिक छावनी तक फैल गयी.......................................
04 जून 1857 की आधी रात को भारतीय सैनिकों ने कानपुर में विद्रोह का बिगुल फूंक दिया।कानपुर के नवाबगंज का खजाना लूट लिया गया।जेल तोड़ कर कैदियों को मुक्त कराया गया।बिठूर-कानपुर में नेतृत्व था नाना साहब एवं तात्या टोपे का।
1818 में तृतीय मराठा युद्ध में हारने के बाद अंतिम पेशवा बाजीराव तृतीय को ईस्ट इंडिया कम्पनी ने पूना से विस्थापित कर कानपुर के नजदीक बिठूर में जागीर देकर रहने को विवश कर दिया।
बिठूर में भंगियों की आबादी बहुत थी । पेशवा बाजीराव तृतीय के निःसंतान रह जाने के कारण धोड़पत नाना साहब को गोद लिया गया।
नाना साहब पेशवा ने अपने विश्वस्त सूबेदार बाबा गंगादीन भंगी को अपने प्रधान पलटन का कर्नल बनाया। बाबा गंगादीन ही गंगू मेहत्तर थे, जिनके नेतृत्व में नाना साहब की फौजों ने अंग्रेजों पर कहर बरपाया था............सैकड़ो अंग्रेज मारे गये ।अंग्रेजों ने गुस्से और नफरत से बाबा गंगादीन उर्फ गंगू मेहत्तर के जाति के लोगों को खोज खोज कर सूली पर लटका दिया। पकड़े जाने पर बाबा गंगादीन उर्फ गंगू मेहत्तर को अंग्रेजों ने सरेआम फाँसी पर लटका दिया।.....गंगू मेहत्तर जो नाना साहेब की सेना में कर्नल थे....पेशवा की सेना में जाने से पहले नगाड़ा बजाते थे,पहलवानी करते थे। कानपूर के सतीचौरा घाट पर उनका आखाड़ा था.....................................
गंगू भंगी जिसने आज़ादी की लड़ाई लड़ी ओर लगभग 200 अंग्रेज सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था,आज के ही दिन 18 सितम्बर 1857 को कानपुर में चौराहे पर फाँसी पर चढा दिये गये, दुर्भाग्यवश वीर शिरोमणि गंगू जी के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।
एक बात और , इस अति दलित जाति के क्रांतिकारी बाबा गंगू के राष्ट्रवादी वंशजो ने कभी राष्ट्र विरोधी षड्यन्त्रों को रचने वालों का साथ देकर किसी भीमा कोरेगांव पर जश्न मनाकर राष्ट्र की आत्मा को शर्मसार नहीं किया।
वीर शिरोमणि क्रांतिकारी शहीद बाबा गंगू जी को शत् शत् नमन।
Ashutosh Sharma

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