रविवार, नवंबर 26, 2017

ब्राह्मणवाद, मनुवाद तो बहाना है; असली मकसद हिन्दू धर्म को मिटाना है ।

नफरत सिर्फ ब्राह्मणों के खिलाफ क्यों फैलाई जाती है ? नफरत यादव, सुनार, धोबी, कुम्हार, कुशवाहा या बाकी जातियों के खिलाफ क्यों नहीं फैली ? ये एक वाजिब प्रश्न है । सुनिए जरा...
अगर आप यादव से नफरत करेंगे तो उससे दूध लेना बंद कर देंगे; पर फिर भी हिन्दू रहेंगे, अगर आप सुनार से नफरत करेंगे तो उससे आभूषण बनवाना बंद कर देंगे; पर फिर भी आप हिन्दू रहेंगे, अगर आप धोबी, कुशवाहा ,कुम्हार से नफरत करेंगे तो कपड़े धुलवाना ,सब्जी लेना,और बर्तन खरीदना बंद कर देंगे; पर फिर भी आप हिन्दू रहेंगे ।
पर अगर आप ब्राह्मण से नफरत करेंगे तो आप सभी धार्मिक रस्मों जैसे कि जन्म, शादी, मृत्यु , गृह पूजन ,इत्यादि के लिए उसके पास जाना बंद कर देंगे और जब आपको इन सभी रस्मों को करवाने की जरुरत पड़ेगी तब आप क्या करेंगे ? तब ये सब रस्में आकर चर्च का पादरी करेगा, आगे समझिये
ब्राह्मणों से नफरत करना यानी Anti-Brahminism, 2000 साल पुराने "जोशुआ" प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसका एजेंडा पूरे हिंदुस्तान को ईसाई व मुस्लिम मुल्क बनाना है । हिंदुओं का धर्मान्तरण तब तक नहीं हो सकता जब तक वे ब्राह्मणों के संपर्क में है
अभी सभी हिन्दुओ के खिलाफ इन्होने जिहाद छेड़ दिया, सभी हिन्दू को गाली देने लगे तो सभी हिन्दू एक हो जायेगा और इनको तबाह कर देगा, तो इन्होने जेशुआ प्रोजेक्ट बनाया जिसके तहत हिन्दू जातियों में ब्राह्मणों के लिए इतनी नफरत बढ़ाओ की अन्य हिन्दू ब्राह्मणों के पास किसी भी काम के लिए जाना बंद कर दें और धर्मान्तरण के दरवाजे खुल जाएं ।
सबसे पहले ईसाई मिशनरी Robert Caldwell ने आर्यन-द्रविड़ियन थ्योरी बनाई ताकि दक्षिण भारतीयों को अलग पहचान देकर धर्मान्तरण किया जाए, जिसमे उत्तर भारतीयों को ब्राह्मण आर्यन दिखाया गया, इनकी एजेंडा यहां खत्म नहीं हुआ । इसके बाद दूसरे मिशनरी और संस्कृत विद्वान John Muir ने मनुस्मृति को एडिट किया, इसमें वामपंथियों ने मदद की
ब्राह्मण विरोध, सनातन विरोध का ही छद्म नाम है। क्योंकि ब्राह्मणवाद, मनुवाद तो बहाना है; असली मकसद हिन्दू धर्म को मिटाना है ।

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