*** दामिनी, बलात्कार पर मेरे दो शब्द ***
जब भारत में हिन्दू-शाशन था तो गुरुकुल में शास्त्र के साथ शस्त्र-विद्या
(तीर-कमान, घोड़-सवारी इत्यादि) लेना भी अनिवार्य था ! जबसे मुग़ल आये,
हमारी नारियो को बंद कर दिया घरो में, और उनके शरीरो पर बुरका-रुपी
पंजाबी-सूट दाल दिया! जब ब्रिटिश आये, तो उन्होंने गुरुकुल ही बंद करवा
दिया, अंग्रेजी लगवा दी. जब नेहरु-भांड आया, तो उसने गांधीवाद, उर्दू जैसी
गन्दगी लगवा दी स्कुलो में! अब आप समझ लीजिये की वेद, गीता और सनातन
संस्कृति से दूर होने के कारण ही हिन्दू हिजड़ा बन गया! प्राचीन समय में ना
तो नग्नता को देखकर कोई पुरुष अपनी मर्यादा भुलता था और ना ही कोई युवती
"शर्मीली" होती थी! उस समय ज्ञान बहुत था, युवतिया भी तेज-तर्रार योद्धा
होती थी! आजकी युवतियों को देखो, अंग्रेजी शिक्षा और मुग़ल संस्कृति के दमन
के कारण कितनी दुर्बल हो चुकी है! शर्माती भी है, और रोती भी है, वह
तेज-तर्रार व्यक्तिमत्व पूरी तरह खो चुकी है! शर्माना कोई "अच्छी" बात नहीं
होती, यह कमजोरी होती है व्यक्ति की! यह आजकल के भांड हिन्दुओ को युवतियों
का शर्माना संस्कृति दिखाई देती है!
परन्तु यह एक फूहड़-व्यक्तिमत्व का लक्षण है, आप शर्माते तब है जब आप बारह
साल से होते है, क्या बीस साल की पढ़ी-लिखी युवतियों को शर्माना शोभा देता
है ?.. नहीं देता! इसपर निरिक्षण करिए, हम जो खो चुके है, वह शिक्षा और
व्यक्तिमत्व के मूल्य वापिस लाना होगा.
मुघलो से आने से पहले -
पंजाबी सूट नहीं था भारत में, और युवतीया गले में दुपट्टा नहीं डालती थी.
दुपट्टा केवल सर पर होता था, वह भी केवल धूंप से बचने के लिए, ना की चेहरा
छुपाने के लिए. यह है सनातन संस्कृति !... इतनी उदारता के बाद भी लडकिया
सुरक्षित थी!
और आज देखिये. जबसे इस्लामी मानसिकता भारत में हावी
हो गई, बलात्कार होने लगे है. क्युकी बोलीवुड में अब यह शिक्षा दी जा रही
है की अगर किसी लड़की में कुछ अच्छा है तो वह उसके बूब्स, उसकी नंगी गोरी
टाँगे है! उस लड़की का चरित्र कोई महत्व नहीं रखता, अगर कुछ महत्त्व रखता है
तो उसका रूप, उसकी नंगी-टाँगे, उसकी बाहरी सुन्दरता. और वह सुन्दरता भी
उसे छुपानी होगी. सोचिये क्यू ?...क्युकी इस सुन्दरता को छोड़कर एक लड़की के
पास कुछ और होता ही नहीं !!!!.. यानी की उसमे बुद्धि नहीं होती. यही कारण
है की बोलीवुड में दिखाई जाने वाली लडकियों का व्यक्तिमत्व बहुत ही संकुचित
होता है. उसका बस एक ही काम है - शरमाओ(एक मानसिक कमजोरी का लक्षण), और
अपनी सुन्दर शरीर को छूपाओ(क्युकी वही एक चीज होती है लड़की के पास काम की).
यही तो इस्लामी विचारधारा है. जबकि सनातन विचारधारा में इसका उल्टा है
!!.. आप भले ही कितने भी उदार या खुले परिधान पहने, अगर आपका व्यवहार
सदाचारी और बुद्धि में ज्ञान नहीं तो फिर आपके व्यक्तिमत्व, और चरित्र में
दम नहीं !
-- via Anna Roger
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