शनिवार, अक्तूबर 06, 2018

मेरा जितना विश्वास हिंदू धर्म में होता है उतना ही इस्लाम में भी : गांधी

गांधी जी हिंदू धर्म में पैदा हुए. ताउम्र हिंदू धर्म की परंपराओं के साथ जीवन जिया. गांधीजी की मां हिंदू होते हुए भी ऐसे परनामी संप्रदाय में यकीन रखती थीं, जो गीता और कुरान में कोई भेद नहीं करता था. मोहनदास करमचंद गांधी पर मां की गहरी छाप रही, वो सभी धर्मों का सम्मान करते थे. गांधीजी ने जब अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' लिखी तो मां पुतलीबाई के बारे में बात करते हुए परनामी समुदाय पर भी लिखा.

परनामी संप्रदाय में दो धर्मों के संगम का वर्णन महात्मा गांधी ने किया है. गांधी कहते हैं, "मेरा परिवार परनामी था. भले ही हम जन्म से हिंदू हैं, लेकिन मां जिस परनामी संप्रदाय के धार्मिक स्थल पर हमेशा जाती थीं, वहां पुजारी समान तौर पर गीता और कुरान दोनों से पढ़ता था. परनामी सात्विक जीवन, परोपकार, जीवों पर दया, शाकाहार और शराब से दूर रहने पर जोर देता था. इस संप्रदाय की शिक्षाओं से गांधीजी ने खुद को ताउम्र बांधे रखा.

परनामी समुदाय का जितना विश्वास हिंदू धर्म में होता है उतना ही इस्लाम में भी. परनामी समुदाय के लोग हिंदू धर्म ग्रंथ पढ़ते हुए पैगंबर मोहम्मद का नाम लेते हैं और भगवान कृष्ण की स्तुति के दौरान कुरान की बातें करते हैं. ये हिंदू निजानंद संप्रदाय के लगभग 60 लाख अनुयायियों के लिए दैनिक अनुष्ठान है, जो 400 साल पहले गुजरात के जामनगर में परनामी नाम से शुरू हुआ. कृष्ण के लिए उनका प्यार भी पवित्र पैगंबर का आह्वान करता है.


https://hindi.news18.com/news/knowledge/all-that-you-need-to-know-about-parnami-community-and-its-connection-with-gandhi-1537174.html





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