शनिवार, अप्रैल 27, 2013

सेक्स से खिलवाड़

अगर सरकार या सरकार का थिंक टैंक ये समझती है कि सेक्स एजुकेशन देकर यौन अपराधो पर लगाम लगा लेगी तो ये सिर्फ इस बात को प्रदर्शित करती है कि सरकार, जनता को सिर्फ बहकाने की कोशिश कर रही है। या फिर सरकार को ये समझ मे नही आ रहा है कि वो इस परिस्थिति से कैसे निबटे, तो ये नुस्खा आजमा कर देखना चाहती है। अगर जनता को कोई लाभ नही हुआ तो कम से कम नेता राजनीतिक लाभ तो उठा ही सकते है। और वैसे भी सरकार जनता की समस्याओं पर गम्भीर कब हुई है?


जस्टिस जे.एस. वर्मा की समिति स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल करके बच्चों को सही-गलत जैसे व्यवहार और आपसी संबंधों के विषय में बताना चाहती है। केन्द्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्री एम.एल. पल्लम राजू भी वर्मा समिति से सहमत होकर इसे लागू करने की सोच रही है….

मै इन समिति और मंत्रियों से ये पूछना चाहता हूँ कि क्या उन्हे बच्चो के मौजूदा पाठ्यक्रम के बारे मे अवगत नही है..? ये सही-गलत और आपसी सम्बन्ध के विषय मे पहले से ही “शारीरिक व नैतिक शिक्षा” के रूप मे शामिल है.. जिसे बच्चे रट-रट्कर परीक्षा पास कर लेते है। लेकिन क्या बच्चों द्वारा नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल शिक्षाओं का अनुसरण किया जाता है? फिर क्या जरूरी है कि सेक्स के बारे मे बताई गई सैद्धांतिक बातों से बच्चों मे इसकी व्यवहारिक बातो को जानने के उत्सुकता नही बढेगी?

जहाँ तक सवाल है यौन अपराधो का, तो सेक्स एजुकेशन का इससे कोई सम्बन्ध नही दिखता। और जिन अपराधो के लिए बच्चो को शिक्षाएँ दी जा रही है और यहाँ तक कि कठोर कानून भी है, क्या किसी को उन अपराधों में कमी दिखाई देती है ? दिन-ब-दिन अपराध और भ्रष्टाचार की घटनाएँ बढ़्ती ही जा रही है..। एक-दो घटना (जैसे दिल्ली गैंगरेप मामला) जो मीडिया की नजर मे आ जाती है उसे सारी दुनिया देखती है, लेकिन इस तरह की घटनाएँ अब आम होने लगी है. जरा आप अपने आस-पास झाँक कर देखे तो पता चलेगा …. ।

इन अपराधो को सरकार की कोई भी व्यवस्था या कानून नही रोक सकती। जब तक सरकार बच्चो को समझाने के बजाए बड़ो को यानि खुद और अपने मंत्रियो को समझाना शुरू नही कर देती। देश के अपराध, भ्रष्टाचार या घर की गन्दगियाँ ऊँचें स्थान से साफ होना शुरू हो तो साफ हो सकता है. और बच्चे तो वही करने की कोशिश करते है जो वो बड़ो को करते हुए देखते है. ।

अब मै अपराध के कुछ ऐसे उदाहरण और उस पर प्रश्न चिन्ह लगाउँगा जो कम-से-कम महिला पाठक् को तो पसन्द नही आयेगी… ।

पता नहीं सरकार हर क्षेत्र मे महिलाओ को आरक्षण देकर आगे क्यों लाना चाहती है ? और एक महिला, आई0 एस0, आई0 पी0 एस0 बनकर मंत्रियो के साथ रंगरलियाँ मनाना चाहती है(ऐसा भी खबर आया है) ? नेताएँ अपने घर की छोटी-बड़ी पार्टी मे भी अर्धनग्न व कम उम्र की लड़्कियों को नचाकर आनन्द लेते है क्या इससे यौन अपराध को हवा न मिलेगी? एक महिला,… पुलिस बनकर क्या दिखाना चाहती है? क्या पुलिस बनने के लिए पुरूष कम पड गये है… । एक बड़ी कम्पनियाँ अपना प्रोडक्ट बेचने के लिये अपने प्रोडक्ट के साथ अर्धनग्न स्त्रियों को खड़ा कर देती है… और ताज्जुब की बात ये है कि ये लड़्कियाँ और स्त्रियाँ नये जेनरेशन का हवाला देकर हंसते हुए अपने कपड़े उतार देती है। आज टेलीविजन पर दिखने वाले शत-प्रतिशत विज्ञापन महिलाओ द्वारा आकर्षक और कम कपड़े पहना कर कराये जाते है। विज्ञापन में प्रोडक्ट पर कम लड़्कियों के शरीर पर टेलीविजन के कैमरा का फोकस ज्यादा रहता है। कंपनियाँ अपने रिसेप्शन पर एक आकर्षक, मनलुभावन और कम उम्र की लड़्कियो को बिठाती है क्योंकि इससे उसकी कम्पनी मे ज्यादा से ज्यादा लोग आये और आते भी है, कम से कम उस लड़्की को देखने और उससे बैठकर बकवास करने का उचित तरीका तो लोगों को मिलता ही है और इसमे कम उम्र के लड़्के ही नहीं अधेड़ और बूढ़े लोग भी शामिल होते है । अगर किसी टेलीकॉम कम्पनी के कस्टमर केयर पे कोई लड़्की मिल जाये फिर देखिये क्या-क्या बातें और कितनी देर तक होती है। इन सब का परिणाम अब ये भी देखा गया है कि एक मध्यम वर्गीय आदमी अगर एक दुकान भी खोलता है तो दुकान अच्छा चले इसके लिये एक सुन्दर लड़्की को काउंटर पर बिठाता है । एक शादी में जब मै गया तो देखा कि लड़्कियो ने ऐसे कपड़े पहन रखे थे जिससे उसका आधा शरीर तो साफ-साफ दिखाई पड़्ता था, जबकि मौसम सर्दियों का था हमलोगों ने जैकेट पहन रखा था। क्या इससे अपराध न बढ़ेगा ?

इसमें बहुत हद तक लड़्कियाँ व उनके माता-पिता खुद जिम्मेदार है. लड़्कियाँ अपने घर का काम भूलकर… लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला, और पी0टी0 उषा आदि का हवाला देकर घर से बाहर निकलना शुरू कर दिया है. सभी को ऐसा नही करना चाहिए था. और इसमे सरकार भी बहुत जिम्मेदार है.

सेक्स एक नेचुरल क्रिया है जिसके साथ जितना भी आप छेड़्छाड़ करने की कोशिश करेंगे उतना ही ये घातक सिद्ध होगा। और इसके प्रति आप किसी की मानसिकता एजुकेशन से नही बदल सकते……… आपने चारो तरफ अर्धनग्न लड़्कियो का मेला लगा रखा है और उसमे भी आपके नेता और बड़े लोग गन्दी हरकत करने से बाज नही आते, ऐसे मे आप बच्चो को सेक्स ऐजुकेशन देकर उससे क्या अपेक्षा रखते है ?

ऐसे में तो सेक्स ऐजुकेशन से अच्छा तो मेडीटेशन अच्छा रहेगा जिससे बच्चे अपने इच्छाओ को काबू में करना सीख लेंगे। फिर हो सकता है कि आने वाले जेनरेशन मे कुछ कम अपराध हो… लेकिन अभी क्या होगा कहना कठिन है…
http://bhagwanbabu.jagranjunction.com/2013/02/22/%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC-%E2%80%93-jagran-junction-forum/

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