शुक्रवार, अप्रैल 19, 2013

गुजरात की सच्चाई बताई और साथ ही साथ मोदी की जान को भी खतरा : मधु किश्वर

आज तक पर मधु किश्वर बताती है की उन्होंने बहुत सारे दंगों का अध्यन किया है और जबतक मै हालातो के बारे में खुद से अध्यन न कर लू मै नहीं लिखती। मेरा ध्यान गुजरात दंगो के बारे में तब आया जब तीस्ता जैसे लोगो ने एक अंतरास्त्रीय मुहीम चलाई की नरेन्द्र मोदी को किसी भी देश का वीसा न मिले। मुझे आश्चर्य यह देख कर हुआ की जॉर्ज बुश का ह्यूमन राईट का रिकॉर्ड मोदी के तुलना में बहुत ही ख़राब है दूसरी तरफ मोदी के के बारे में किसी भी महावाधिकार के हनन का रिकॉर्ड कही नहीं है. फिर भी जॉर्ज बुश को सभी देशो में जाने की अनुमति है और मोदी के खिलाफ किसी भी कोर्ट में कोई भी केस नहीं होने के बाद भी यह लोग उन्हें किसी देश में जाने न दिया जाये उसके लिए मुहीम चल रहे थे। यह बात मुझे बहुत गलत लगी। देश की बात आप अमेरिका में जाकर उनकी झोली में आप डालते हो मुझे बिलकुल सही नहीं लगा।

आप बताओ देश में कितने दंगे हुए है कश्मीर, आसाम, मुंबई, हैदराबाद, जमशेदपुर, मेरट न जाने कितने बड़े बड़े दंगे हुए है देश में लेकिन उस समय वह का मुख्या मंत्री कौन तह कोई नहीं जानता। लेकिन गजरत के दंगो के समय मुक्यमंत्री कौन था सभी जानते है। अभी आसाम में दंगा हुआ वह ४ लाख हिन्दुओ विश्थापित हुए क्या किसी को याद भी है उसके बारे में? 1984 में दंगा हुआ उसमे राजीव गाँधी की भूमिका जगजाहिर है उन्होंने आर्मी को नहीं काम करने दिया था। लेकिन उनका कोई विरोध नहीं करता है।

आजतक तीस्ता ने पाकिस्तान या सऊदी अरब के तानाशाह के खिलाफ कोई मुहीम नहीं चलाया। लेकिन यह तीस्ता आये दिन मोदी के पीछे पड़े रहे। फिर अरे गुजरात में ११ साल से दंगे नहीं हुए अरे कुछ तो श्रेय दे दो। अगर कोई कह दे की गुजरात में 24 घंटे बिजली मिलती है तो लोग कहते है की तुम तानाशाह मोदी की समर्थक हो। इतना कहने की भी इजाजत नहीं है। इन लोगो ने इतना इंटेलेक्चुअल टेरर बना दिया की मुझे घुटन होने लगी। फिर मैंने तय किया की अब मै जाकर खुद गुजरात का अध्यन करुँगी। जब मैंने गुजरात का अध्यन किया तो मैंने बिलकुल उलटी बात पाई। यह बताती थी की गुजरात में मुस्लिम घुटे घुटे से रहते है, कुचले कुचले रहते है लेकिन आप वह पर किसी भी मुसलमान से पुछ लोग तो वो कहेंगे की आज़ाद भारत में ११ साल दंगामुक्त साशन उनको मिला है, नौकरी उनकी सुरक्छित है, सही ने कहा की हमारा बहुत विकास हुआ। मुसलमानों को मैंने कहते देखा की हम आरक्छन नहीं चाहते।

फिर जैसे ही मैंने यह बात बताना सुरु किया की गुजरात में तो हालत बिलकुल अलग है। तो सभी लोग मुझ पर टूट पड़े। उसके बाद SIT की रिपोर्ट आई, उस रिपोर्ट में यह कहा गया है की मोदी की भूमिका नेगेटिव होने के बजाये मोदी ने वो सब कुछ किया जो आज तक किसी भी मुक्य मंत्री ने दंगे के समय नहीं किया था। पहले ही दिन २७ से वो शांति के लिए लोगो को जोरते रहे, 20 घंटे के अन्दर आर्मी आ गई, रक्छा मंत्री खुद देखते है आर्मी की तैनाती को। फिर नरेन्द्र मोदी ने महारास्त्र, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों को चिट्ठिया लिखी की हमें अतिरिक्त सुरक्छा बल दिया जाये और यह सारे कांग्रेसी राज्यों ने पुलिस बल देने से इनकार कर दिया।

मै आज तक नरेन्द्र मोदी से मिली भी नहीं हु, मै उनके काम को जनता के दृष्टी से देखना चाहती हु। मै खुद देखती हु की वो अपने भाषणों में कुछ और कहते है और मीडिया किस तरह से उसे विकृत करके पेश करती है। तीस्ता सैताल्वाद किस तरह से कोर्ट के प्रक्रिया को खीचे जा रही रही है, किसी भी मुद्दे को ख़त्म नहीं होने देती है, एक ही आरोप को बार बार लाती है। SIT पर जो तीस्ता ने जो आरोप लगाये उसकी जांच होने चाहिए। देश की मीडिया और न्यायपालिका के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है और भगवन के लिए SIT के रिपोर्ट को पढ़े। लेकिन इन लोगो ने इंटेलेक्चुअल दहसत इस तरह की बना दी है की किसी की हिम्मत नहीं है इनके खिलाफ कुछ बोलने की।

आज तक पर मधु किश्वर बताती है की उन्होंने बहुत सारे दंगों का अध्यन किया है और जबतक मै हालातो के बारे में खुद से अध्यन न कर लू मै नहीं लिखती। मेरा ध्यान गुजरात दंगो के बारे में तब आया जब तीस्ता जैसे लोगो ने एक अंतरास्त्रीय मुहीम चलाई की नरेन्द्र मोदी को किसी भी देश का वीसा न मिले। मुझे आश्चर्य यह देख कर हुआ की जॉर्ज बुश का ह्यूमन राईट का रिकॉर्ड मोदी के तुलना में बहुत ही ख़राब है दूसरी तरफ मोदी के के बारे में किसी भी महावाधिकार के हनन का रिकॉर्ड कही नहीं है. फिर भी जॉर्ज बुश को सभी देशो में जाने की अनुमति है और मोदी के खिलाफ किसी भी कोर्ट में कोई भी केस नहीं होने के बाद भी यह लोग उन्हें किसी देश में जाने न दिया जाये उसके लिए मुहीम चल रहे थे। यह बात मुझे बहुत गलत लगी। देश की बात आप अमेरिका में जाकर उनकी झोली में आप डालते हो मुझे बिलकुल सही नहीं लगा।

आप बताओ देश में कितने दंगे हुए है कश्मीर, आसाम, मुंबई, हैदराबाद, जमशेदपुर, मेरट न जाने कितने बड़े बड़े दंगे हुए है देश में लेकिन उस समय वह का मुख्या मंत्री कौन तह कोई नहीं जानता। लेकिन गजरत के दंगो के समय मुक्यमंत्री कौन था सभी जानते है। अभी आसाम में दंगा हुआ वह ४ लाख हिन्दुओ विश्थापित हुए क्या किसी को याद भी है उसके बारे में? 1984 में दंगा हुआ उसमे राजीव गाँधी की भूमिका जगजाहिर है उन्होंने आर्मी को नहीं काम करने दिया था। लेकिन उनका कोई विरोध नहीं करता है।

आजतक तीस्ता ने पाकिस्तान या सऊदी अरब के तानाशाह के खिलाफ कोई मुहीम नहीं चलाया। लेकिन यह तीस्ता आये दिन मोदी के पीछे पड़े रहे। फिर अरे गुजरात में ११ साल से दंगे नहीं हुए अरे कुछ तो श्रेय दे दो। अगर कोई कह दे की गुजरात में 24 घंटे बिजली मिलती है तो लोग कहते है की तुम तानाशाह मोदी की समर्थक हो। इतना कहने की भी इजाजत नहीं है। इन लोगो ने इतना इंटेलेक्चुअल टेरर बना दिया की मुझे घुटन होने लगी। फिर मैंने तय किया की अब मै जाकर खुद गुजरात का अध्यन करुँगी। जब मैंने गुजरात का अध्यन किया तो मैंने बिलकुल उलटी बात पाई। यह बताती थी की गुजरात में मुस्लिम घुटे घुटे से रहते है, कुचले कुचले रहते है लेकिन आप वह पर किसी भी मुसलमान से पुछ लोग तो वो कहेंगे की आज़ाद भारत में ११ साल दंगामुक्त साशन उनको मिला है, नौकरी उनकी सुरक्छित है, सही ने कहा की हमारा बहुत विकास हुआ। मुसलमानों को मैंने कहते देखा की हम आरक्छन नहीं चाहते।

फिर जैसे ही मैंने यह बात बताना सुरु किया की गुजरात में तो हालत बिलकुल अलग है। तो सभी लोग मुझ पर टूट पड़े। उसके बाद SIT की रिपोर्ट आई, उस रिपोर्ट में यह कहा गया है की मोदी की भूमिका नेगेटिव होने के बजाये मोदी ने वो सब कुछ किया जो आज तक किसी भी मुक्य मंत्री ने दंगे के समय नहीं किया था। पहले ही दिन २७ से वो शांति के लिए लोगो को जोरते रहे, 20 घंटे के अन्दर आर्मी आ गई, रक्छा मंत्री खुद देखते है आर्मी की तैनाती को। फिर नरेन्द्र मोदी ने महारास्त्र, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों को चिट्ठिया लिखी की हमें अतिरिक्त सुरक्छा बल दिया जाये और यह सारे कांग्रेसी राज्यों ने पुलिस बल देने से इनकार कर दिया।

मै आज तक नरेन्द्र मोदी से मिली भी नहीं हु, मै उनके काम को जनता के दृष्टी से देखना चाहती हु। मै खुद देखती हु की वो अपने भाषणों में कुछ और कहते है और मीडिया किस तरह से उसे विकृत करके पेश करती है। तीस्ता सैताल्वाद किस तरह से कोर्ट के प्रक्रिया को खीचे जा रही रही है, किसी भी मुद्दे को ख़त्म नहीं होने देती है, एक ही आरोप को बार बार लाती है। SIT पर जो तीस्ता ने जो आरोप लगाये उसकी जांच होने चाहिए। देश की मीडिया और न्यायपालिका के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है और भगवन के लिए SIT के रिपोर्ट को पढ़े। लेकिन इन लोगो ने इंटेलेक्चुअल दहसत इस तरह की बना दी है की किसी की हिम्मत नहीं है इनके खिलाफ कुछ बोलने की।


आज तक पर मधु किश्वर बताती है की उन्होंने बहुत सारे दंगों का अध्यन किया है और जबतक मै हालातो के बारे में खुद से अध्यन न कर लू मै नहीं लिखती। मेरा ध्यान गुजरात दंगो के बारे में तब आया जब तीस्ता जैसे लोगो ने एक अंतरास्त्रीय मुहीम चलाई की नरेन्द्र मोदी को किसी भी देश का वीसा न मिले। मुझे आश्चर्य यह देख कर हुआ की जॉर्ज बुश का ह्यूमन राईट का रिकॉर्ड मोदी के तुलना में बहुत ही ख़राब है दूसरी तरफ मोदी के के बारे में किसी भी महावाधिकार के हनन का रिकॉर्ड कही नहीं है. फिर भी जॉर्ज बुश को सभी देशो में जाने की अनुमति है और मोदी के खिलाफ किसी भी कोर्ट में कोई भी केस नहीं होने के बाद भी यह लोग उन्हें किसी देश में जाने न दिया जाये उसके लिए मुहीम चल रहे थे। यह बात मुझे बहुत गलत लगी। देश की बात आप अमेरिका में जाकर उनकी झोली में आप डालते हो मुझे बिलकुल सही नहीं लगा।

आप बताओ देश में कितने दंगे हुए है कश्मीर, आसाम, मुंबई, हैदराबाद, जमशेदपुर, मेरट न जाने कितने बड़े बड़े दंगे हुए है देश में लेकिन उस समय वह का मुख्या मंत्री कौन तह कोई नहीं जानता। लेकिन गजरत के दंगो के समय मुक्यमंत्री कौन था सभी जानते है। अभी आसाम में दंगा हुआ वह ४ लाख हिन्दुओ विश्थापित हुए क्या किसी को याद भी है उसके बारे में? 1984 में दंगा हुआ उसमे राजीव गाँधी की भूमिका जगजाहिर है उन्होंने आर्मी को नहीं काम करने दिया था। लेकिन उनका कोई विरोध नहीं करता है।

आजतक तीस्ता ने पाकिस्तान या सऊदी अरब के तानाशाह के खिलाफ कोई मुहीम नहीं चलाया। लेकिन यह तीस्ता आये दिन मोदी के पीछे पड़े रहे। फिर अरे गुजरात में ११ साल से दंगे नहीं हुए अरे कुछ तो श्रेय दे दो। अगर कोई कह दे की गुजरात में 24 घंटे बिजली मिलती है तो लोग कहते है की तुम तानाशाह मोदी की समर्थक हो। इतना कहने की भी इजाजत नहीं है। इन लोगो ने इतना इंटेलेक्चुअल टेरर बना दिया की मुझे घुटन होने लगी। फिर मैंने तय किया की अब मै जाकर खुद गुजरात का अध्यन करुँगी। जब मैंने गुजरात का अध्यन किया तो मैंने बिलकुल उलटी बात पाई। यह बताती थी की गुजरात में मुस्लिम घुटे घुटे से रहते है, कुचले कुचले रहते है लेकिन आप वह पर किसी भी मुसलमान से पुछ लोग तो वो कहेंगे की आज़ाद भारत में ११ साल दंगामुक्त साशन उनको मिला है, नौकरी उनकी सुरक्छित है, सही ने कहा की हमारा बहुत विकास हुआ। मुसलमानों को मैंने कहते देखा की हम आरक्छन नहीं चाहते।

फिर जैसे ही मैंने यह बात बताना सुरु किया की गुजरात में तो हालत बिलकुल अलग है। तो सभी लोग मुझ पर टूट पड़े। उसके बाद SIT की रिपोर्ट आई, उस रिपोर्ट में यह कहा गया है की मोदी की भूमिका नेगेटिव होने के बजाये मोदी ने वो सब कुछ किया जो आज तक किसी भी मुक्य मंत्री ने दंगे के समय नहीं किया था। पहले ही दिन २७ से वो शांति के लिए लोगो को जोरते रहे, 20 घंटे के अन्दर आर्मी आ गई, रक्छा मंत्री खुद देखते है आर्मी की तैनाती को। फिर नरेन्द्र मोदी ने महारास्त्र, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों को चिट्ठिया लिखी की हमें अतिरिक्त सुरक्छा बल दिया जाये और यह सारे कांग्रेसी राज्यों ने पुलिस बल देने से इनकार कर दिया।

मै आज तक नरेन्द्र मोदी से मिली भी नहीं हु, मै उनके काम को जनता के दृष्टी से देखना चाहती हु। मै खुद देखती हु की वो अपने भाषणों में कुछ और कहते है और मीडिया किस तरह से उसे विकृत करके पेश करती है। तीस्ता सैताल्वाद किस तरह से कोर्ट के प्रक्रिया को खीचे जा रही रही है, किसी भी मुद्दे को ख़त्म नहीं होने देती है, एक ही आरोप को बार बार लाती है। SIT पर जो तीस्ता ने जो आरोप लगाये उसकी जांच होने चाहिए। देश की मीडिया और न्यायपालिका के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है और भगवन के लिए SIT के रिपोर्ट को पढ़े। लेकिन इन लोगो ने इंटेलेक्चुअल दहसत इस तरह की बना दी है की किसी की हिम्मत नहीं है इनके खिलाफ कुछ बोलने की।

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