शुक्रवार, अप्रैल 17, 2020

राजपूतों_ने_इस्लाम_के_विस्तार_को_रोक_दिया

  1. #राजपूतों_ने_इस्लाम_के_विस्तार_को_रोक_दिया__

दलितों के साथ बहुत भेदभाव हुआ। उनसे खेतों में काम कराया गया, हरवाही कराई गई, गोबर उठवाया गया। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया। बहुत जुल्म हुआ दलितों पे ..! यह बात बहुत जोरों से सोशल मीडिया,मास मीडिया के माध्मय से लोगो को बताई जा रही है।
मगर 1400 साल पहले जब मक्का से इंसानी खून की प्यासी इस्लाम की तलवार लपलपाते हुए निकली तो एक झटके में ही ईरान, इराक, सीरिया, मिश्र, दमिश्, अफगानिस्तान, कतर, बलूचिस्तान से ले के मंगोलिया और रूस तक ध्वस्त होते चले गए, स्थानीय धर्मों परम्पराओं का तलवार के बल पर लोप कर दिया गया और सर्वत्र इस्लाम ही इस्लाम हो गया।
शान से इस्लाम का झंडा आसमान चूमता हुआ अफगानिस्तान होते हुए सिंध के रास्ते हिंदुस्तान पहुंचा, पर यहां पहुंचते ही इस्लाम की लगाम आगे बढ़ के क्षत्रियों ने थाम ली जिसके कारण भीषण रक्तपात हुआ। आठ सौ साल तक क्षत्रिय राजवंशों से ले के आम क्षत्रियों ने इस्लाम की नकेल को जकड़ कर रखा,
एक समय ऐसा आया जब 18 साल से ऊपर के लड़के ही न रहे क्षत्रियों में, विधवाओं का अंबार लग गया, इसी वजह से सती प्रथा जौहर जैसी व्यवस्थाओं ने आकार लिया, राजपूतानिया खुद आगे बढ़कर अपने पति,बेटो को युद्ध मे तिलक लगाकर भेजती थी और खुद जोहर करती थी, ताकि कोई मुसलमान उनके शरीर को हाथ भी ना लगा सके।
परिणामतः UP जैसे बड़े राज्य में ये राजपूत घट के 1 % से भी नीचे आ गए, जो अब लगभग 8% तक पहुंचे हैं। किसी-किसी राज्य में तो इनकी जड़ ही गायब हो गई। जिसका नतीजा यह हुआ के इस्लाम यहीं फंस के रह गया और आगे नही बढ़ पाया, और चाइना, कोरिया,जापान, नेपाल जैसे भारत के पूर्वी राज्य इस्लाम के हमले से बच गए।
इतना सब कुछ झेलने के बाद भी कहीं किसी इतिहास में ये नही मिलेगा, की इस्लाम के खिलाफ लड़ाई में क्षत्रियों ने खुद न जा के किसी और जाति को मरने के लिए आगे कर दिया। बांकी जातियों में जो लड़े वो आत्म रक्षार्थ ही लड़े।
राजपूत अपने नाबालिग बेटे कुर्बान करते रहे पर कभी अपने कर्म से विमुख न हुए। सामाजिक जातीय वर्ण व्यवस्था का पूरा ख्याल रखा। जिसके वजह से आज की हिन्दू पीढ़ी मुसलमान होने से बची रह गई।
राजपूतो में आपसी मतभेद होने के वजह से मुसलमानों का भारत पे अधिकार तो हो गया लेकिन 1000 सालों में भी भारत को इस्लामिक देश नही बना पाया।
हर जगह राजपूतों को अत्याचारी बताया गया। हर फिल्मों में इन्हें अत्याचारी ठाकुर दिखा दिखा के लोगो के दिमाग मे इनकी गलत छवि पेश की गई, लेकिन ये नही दिखाया कि जब मुस्लिम तलवारे रक्त मांगती थी तब पहला सिर इन राजपूतों ने ही दिया है।
जिनके दादा परदादा राजपूती तलवार के छत्रछाया में ना केवल जिंदा रहें वीवी बच्चे सब मौज और शांति से बच गए आज उनकी औलादें अपने मालिकों को अत्याचारी बता कर अपने गद्दारी का प्रमाण दे रहे हैं,
सब्र रखो असत्य, अन्याय, अधर्म पर मौज ज्यादा समय तक नहीं टिकताप

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