कबीर जी मुस्लमान थे । इसी कारण अपने मजहब को नहीँ तोडा और टोपी नहीँ उतारी और गँगा के घाट पर लेट कर रामानँद जी से छलावा करके राम नाम लिया क्युँकि रामानँद जी ने कबीर जी को दीक्षा देने से मना किया था और जब परीक्षा मेँ पास हुआ तो रामानँद जी ने कबीर को अपना चेला स्वीकार किया । कबीर मुस्लमान थे । और ये रामपाल और कबीर सागर किताब छापने वाले कहते है कि कबीर जी ने बाद मेँ रामानँद जी को अपना चेला बनाया । इन लोगोँ का पर्दाफाश अभी करते है । अगर कबीर ने रामानँद को चेला बनाया होता तो धर्मदास की तरह एक टोपी रामानँद के सिर पर भी होती । जबकि ऐसा नहीँ हुआ । अगर नानक जी कबीर का चेला होते तो नानक जी के सिर पर भी पठाणी कुल्ला मुल्ला टोपी होती धर्मदास और कबीर की तरह । अगर कबीरपँथी रामपाल और चेलोँ से पूछतेँ है कि कबीर का मुल्ला भेस क्युँ है ? तो बताते है यही भेस है इनका । पर ये स्वीकार नहीँ करते कि कबीर मुल्ला है । इसका मतलब ये सिद्ध होता है कि कबीर नकली मुल्ला था ? जी नहीँ कबीर असली मुल्ला था । आप सबूत देखिए पुरातन लिखत खरडे अनुसार पा॰ दसवीँ मुकम्मल (सौ साखी ) विजै मुक्त मेँ जनम साखी 10 वीँ पातशाही गुरु गोबिँद सिँह जी । साखी नँबर 74 मेँ पन्ना नँबर 217 । गुरु जी गरीबी भगत पवित्र है जी रविदास जी चमार दे साथ भेद भाव नहीँ रख्या .कुब्जा अराईयाँ की लडकी थी श्री कृष्ण भगवान ने उसकी गति करी थी । कबीर जी और फरीद जी दोनोँ मुस्लमान थे उनकी गती श्री गुरु अर्जुन साहिब जी ने की थी । अर्थात कबीर जी मुस्लमान ही थे ।
आज हिन्दू सनातन समाज मे झूठा संत रामपाल कबीर को ब्रह्मा विष्णु महेश का बाप बनाता है, देवी देवताओं का मजाक उड़ाता है क्योंकि वो छुपा हुआ मुस्लिम है।
आज हिन्दू सनातन समाज मे झूठा संत रामपाल कबीर को ब्रह्मा विष्णु महेश का बाप बनाता है, देवी देवताओं का मजाक उड़ाता है क्योंकि वो छुपा हुआ मुस्लिम है।