शुक्रवार, अगस्त 30, 2019

आसमानी किताब की विकृत आयतों के कारण दुनिया के दो संपन्न देश इराक और सीरिया पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं.

खतरा कितना बड़ा है और स्थिति कितनी दुरूह है, इसकी आपको कल्पना नहीं है. अमेरिका के प्रशिक्षित लड़ाकू अपने पूरे संसाधनों के साथ बरसों से अफगानिस्तान में डटे हुए हैं. उसके बाद भी तालिबान को पूरी तरह समाप्त नहीं कर पाए हैं. आसमानी किताब की विकृत आयतों के कारण दुनिया के दो संपन्न देश इराक और सीरिया पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. अल्लाह हू अकबर के नाम पर 21वीं सदी में लाखों लोग काल के गाल में समा गए हैं. दुनिया की 700 करोड़ की आबादी में 100 करोड़ हिंदु हजारों साल के कंठकाकीर्ण मार्ग को पार करते हुए अपने वैदिक धर्म और संस्कृति को बचाकर अस्तित्व में रह पाए हैं.
अच्छी तरह समझ लीजिए कि आज हिंदुओं का मुकाबला जहां एक ओर साम-दाम-दंड-भेद से आधी दुनिया को ईसाई बनाने में सफल रहे ईसा मसीह के पुजारियों से है, वहीं दूसरी ओर भूखे रहकर, जख्मी रहकर, परिवार छोड़कर, जीवन की सारी सुविधाएं छोड़कर, मानवता और दयालुता छोड़कर, आखरी सांस तक मजहब के नाम पर रक्त पात करने वाले अमानवीय हिंसक और जंगली लोगों से है. स्थिति की भयानकता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब परिवार का बालक शरीर पर बम बांधकर चिथड़े चिथड़े हो जाता है तो परिवार में जश्न मनाया जाता है, कि बेटा मजहब के लिए जेहाद करते हुए अल्लाह ताला के पास जन्नत में चला गया है. आपका मुकाबला उन लोगों से हैं.
दूसरी और मुकाबला उन कायार लालची और गुलाम प्रवृत्ति के जयचंदों से भी है जिन्होंने धर्म के शत्रुओं की गोद में बैठ कर हमेशा हिंदुत्व को नुकसान पहुंचाया है. स्थिति की गंभीरता को समझिए और सावधान हो जाइए. आपकी पीढ़ी में आपकी जिम्मेदारी है कि जिस धर्म को शिवाजी और महाराणा प्रताप ने अपना रक्त देकर बचाया है आज उसकी अपेक्षाएं आपसे हैं. आपको तय करना है कि आप आने वाली पीढ़ियों को क्या देकर जाना चाहते हैं . एक सड़े हुए हिंसक मजहब में शामिल होने की मजबूरी या स्वतंत्रता के साथ अपने अति पुरातन और आधुनिक वैदिक सनातन धर्म के पालन करने की स्वतंत्रता.

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