बुधवार, फ़रवरी 13, 2013

माँ सरस्वती के प्राकट्य स्थल भोजशाला में नमाज पढने की जिद्द क्यों ?



भोज के उत्तराधिकारी जयसिंह तथा उदयादित्य दोनों ही कल्याणी के चालुक्य तथा गुजरात के चालुक्य शासकों से अपने राज्य की रक्षा के लिए युद्धरत रहे। उनके बाद लक्ष्मणदेव (जगद्देव), नरवर्मन, जयवर्मन, विन्ध्यवर्मन, सुभटवर्मन आदि शासक हुए। किन्तु धीरे-धीरे परमार-शक्ति का हृास होता गया। 1305 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा पर कब्जा कर लिया। इस्लामीमूल के फकीर कमल मोलाना ने योजनापूर्वक इस्लाम का प्रचार प्रसार करके तोनो टोटको व् तबिजो के द्वारा सेकड़ो हिन्दुओ को मुसलमान बनाया तथा अलाउद्दीन खिलजी ने उसी की जानकारी के द्वारा धार पर कब्ज़ा कर लिया ! इसी भोजशाला को खंडित करने का घृणित कार्य 1401 ई. में दिलावर खां गोरी ने और 1514 ई. में महमूद खिलजी द्वितीय ने किया था। कमाल मौली की जन्नतनशीनी और अमदाबाद में उनके दफनाए जाने के 204 साल बाद भोजशाला के पास उसका मकबरा केसे बना , यह खोज का विषय है। औरंगजेब की मृत्यु के 66 साल बाद 1773 में जब धार मालवा पर मराठों का आधिपत्य हुआ तब के विवरणों में कमाल मौलाना का प्रसंग कहीं उल्लिखित नहीं है। जबकि इस स्थान का वर्णन निरंतर राजा भोज की भोजशाला और वाग्देवी मंदिर के रूप में किया जाता है। दिलावर खा गौरी ने सूर्य मार्तंड मंदिर का कुछ हिस्सा तोड़ कर उसे लाट मस्जिद में बदलने का घ्रणित कार्य किया !

संघर्ष

पुण्य स्थल पर सन 1269 इसवी से ही इस्लामी आक्रंताओ ने अलग अलग तरीको से योजना पूर्वक हमला करके भोजशाला पर आक्रमणों को तत्कालीन हिन्दू राजाओ ने विफल कर दिया! राजा महालक देव के स्वर्गवास के बाद भोजशाला के कुछ हिस्से को ध्वस्त कर उसमे मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया ! 1200 प्रकांड विद्वानों की हत्या भोजशाला के यज्ञ कुंण्ड में कर दी गई की गई ! राजा मेदनीराय ने वनवासी धर्मयोधाओ को साथ ले कर मुस्लिम अक्रंतोओं को मार भगाया गया!


तत्पश्चात 1902 में भोजशाला से वाग्देवी की प्रतिमा को चुरा कर लार्ड कर्जन अपने साथ इंग्लेंड ले गया , जो आज लन्दन संग्रहालय में कैद है !मुस्लिम अक्रान्ताओ को विगत सेकड़ो वर्षो से बार बार भोजशाला पर आक्रमण करने के बाद भी नमाज नहीं पड़ने दी गई थी १९३० में मुसलमानों ने यहाँ नमाज पड़ने का प्रयास किया ! जिसे आर्य समाज और हिन्दू महासभा ने विफल कर दिया !


किन्तु ! 12 मई 1997 तत्का लीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक आदेश से भोजशाला हिन्दुओ के लिए प्रतिबंधित कर मुस्लिमो के लिए नमाज पड़ने की अनुमति दे दी गई !
दिग्विजय सिंह के इस निर्णय का सम्पूर्ण हिन्दू समाज ने भारी विरोध किया नगर बंद धरना अन्धोलन सहित कई बार शासन को ज्ञापन दिए गए !


सन २००० में भोजशाला में यज्ञ और महा आरती का आयोजन किया गया जिसमे ५००० श्रद्धालु उपस्थित हुए ! २००१ से लगा कर २००३ तक तत्कालीन मुक्यमंत्री द्वारा वसंत उत्सव के कार्यक्रमों को विफल करने के लिए कई षड़यंत्र रचे , वर्ष में एक दिन होने वाली पूजा पर जबरन प्रतिबन्ध लगाया गया तथा हिन्दू कार्यकर्ताओ की गिरफ्तारी हुई !इसके विरोध स्वरुप हिन्दू समाज ने थानों का घेराव किया |


बाद में प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला के सामने सत्याग्रह प्रारंभ किया गया ! इसके बाद ही ब्यापक जन जागरण हुआ प्रतेक ग्राम में धर्मं सभा का आयोजन हुआ तथा जिसके फलस्वरूप ग्राम स्तर पर धर्म रक्षा समिति का गठन हुआ ! रथ यात्रा का जो धार जिले के प्रयेक ग्राम से हो कर गुजरी ! शासन द्वारा धर्मसभा को रोकने के लिए पोस्टर फाड़े उन पर कालिख पोती गयी ! ग्रामवासियों को धमकाया गया ,बसंत पंचमी के दिन प्रयेक ग्राम में समस्या निवारण शिविर भोजन की यवस्था हुई जिससे की ग्राम में रहने वाले लोग उस दिन ग्राम में ही रहे और भोजशाला ना आये ,परन्तु सभी हथकंडो से हिन्दू समाज भयभीत नहीं हुआ और भोजशाला की और हजारो लोगो की भीड़ बसंत पंचमी को आई ! धर्मं सभा को प्रवीन भाई तोड्ग्दिया ने सम्भोधित करते हुए १८ फरवरी का समय दिया अगर भोजशाला हिन्दुओ के लिए नहीं खोली गई तोह भोजशाला के ताले तोड़ दिए जावेंगे १८ फरवरी को प्रात से ही हिन्दू कार्यकर्ताओ की गिरफ़्तारी शुरू हो गई १२.३९ पर हजारो हिन्दू वीर भोजशाला की और आ गए इन पर निर्ममता से लाठी चार्ज किया गया ! उनको गिरफ्तार किया ५० से अधिक महिलाओ को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया २३ लोग गंभीर घायल हुए , इस घटना के विरोध स्वरुप सम्पूर्ण धर जिला बंद का आव्हान किया गया ! २३५ जगहों पर १८ घंटे चक्काजाम हुआ ४० हजार से अधिक लोगो ने गिरफ्तारी दी !१९ फरवरी को गोली चालन कर भोजशाला की ओर जाने वाली महिलाओ को रोका गया ! २९ कार्यकर्ताओ पर ३०२ तथा ४५० कार्यकर्ताओ पर ३०७ और १४०० कार्यकताओ पर मुक़दमे दर्ज किये गए कर्यकर्ताओ के परिवार जनो को शासकीय सेवा से निलंबित कर दिया गया !


२ धर्मं रक्षक को की मृत्यु हो गई! जिले भर में १० थाना क्षेत्रो में कर्फ्यू लगा दिया गया ! महिलाओ को जेल में मारा पिटा गया पिने को पानी तक नहीं दिया गया ! दिग्विजय सिंह यही नहीं रुका उसने देश के इतिहास में पहली बार जजिया कर के रूप में ३१५ लोगो पर १ करोड़ १६ लाख रुपये का सामूहिक जुर्माना लगाया ! इसकी वसूली के लिए स्वयं कलेक्टर ने गाव में जा कर गाव में जा कर कार्यकर्ताओ को अपमानित करते हुए उनकी चल अचल सम्पति का ब्व्योरा तेयार किया गया|


स्वाभिमानी हिन्दुओ के सतत प्रयास से अंततः ८ अप्रेल २००३ को हिन्दुओ को वर्ष में १ बार पूजा का अधिकार प्रति मंगलवार को दर्शन व पुष्प ले जाने का अधिकार मिला वर्ष २००४ , में बसंत पंचमी हर्षौल्लास से मनाई गई! हिन्दू समाज का जागरण हेतु समय समय पर भोजशाला में कार्यक्रम होते रहे जिसमे कवाड यात्रा तथा दीपावली मिलान समारोह आदि हुए ! २००४ में भोजशाला के बाहर अखण्ड संकल्प ज्योति जो मेहर से भोजशाला निरन्तर पैदल चलते हुए ली गई थी की स्थापना हुई जो आज भी उस संकल्प को याद दिला रही है की हमें भोजशाला में लन्दन से वाग्देवी की प्रतिमा को ला कर पुनः भोजशाला में स्थापित करना है ! २७ जनवरी २००४ को विशाल मात्रशक्ति सम्मलेन हुआ जिसमे जिले भर से ४०००० माँ बहनो ने भाग लिया ! इसी जागरण को २००५ में भी जारी रखते हुए भोजशाला प्रांगण में साध्वी रितुम्भरा की भागवत कथा हुई जिसमे हजारो लोगो ने भाग ले कर भोजशाला के गोरव के पुनर्स्थापना का संकल्प फिर से दोहराया !


सन २००६ में बसंत पंचमी पर हिन्दू संघटनो के आव्हान पर सम्पूर्ण जिले से हिन्दू कार्यकर्ता धार पहुंचे ! मुख्यमंत्री शिवराज की सरकार ने प्रबल हिन्दू जन्भाव्नाओ का सम्मान नहीं करते हुए वर्ष में १ बार मिले हुए हिन्दूओ को मिले पूजा के अधिकार को नहीं मानते हुए उस दिन भी नमाज पडवा दी गई ! तथा वहा उपस्थित हिन्दू समाज को बर्बरता पूर्वक आसुगैस गोलियों का प्रयोग करते हुए २०-२० किलोमीटर दूर तक खदेड़ा गया जिसमे सेकड़ो हिन्दू जन गंभीर रूप से घायल हुए तथा हजारो हिन्दुओ को चोटे आई , अपने आप को हिन्दुओ का पुरोधा कहने वाले संघटनो का यवहार भी संग्धिगता के घेरे में आ गया ! आम हिन्दू समाज भोजशाला आन्दोलन से पूरी तरह कट गया 

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