फिर से तलवारें उठ जाने दो
फिर से तलवारें उठ जाने दो
इक बार फिर क्राँति हो जाने दो
महाराणा फिर स्वच्छंद घूमेगा
चेतक की टापों से आकाश गूँजेगा
शिवाजी भी देशद्रोहियों को ललकारेंगे
हम भी आतंकियो को घर मेँ घुसकर मारेंगे
गुरु गोविन्द को भी स्वाभिमान सिखाने दो
वीर सावरकर को अखंड भारत बनाने दो
एक बार फिर कुछ देशद्रोही कट जाने दो
एक बार फिर तलवारें उठ जाने दो
एक बार फिर राम के हाथों रावण मर जाने दो
एक बार फिर कृष्ण के हाथो कंस कट जाने दो
परशुराम जी भी जब शस्त्र धारण करेंगे
अभिमानी देशद्रोही तब डर कर भागेंगे
एक बार फिर भगवान को आ जाने दो
एक बार फिर राक्षसों को कट जाने दो
अहिँसा से हो जायेगा वीरता का अँत
अब तो देश को बचायेगा एक सँत
मत आओ इन देशद्रोहियों के भ्रमजालोँ मेँ
वरना रह जाएंगे भगत-सुभाष बंद तालों में
एक बार फिर देशभक्तो को हुँकार लगाने दो
एक बार फिर तलवारें उठ जाने दो
माँ भारती के सपूतों का खून अब भी गर्म है
देशरक्षा ही सनातनियो का परम धर्म है
माँ भारती का अपमान नही सहेगा हिँदूस्थान
गौ रक्षा ही हमारा ध्येय है, हमारा कर्म है
खून को पानी अब न बनाओ यारों
देश के लिये तलवारें उठाओ यारों
स्वदेशी अपनाकर अब स्वदेश बचाओ यारों
राजीव भाई के सपनों का भारत बनाओ यारों
- अंकित
By: कड़वे कवि
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