बुधवार, नवंबर 02, 2011

क्या 28 सेप्टेंबर को आपने ये घटना किसी "सबसे तेज" चेनल पर देखी थी ? या किसी समाचार पत्र मे ?

क्या 28 सेप्टेंबर को आपने ये घटना किसी "सबसे तेज" चेनल पर देखी थी ? या किसी समाचार पत्र मे ?

28 सेप्टेंबर को राजस्थान के बूंदी जिले के नेनवा कस्बे में एक ऐसी घटना हुयी जिस से मुस्लिमो की मानसिकता को समझा जा सकता हे और राष्ट्र के खिलाफ जहर घोलती उनकी इच्छाओ और पाक प्रेम को पहचाना जा सकता हे | इसे एक साधारण घटना मान कर गागा की टाँगे परोसने वाली हरामखोर मिडिया ने भी हमेशा की तरह उपेक्षित किया हे ...वो भी किसी खतरे की घंटी से कम नहीं

कोटा संभाग में पड़ने वाले बूंदी जिले की एक तहसील हे नेनवा |वंहा लोक देवता देह्वाल्जी का मेला हर श्र्दीय नवरात्र को लगता हे और इसी अवसर पर यंहा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यकर्म होते हे उन्ही में २८ सितम्बर की शाम यंहा अखिल भारतीय विराट कवी सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमे देश के विभिन्न भागो से विभिन्न रस के कवि आये थे

उन्ही में से एक लखनुऊ से पधारे वीर रस के कवि श्री वेदव्रत वाजपेयी अपनी कविता पाकिस्तान के खिलाफ सुना रहे थे |वंहा श्रोतावो की अपार भीड़ जमा थी और श्री वेदव्रत जी ने माहोल को वीर रस से सरोबार कर दिया और भीड़ से काफी तालीया और भारत माता जिंदाबाद के नारे लगने लगे | इतने अनपेक्षित रूप से भीड़ को चीरते हुवे एक युवक ""सद्दाम ""स्टेज पर चढ़ कर वेदव्रत जी पर हमला बोल दिया , भीड़ ने हिम्मत दिखाते हुवे उस युवक की पकड़ के अच्छी ""ज्न्वारी "" कर दी और पुलिस के हवाले कर दिया |तभी तीन चार जनों ने भीड़ में से पुलिस के उपर पथर भाटो की बारिश कर दी और मस्जिद वाले चोक की तरफ भाग गये |पुलिस उन्हें वंहा ढूंढते हुवे पहुंची तो वंहा पुलिस पर और जबर्दस्त हमला हो गया |वंहा पुलिस अधीक्षक सहित छह पुलिसकर्मी घायल हो गये |

जिसमे राजेन्द्र सिंह नमक पुलिसकर्मी के सर में ९ टांके आये |

अब ये घटना क्या ब्यान करती हे और इस घटना को मिडिया दुआरा दबा देना क्या बयाँ करता हे |अगर ये ही घटना नरेंद्र मोदी के गुजरात में घटित हो जाती तो और करने वाला कोई हिन्दू होता तो मिडिया की मम्मी का खसम मर जाता |क्या कभी मुस्लिम कहेंगे की ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण हे हम इस घटना के लिए इन युवको के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करेंगे ?कभी नहीं |इसी तरह के देश विरोधी और उत्पाती तत्वों को मुस्लिम समाज प्रश्रय देता रहता हे ,जेसे की गुजरात में था २००२ से पहले और फिर जब गोधरा होता हे तो उसका खामियाजा पूरे मुस्लिम समाज को उठाना पड़ता हे |मारवाड़ी में कहावत हे ""माल खावे माटी को ,गीत गावे बीरा का ""यानि माल तो पती का खाती हे लेकिन गीत अपने भाई के गाती हे |कुछ इसी तरह के ये मुस्लिम समाज के ये गद्दार लोगे हे जो पाकिस्तान की बुराई सुनना पसंद नहीं करते हे ,जबकि वो हरामी पल पोश के यंही बड़े होते हे |इनके समर्थन में छद्दम वामपंथी सेकुलर और कांग्रेसी लोग हमेशा अपनी ""मांड ""के तेयार रहते हे |नेनवा तो एक हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र हे उसमे भी इसी तरह की दुर्भाग्य पूर्ण घटना हो गयी तो मुस्लिम बहुल्य इलाको में अनुमान लगाना कठीन हे की वंहा क्या घटित होता होगा ?

http://jaishariram-man.blogspot.com/2011/09/blog-post_29.html

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