अन्ना ने अनशन क्यों तोडा था ??
उनके दोनों बयानों में "जनलोकपाल" शब्द का प्रयोग हुआ। लोकपाल तो वैसे भी सरकार ला ही रही थी मगर टीम अन्ना को सरकार के लोकपाल से समस्या थी इसलिए उन्होंने लोकपाल के लिए नहीं बल्कि में जनलोकपाल के लिए अनशन किया।
सरकार के लोकपाल और अन्ना के जन लोकपाल में मुख्या अंतर था तीन मुख्या बातों का
- प्रधानमंत्री को जनलोकपाल के दायरे में लाया जाए
- न्यायपालिका को जनलोकपाल के दायरे में लाया जाए
- सांसद जनलोकपाल के दायरे में हो
जिन तीन मांगो के नाम पर अन्ना सारे देश के लोगों को रोड पर ले आये बाद में अन्ना ने पैंतरा बदल कर ये तीनो मांगे तो गौण कर डी और नयी तीन मांगे पेश कर दी |
ये तीनो मांगे थी :-
- नागरिक संहिता
- निचले स्तर के कर्मचारियों को लोकपाल के अधीन करना
- राज्यों में लोकायुक्त कि स्थापना
और जब उन्होंने अनशन तोडा तो यह कहा कि प्रधानमंत्री ने जनलोकपाल पास करने के आश्वाशन कि चिट्ठी भेजी है इसलिए मैं अनशन समाप्त कर रहा हूँ।
सभी देश वासी उनसी जन्लोकपाल के लिए सडको पर उतरे थे। और सभी ने सोचा कि अन्ना सच कह रहे हैं प्रधानमंत्री ने जन लोकपाल लाने के लिए आश्वासन से दिया है अब जन लोकपाल आ जायेगा और देश खुशहाल होगा।
ये था वो धोखा जो अन्ना ने पुरे देश को दिया।
अन्ना ने पुरे देश को झूठ बोला कि प्रधाम्नात्री ने जन लोकपाल के लिए आश्वासन दिया है, प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई आश्वासन दिया ही नहीं था।
ये दिखिए प्रधानमंत्री का वो पत्र जिसमे सिर्फ तीन मांगो के रेजोल्यूशन को पास किये जाने का उल्लेख है।
इसमें अन्ना कि उन तीन मांगो का कहीं उल्लेख नहीं है जिस के लिए कि उन्हें अनशन पर बैठना पड़ा था |
प्रधानमंत्री ने साफ़ साफ़ लिखा है कि वे सिर्फ बाद वाली तीन मांगो पर सहमत हुए हैं। तो फिर अन्ना ने पुरे देश से झूठ क्यों बोला कि सरकार शीतकालीन सत्र में जन लोकपाल लाने के लिए तैयार हो गयी है?
अब बताइये कौनसे लोकपाल का इंतज़ार कर रहा है देश ?
क्या अन्ना ने देश को झूठ नहीं बोला ?
क्या ये भी उनके राजनीति का हिस्सा है ?
क्या राजनीति से अपने आपको दूर बताने वाले अन्ना को राजनीति आती है ?
अब अन्ना का तीसरा पैंतरा देखिये
प्यारे भारतीय सिर्फ इसी बात से खुश हो रहे हैं कि अन्ना कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं . तो उनकी भी सुचना के लिए बता दूँ कि एक तो अन्ना ने पहले ही कह दिया था कि जन लोकपाल पास होने के बाद वो कांग्रेस के लिए काम करेंगे |और अब तो अन्ना ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखाकर वादा भी कर दिया है कि पांच राज्यों में होने वाले आगामी चुनावो में वे किसी पार्टी विशेष का विरोध नहीं करेंगे . यानी कि कांग्रेस का विरोध नहीं करेंगे
ये दिखिए उनके पत्र का अंश
तो क्या अन्ना ये मानते हैं कि उन्होंने हिसार में कांग्रेस का विरोध करके गलत किया था ?
तो क्या अन्ना अब कांग्रेस पार्टी में से सदाचारी लोगों को ढूंढकर उन्हें वोट देने कि अपील करेंगे ?
क्योंकि आपके अनुसार भाजपा तो एक सांप्रदायिक पार्टी है क्योंकि आपके अनुसार नरेन्द्र मोदी तो भट्ट पर अत्याचार करते हैं
क्योंकि आपके अनुसार अडवानी पदयात्रा कि जगह रथयात्रा करते हैं
क्योंकि किरण बेदी कहती है कि मोदी को किसने हक दिया उपवास करने का
क्योंकि संघ कांग्रेस के साथ साजिश करके आपको बदनाम कर्ता है
क्या देशवासियों को बिलकुल निरा ही समझ रखा है ??
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