शनिवार, सितंबर 03, 2011

हिंदू - मुसलमान सब सोचे"वंदेमातरम या श्री ज्योर्ज पंच्माय नम:" By Samir Joshi



हिंदू - मुसलमान सब सोचे"वंदेमातरम या श्री ज्योर्ज पंच्माय नम:"
By Samir Joshi


वन्देमातरम धर्मविशेष का गीत नहीं है. न किसी हिंदू पुराण में कोई ऋषिमुनी का लिखा हुआ मंत्र है. यह राष्ट्रीय गीत है. सबको इसका सम्मान करना चाहिए.
 
और ठीक है मूर्ति पूजा है वंदे मातरम तो काबा के पथ्हर को हिंदू विधि से शीश नमन ये क्या हुआ ?
 

कुरान में कही नहीं लिखा फिरभी एक इस्लामी तर्क -
 
"देश अल्लाह तआला से महान नहीं हो सकता, चाहे वह सऊदी अरब हो अथवा पाकिस्तान, किसी भी देश के लोगों को यह अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह अपने देश की पूजा करें"जो १०० साल का भी नहीं हुआ है..
 
और श्री राम ने लक्ष्मण को दिया हुआ उपदेश जो हजारों साल पुराना है और आज भी लोग इस से प्रेरित होते है नेयं स्वर्णपुरी लङ्का रोचते मम लक्ष्मण ।
 
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥
हे लक्ष्मण ! यह स्वर्णपुरी लंका मुझे (अब) अच्छी नहीं लगती । माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बडे होते है ।
 
और सच कहू तो मुसलमानों को और हिन्दुओ को भी जनगनमन नहीं बोलना चाहिए क्युकी वह तो इश्वर या मातृभूमि की नहीं व्यक्ति की वंदना है...ज्योर्ज पंचम के हिंदुस्तान आगमन के समय राजा के सन्मानमें........ और हम आज आज़ादी के बाद भी हम उस"भारतभाग्य विधाता की जय हे जय हे"करते है और प्रश्न अब ये नहीं की मुस्लमान मातृभूमि की वंदना क्यों करते नहीं
 
प्रश्न है की परमेश्वर की या मातृभूमि की वंदना ठीक है या व्यक्ति की
 
तो मेरे हिन्दुबंधुओ और इस्लामिक बिरादरो आपही कहे क्या सही है...
"वंदेमातरम"या"श्री ज्योर्ज पंच्माय नम:"

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