छद्म धर्मनिरपेक्षवाद आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है
मनमोहन सिंह ने कश्मीर समस्या को मुस्लिम समस्या बताकर एकबार फिर कांग्रेस का घृणित साम्प्रदायिक राजनीती को उजागर किया है. कंग्रेसिओं ने ज&क में कश्मीरी पंडितों, सिखों और बौधों की उपस्थिति को नकार दिया है. मै दावे के साथ कह सकता हू की इस देश को खतरा मुस्लिमों से नहीं बल्कि छद्म धर्मनिरपेक्षवादी राजनीतिज्ञों से है. ये पाक, पाक समर्थित आतंकवादी और स्लीपर सेल से भी ज्यादा खतरनाक है. सिर्फ कोंग्रेस ही नहीं कई राजनितिक पार्टियां मुस्लिम वोट बैंक में हिस्सेदारी के लिए बढ़ चढ कर छद्म धर्मनिरपेक्षवाद को बढ़ावा दे रहे है. कोंग्रेस उनका पथभ्रष्टक है जो प्रारंभ से अपनी इस गन्दी निति से वोट के लिए बेशर्मी से देश का अहित और देशवासियों को गुमराह कर रहा है.
अतीत में इसके द्वारा किये गए उन कार्यों को छोड़ भी दे जो देश एवं देशवासियों के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हुई है, सिर्फ यूपीए के कार्यकाल में ऐसे कई निर्णय लिए गए है और वक्तव्य दिए गए है जो देश की एकता और अखंडता के लिए घातक है. कुछ उदहारण अत्यंत दुखद है:
1. मनमोहन सिंह का वह वक्तव्य जिसमे उन्होने बेशर्मी से इस देश के संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला हक बताया उनकी घृणित सांप्रदायिक मानसिकता को व्यक्त करता है जिसका एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक मजबूत करना हो सकता है परन्तु यह देश की एकता अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए घातक हुआ है और हो सकता है. प्रधान मंत्री भूल गए की इस देश में ८०% हिंदू मूलनिवासी रहते है. ये बात और है की भारतीय उपमहादीप के ८०% मुस्लिमों का मूल हिंदुत्व में है, परन्तु यह कारन उन्हें भारतीय संसाधनों पर पहला हक नहीं प्रदान करती है. समानता के अधीन प्रजातान्त्रिक भारत में किसी भी समुदाय का पहला या दूसरा हक नहीं हो सकता, ये मामूली बात भी देश के सर्वोच्च पद पर आसीन मनमोहन सिंह भूल गए. उनके इस वक्तव्य ने राष्ट्रवादी हिंदुओं के दिल को चोट पहुंचाई है. इस वक्तव्य के वाद हतोत्साहित उग्र राष्त्रवादिओं द्वारा किये गए कुछ हिंसक घटनाओं का मूल इसमे ढूंढा जा सकता है. दूसरी ओर उनके इस वक्तव्य ने कट्टर मुस्लिमों, देश्द्रोहिओं और आतंकवादिओं के मनोबल को बढ़ाया है.
2. इस सरकार का घिनौना सांप्रदायिक चेहरा ज&क के मामले में उजागर हुआ है जहाँ इसने देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर कई ऐसे निर्णय लिए है जो शर्मनाक है.
क. इस सरकार ने मारे गए आतंकवादियों के परिवार के लिए पेंशन योजना शुरू की है जिसका एकमात्र प्रतीफल आतंकवाद को बधाबा देना ही हो सकता है. अब आतंकवादी निश्चिन्त होकर धर्म के नाम पर जेहाद लड़ सकेंगे. यूट्यूब ने मनमोहन सिंह के इस घोषण के विडियो क्लिप का शीर्षक दिया है “आतंकवादी बनो और भारत सरकार से पेंसन पाओ.”
एसी योजना अगर नक्सलिओं के लिए होती तो शायद इस बात से संतोष किया जा सकता था की वे तथाकथित रूप से हक के लिए लड़ते है. परन्तु ये तो देशद्रोही है और देश की तबाही के लिए लडनेवाले है. कश्मीरी पंडित/जनता जो इन आतंकवादिओं का शिकार हुए है उनके दिल पर क्या पतिक्रिया होगी. काश ये सरकार कांग्रेसिओं के इन शहीदों (आतंकवादिओं) द्वारा मारे गए लोगो के परिजनों के लिए पेंसन की व्यवस्था करती.
ख. इस सरकार ने पाकिस्तान में आतंकवाद का ट्रेनिंग ले रहे आतंकवादिओं को आदर सहित प्रवेश का मार्ग और देश में रहने की व्यवस्था का निर्णय लिया है ताकि वे आसानी से जेहाद का उद्देश्य पूरा कर पुण्य कमाए. टाइम्स नाउ एवं अन्य प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने सरकार के इस कदम को दुखद करार दिया है.
ग. इस सरकार की मुस्लिम परस्ती एवं तुष्टिकरण की निति ने कश्मीर समस्या जो नेहरु की मूर्खता की देन है, और भी विकत बना दिया है. वर्तमान सरकार पाक पाकपरस्त आतंकवादी, अलगाववादी के आगे नत नजर आती है. पाक पाकपरस्त आतंकवादी, अलगाववादी जो चाहे करने में सफल हो रहे है. कश्मीर की आतंकवादिओं द्वारा प्रायोजित हिंसा में निर्दोष जनता भी मर रहे है. हमारी सरकार उन देशद्रोहियों के विरुद्ध कठोर निति अपनाने की जगह उनकी तुष्टिकरण की निति अपनाते हुए आर्म्स फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट में विनाशकारी संशोधन करने की बात कर रही है. भला हो हमारे सेनिक अधिकारिओं का जो सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध कर रहे है. कश्मीर के बिगडते हालत के बिच सनिकों की संख्या में कटौती देश की सुरक्षा के साथ खिलवार ही है. ग्रेटर औतोनोमी सरकार की तुष्टिकरण की निति का ही हिस्सा है जिस पर एक बार फिर विचार करने की बात हो रही है.
3. मानवाधिकार आयोग द्वारा रजिस्टर्ड फेक एनकाउंटर के सर्वाधिक मामले देल्ही, महाराष्ट्र, उत्तर-प्रदेश, आन्ध्र-प्रदेश में है तथा सैकड़ो मामले आयोग की सीमा रेखा से बाहर है और उनमे सैकड़ो निर्दोष और बेगुनाह थे, परन्तु सिर्फ देशद्रोही सोहराबुद्दीन का मामला राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर उसका घिनौना चेहरा देखने को बाध्य किया जा रहा है. आखिर क्यों? इसलिए की यह अपराधी, देशद्रोही और आतंकवादी मुसलमान है? मै इस बात का पक्का समर्थक हू की अपराधी, देशद्रोही और आतंकवादी चाहे जिस प्रकार भी मारा जाये वो देश हित में है.
4. जिस हैडली के बयान के भरोसे भारत सरकार आत्मविश्वास के साथ पाकिस्तान के षड्यंत्र का सबूत पेश कर आई उसी हैडली ने जब इशरत जहाँ को लश्कर का आतंकी करार दिया तो इस सरकार ने उसके वक्तव्य की जाँच की बात कर हवा में उड़ा दिया. इसलिए क्योंकि वह आतंकवादी और देशद्रोही मुस्लिम थी. जब यह सरकार खुद दोगलापन दिखा चुकी है तो पाकिस्तान अगर हैडली के बयान को नकार दिया तो इसमे आश्चर्य की क्या बात है.
5. दिग्विजय सिंह का बतला कांड में मरे गए आतंकवादिओं के लिए घडियाली आंसू एक और घिनौना चेहरा पेश करता है जो स्पष्ट रूप से सेना और पुलिस को हतोत्साहित और अपमानित करनेवाली तथा आतंकवाद और कट्टरवाद को बढ़ानेवाली है. इंडियन मुजाहिद्दीन का सरगना शहजाद मारे गए लोगो को अपना साथी एवं इंडियन मुजाहिदीन का आतंकवादी स्वीकार कर चूका है.
6. अफजल की फांसी पर यह सरकार कुंडली मारे बैठी है जबकि सुप्रीम कोर्ट तक सरकार के इस रबैये का विरोध कर चुकी है. अगर कांग्रेस ये सोचती है की आतंकवादियों और देशद्रोहियों का पक्ष पोषण करने से मुस्लिम बंधू उनका समर्थन करेगी तो ये इसका भ्रम है. मुझे भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर पूरा यकीन है. कांग्रेस्सिओं के गन्दी राजनीती का समर्थन सिर्फ राष्ट्रद्रोही और कट्टरवादी ही करेंगे और करते है.
7. आश्चर्य की बात है की जहाँ एक ओर देश और देश की जनता पाक प्रायोजित आतंकवाद, घरेलु आतंकवाद, स्लीपर सेल आदि से तबाह हो रही है वहीँ इस देश में आतंकवाद से पीड़ित हिंदुओं को ही दोषी ठहराया जा रहा है, उनके विरुध ही मुकदमे और जाँच चल रही है. सरकार की इस दुखद स्थिति पर निश्चय ही पाक, पाक समर्थित आतंकवादी और देशद्रोही खुश हो रहे होंगे और प्रोत्सहित हो रहे होंगे.
केंद्रीय गृहमंत्री चिदमबरम ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिक भगवा रंग को आतंकवाद का प्रतिक बताकर मुस्लिम कट्टरवादियों और पाक समर्थक देशद्रोहियों का दिल जित लिया है. चिदंबरम भूल गए है की यह भगवा संस्कृति ही है जिसने कई संस्कृतियों को अपने गोद में जगह दी है और समानता तथा भाईचारे के साथ आज भी बिना किसी अपवाद के सहस्तित्व में है. यह भगवा रंग की अतिसहिश्नुता ही है की अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंगलादेश, कश्मीर और भारत के कई हिस्सों में इसने अपना सनातन भगवा रंग त्यागकर हरा रंग धारण कर लिया है. यदि फिर भी इसे इस तरह अपमानित और बदनाम होना परे तो मै कहूँगा की इसे इतना पक्का हो जाना चाहिए की इसे दूसरे रंग में समाहित हो जाने की जगह अन्य रंगों को खुद में समाहित कर ले या फिर सामने आनेवाले दूसरे रंगों को प्रभावशून्य कर दे. पुणे और अजमेर ब्लास्ट के पीछे अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया लश्कर और आई एस आई का हाथ साबित कर चुकी है पर ये सरकार उसका दोषारोपण आतंकवाद से त्रस्त हिंदुओं पर कर रही है. बतला कांड के द्वितीय वर्षी पर हुए देल्ली में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा हमले हुए है और उसके विस्तृत कारन बताते हुए जिम्मेदारी लेने के बाबजूद हमारी सरकार इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम लेने से कतरा रही है. कोई आश्चर्य नहीं अगर साल दो साल बाद इसके लिए भी हिंदुओं को ही जिम्मेदार ठहरा दिया जाये.
भारत में अगर कहीं प्रतिआतन्कवाद उभरा है तो उसका कारन कांग्रेस की मुस्लिम् परस्त और राष्ट्रविरोधी नीतियां जिम्मेदार है. वंदे मातरम की जयघोष से अपनी दिनचर्या प्रारंभ करनेवाले अपनी मातृभूमि को टूटते बिखरते घुटते सिसकते और कांग्रेसियों को उन पर रोटी सेकते आखिर कबतक मूक दर्शक बन देखते रहे. कबतक हम निरीह प्राणियों की तरह मरते रहेंगे और सरकार की आतंकवाद के प्रति ढुलमुल रवैये को बर्दाश्त करते रहेंगे. (इसके बाबजूद मै प्रतिआतन्कवाद का समर्थन नहीं कर सकता और मेरा विश्वास आतंकवाद और अन्य समस्याओं की जड़ कांग्रेस को समाप्त करने में है)
8. सच्चर कमिटी का वकवास जो सचाई से परे और झूठा है. यह राष्ट्रिय सर्वेक्षण संसथान के आंकडो से एकदम अलग और मनगढंत है और व्यावहारिक स्तर पर भी कही नहीं ठहरता. गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र-प्रदेश आदि में रहने वाले लोग इसकी वास्तविकता का अनुमान आसानी से लगा सकते है.
9. मुस्लिमों के लिए असंवेधानिक आरक्षण की व्यवस्था. संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण का स्पष्ट रूप से असहमति जाहिर करती है. दुःख की बात है कांग्रेसियों के बाद अब वामपंथी भी कल(२२.०९.२०१०) मुस्लिमों के लिए १०% आरक्षण की घोषणा करनेवाले है. इससे किसका भला होनेवाला है ये लोग अच्छी तरह जानते है.
वास्तविकता तो ये है की ये छद्म धर्मनिरपेक्षवादी सरकारे मुस्लिमों को बिभिन्न क्षेत्र में आरक्षण की वैशखी तो थमाना चाहती है परन्तु उनकी स्थिति में मूलभूत सुधार कट्टर मुस्लिमों जो मुस्लिम सम्प्रदाय को पिछडा बनाने के लिए जिम्मेदार है की नाराजगी और वोट बैंक खिसकने के डर से करना नहीं चाहती है. अगर सरकार ये काम करे तो न केवल पिछड़े मुस्लिमों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो बल्कि देश में अपराध, कट्टरवाद, आतंकवाद आदि में भी पर्याप्त कमी हो.
10. कांग्र्रेसियों के लिए अल्पसंख्यक का एकमात्र अर्थ मुस्लिम होता है और अल्पसंख्यक हित के नाम पर सारे कार्य का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना होता है. यहाँ तक की इस धुन में देश हित अहित का भी ख्याल रखने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है.
11. पाकिस्तान में हजारों मदरसे इस कारन से बंद कर दिए गए क्योंकि उसमे कट्टरवाद की तथा धर्म के साथ साथ बन्दुक की शिक्षा भी दी जा रही थी, परन्तु भारत में मदरसा को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके दुष्प्रभाव की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है. मुस्लिमों के पिछडापन और उनमे अराष्ट्रवादी तत्वों के उद्भव का बिज इनमे ढूंढा जा सकता है.
12. छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने संचार साधनों को भी अपने गिरफ्त में ले लिया है और पेड मिडिया इन अरष्ट्रवादियों का सहयोगी बन गया है. कुछ उदहारण अत्यंत शर्मनाक है. इन्डियन मुजाहिद्दीन का प्रणेता मुस्लिम धर्मगुरु मदनी की आतंकवादी और देशद्रोही गतिविधियां और उसके दुष्प्रचार के विरुद्ध मिडिया गूंगी दिखाई पड़ती है. अयोध्या में तथाकथित मस्जिद टुटा ये विश्व जाना पर कश्मीर में हाल में एक शिव मंदिर जला दिया गया और कुछ दिन बाद दूसरा मंदिर भी तोडा गया पर मीडिया में खबर तक नहीं आई. इससे भी शर्मनाक यह है की हाल ही में बरेली में हुए हिंदुओं पर अत्याचार जिसमे हिंदुओं को बुरी तरह मारा गया, हिंदू स्त्रियों के साथ खुलेआम बदसलूकी की गयी, हिंदुओं की दुकाने जला दी गयी और लूट ली गयी आदि घटनाएँ मीडिया में नहीं आ सकी. गुजरात दंगे की चर्चा होती है पर गोधरा कांड की नहीं होती, उडीसा दंगे की चर्चा होती है पर पादरी का दुर्व्यहार और संत लक्षमनानन्द की हत्या की चर्चा नहीं होती है. ऐसे हजारों उदहारण पड़े हुए है.
मै दावे के साथ कह सकता हू भारत में हिंदू-मुस्लिम के बिच सामाजिक स्तर पर कोई रंजिश नहीं है. देश में सांप्रदायिक सौहार्द, एकता और अखंडता को वास्तविक खतरा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों से है. इन छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने भारतीय इतिहास को विकृत कर हमारे गौरवशाली अतीत, हमारी सभ्यता और संस्कृति, हमारे परम वैभवशाली पूर्वज आदि की अवहेलना कर हमारे गौरव और हमारे पुरुषार्थ को अपमानित किया है. सबसे दुखद तो यह है की आक्रमणकारियों को हीरो और हमें, देश की रक्षा के लिए लड़नेवालों को विलेन के रूप में उल्लेख किया है. देश में छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों की पो बारह होने का एकमात्र कारन यह है की हम हिंदुओं में एकता का अभाव है और वे इसी कमजोरी का फायदा उठाते रहे है. अभी पिछले दिनों कश्मीर में मिशनरी स्कूल पर हुए हमले की निंदा पाक का दलाल कुत्ता अलीशाह गिलानी ने किया पर हिंदुओं के मंदिरों पर हुए हमले की उसने या किसी छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने चर्चा तक नहीं की क्योंकि वे जानते है हिंदू कमजोर है क्योंकि उनमे एकता नहीं है. अतः सभी भारतवासियों से अपील है की वे छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों के विरुद्ध खुलकर सामने आये. इससे पहले की हमारा धैर्य, हमारी सहिष्णुता एकबार फिर हमें अंतहीन प्रतीक्षा की ओर ले जाये राष्त्रवादिओं और देशभक्तों से अपील है की वे संगठित होकर छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों से देश को मुक्त करने का प्रयास करे.
जय हिंद. जय हो
Courtesy : Mukesh Kumar
मनमोहन सिंह ने कश्मीर समस्या को मुस्लिम समस्या बताकर एकबार फिर कांग्रेस का घृणित साम्प्रदायिक राजनीती को उजागर किया है. कंग्रेसिओं ने ज&क में कश्मीरी पंडितों, सिखों और बौधों की उपस्थिति को नकार दिया है. मै दावे के साथ कह सकता हू की इस देश को खतरा मुस्लिमों से नहीं बल्कि छद्म धर्मनिरपेक्षवादी राजनीतिज्ञों से है. ये पाक, पाक समर्थित आतंकवादी और स्लीपर सेल से भी ज्यादा खतरनाक है. सिर्फ कोंग्रेस ही नहीं कई राजनितिक पार्टियां मुस्लिम वोट बैंक में हिस्सेदारी के लिए बढ़ चढ कर छद्म धर्मनिरपेक्षवाद को बढ़ावा दे रहे है. कोंग्रेस उनका पथभ्रष्टक है जो प्रारंभ से अपनी इस गन्दी निति से वोट के लिए बेशर्मी से देश का अहित और देशवासियों को गुमराह कर रहा है.
अतीत में इसके द्वारा किये गए उन कार्यों को छोड़ भी दे जो देश एवं देशवासियों के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हुई है, सिर्फ यूपीए के कार्यकाल में ऐसे कई निर्णय लिए गए है और वक्तव्य दिए गए है जो देश की एकता और अखंडता के लिए घातक है. कुछ उदहारण अत्यंत दुखद है:
1. मनमोहन सिंह का वह वक्तव्य जिसमे उन्होने बेशर्मी से इस देश के संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला हक बताया उनकी घृणित सांप्रदायिक मानसिकता को व्यक्त करता है जिसका एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक मजबूत करना हो सकता है परन्तु यह देश की एकता अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए घातक हुआ है और हो सकता है. प्रधान मंत्री भूल गए की इस देश में ८०% हिंदू मूलनिवासी रहते है. ये बात और है की भारतीय उपमहादीप के ८०% मुस्लिमों का मूल हिंदुत्व में है, परन्तु यह कारन उन्हें भारतीय संसाधनों पर पहला हक नहीं प्रदान करती है. समानता के अधीन प्रजातान्त्रिक भारत में किसी भी समुदाय का पहला या दूसरा हक नहीं हो सकता, ये मामूली बात भी देश के सर्वोच्च पद पर आसीन मनमोहन सिंह भूल गए. उनके इस वक्तव्य ने राष्ट्रवादी हिंदुओं के दिल को चोट पहुंचाई है. इस वक्तव्य के वाद हतोत्साहित उग्र राष्त्रवादिओं द्वारा किये गए कुछ हिंसक घटनाओं का मूल इसमे ढूंढा जा सकता है. दूसरी ओर उनके इस वक्तव्य ने कट्टर मुस्लिमों, देश्द्रोहिओं और आतंकवादिओं के मनोबल को बढ़ाया है.
2. इस सरकार का घिनौना सांप्रदायिक चेहरा ज&क के मामले में उजागर हुआ है जहाँ इसने देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर कई ऐसे निर्णय लिए है जो शर्मनाक है.
क. इस सरकार ने मारे गए आतंकवादियों के परिवार के लिए पेंशन योजना शुरू की है जिसका एकमात्र प्रतीफल आतंकवाद को बधाबा देना ही हो सकता है. अब आतंकवादी निश्चिन्त होकर धर्म के नाम पर जेहाद लड़ सकेंगे. यूट्यूब ने मनमोहन सिंह के इस घोषण के विडियो क्लिप का शीर्षक दिया है “आतंकवादी बनो और भारत सरकार से पेंसन पाओ.”
एसी योजना अगर नक्सलिओं के लिए होती तो शायद इस बात से संतोष किया जा सकता था की वे तथाकथित रूप से हक के लिए लड़ते है. परन्तु ये तो देशद्रोही है और देश की तबाही के लिए लडनेवाले है. कश्मीरी पंडित/जनता जो इन आतंकवादिओं का शिकार हुए है उनके दिल पर क्या पतिक्रिया होगी. काश ये सरकार कांग्रेसिओं के इन शहीदों (आतंकवादिओं) द्वारा मारे गए लोगो के परिजनों के लिए पेंसन की व्यवस्था करती.
ख. इस सरकार ने पाकिस्तान में आतंकवाद का ट्रेनिंग ले रहे आतंकवादिओं को आदर सहित प्रवेश का मार्ग और देश में रहने की व्यवस्था का निर्णय लिया है ताकि वे आसानी से जेहाद का उद्देश्य पूरा कर पुण्य कमाए. टाइम्स नाउ एवं अन्य प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने सरकार के इस कदम को दुखद करार दिया है.
ग. इस सरकार की मुस्लिम परस्ती एवं तुष्टिकरण की निति ने कश्मीर समस्या जो नेहरु की मूर्खता की देन है, और भी विकत बना दिया है. वर्तमान सरकार पाक पाकपरस्त आतंकवादी, अलगाववादी के आगे नत नजर आती है. पाक पाकपरस्त आतंकवादी, अलगाववादी जो चाहे करने में सफल हो रहे है. कश्मीर की आतंकवादिओं द्वारा प्रायोजित हिंसा में निर्दोष जनता भी मर रहे है. हमारी सरकार उन देशद्रोहियों के विरुद्ध कठोर निति अपनाने की जगह उनकी तुष्टिकरण की निति अपनाते हुए आर्म्स फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट में विनाशकारी संशोधन करने की बात कर रही है. भला हो हमारे सेनिक अधिकारिओं का जो सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध कर रहे है. कश्मीर के बिगडते हालत के बिच सनिकों की संख्या में कटौती देश की सुरक्षा के साथ खिलवार ही है. ग्रेटर औतोनोमी सरकार की तुष्टिकरण की निति का ही हिस्सा है जिस पर एक बार फिर विचार करने की बात हो रही है.
3. मानवाधिकार आयोग द्वारा रजिस्टर्ड फेक एनकाउंटर के सर्वाधिक मामले देल्ही, महाराष्ट्र, उत्तर-प्रदेश, आन्ध्र-प्रदेश में है तथा सैकड़ो मामले आयोग की सीमा रेखा से बाहर है और उनमे सैकड़ो निर्दोष और बेगुनाह थे, परन्तु सिर्फ देशद्रोही सोहराबुद्दीन का मामला राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर उसका घिनौना चेहरा देखने को बाध्य किया जा रहा है. आखिर क्यों? इसलिए की यह अपराधी, देशद्रोही और आतंकवादी मुसलमान है? मै इस बात का पक्का समर्थक हू की अपराधी, देशद्रोही और आतंकवादी चाहे जिस प्रकार भी मारा जाये वो देश हित में है.
4. जिस हैडली के बयान के भरोसे भारत सरकार आत्मविश्वास के साथ पाकिस्तान के षड्यंत्र का सबूत पेश कर आई उसी हैडली ने जब इशरत जहाँ को लश्कर का आतंकी करार दिया तो इस सरकार ने उसके वक्तव्य की जाँच की बात कर हवा में उड़ा दिया. इसलिए क्योंकि वह आतंकवादी और देशद्रोही मुस्लिम थी. जब यह सरकार खुद दोगलापन दिखा चुकी है तो पाकिस्तान अगर हैडली के बयान को नकार दिया तो इसमे आश्चर्य की क्या बात है.
5. दिग्विजय सिंह का बतला कांड में मरे गए आतंकवादिओं के लिए घडियाली आंसू एक और घिनौना चेहरा पेश करता है जो स्पष्ट रूप से सेना और पुलिस को हतोत्साहित और अपमानित करनेवाली तथा आतंकवाद और कट्टरवाद को बढ़ानेवाली है. इंडियन मुजाहिद्दीन का सरगना शहजाद मारे गए लोगो को अपना साथी एवं इंडियन मुजाहिदीन का आतंकवादी स्वीकार कर चूका है.
6. अफजल की फांसी पर यह सरकार कुंडली मारे बैठी है जबकि सुप्रीम कोर्ट तक सरकार के इस रबैये का विरोध कर चुकी है. अगर कांग्रेस ये सोचती है की आतंकवादियों और देशद्रोहियों का पक्ष पोषण करने से मुस्लिम बंधू उनका समर्थन करेगी तो ये इसका भ्रम है. मुझे भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर पूरा यकीन है. कांग्रेस्सिओं के गन्दी राजनीती का समर्थन सिर्फ राष्ट्रद्रोही और कट्टरवादी ही करेंगे और करते है.
7. आश्चर्य की बात है की जहाँ एक ओर देश और देश की जनता पाक प्रायोजित आतंकवाद, घरेलु आतंकवाद, स्लीपर सेल आदि से तबाह हो रही है वहीँ इस देश में आतंकवाद से पीड़ित हिंदुओं को ही दोषी ठहराया जा रहा है, उनके विरुध ही मुकदमे और जाँच चल रही है. सरकार की इस दुखद स्थिति पर निश्चय ही पाक, पाक समर्थित आतंकवादी और देशद्रोही खुश हो रहे होंगे और प्रोत्सहित हो रहे होंगे.
केंद्रीय गृहमंत्री चिदमबरम ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिक भगवा रंग को आतंकवाद का प्रतिक बताकर मुस्लिम कट्टरवादियों और पाक समर्थक देशद्रोहियों का दिल जित लिया है. चिदंबरम भूल गए है की यह भगवा संस्कृति ही है जिसने कई संस्कृतियों को अपने गोद में जगह दी है और समानता तथा भाईचारे के साथ आज भी बिना किसी अपवाद के सहस्तित्व में है. यह भगवा रंग की अतिसहिश्नुता ही है की अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंगलादेश, कश्मीर और भारत के कई हिस्सों में इसने अपना सनातन भगवा रंग त्यागकर हरा रंग धारण कर लिया है. यदि फिर भी इसे इस तरह अपमानित और बदनाम होना परे तो मै कहूँगा की इसे इतना पक्का हो जाना चाहिए की इसे दूसरे रंग में समाहित हो जाने की जगह अन्य रंगों को खुद में समाहित कर ले या फिर सामने आनेवाले दूसरे रंगों को प्रभावशून्य कर दे. पुणे और अजमेर ब्लास्ट के पीछे अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया लश्कर और आई एस आई का हाथ साबित कर चुकी है पर ये सरकार उसका दोषारोपण आतंकवाद से त्रस्त हिंदुओं पर कर रही है. बतला कांड के द्वितीय वर्षी पर हुए देल्ली में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा हमले हुए है और उसके विस्तृत कारन बताते हुए जिम्मेदारी लेने के बाबजूद हमारी सरकार इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम लेने से कतरा रही है. कोई आश्चर्य नहीं अगर साल दो साल बाद इसके लिए भी हिंदुओं को ही जिम्मेदार ठहरा दिया जाये.
भारत में अगर कहीं प्रतिआतन्कवाद उभरा है तो उसका कारन कांग्रेस की मुस्लिम् परस्त और राष्ट्रविरोधी नीतियां जिम्मेदार है. वंदे मातरम की जयघोष से अपनी दिनचर्या प्रारंभ करनेवाले अपनी मातृभूमि को टूटते बिखरते घुटते सिसकते और कांग्रेसियों को उन पर रोटी सेकते आखिर कबतक मूक दर्शक बन देखते रहे. कबतक हम निरीह प्राणियों की तरह मरते रहेंगे और सरकार की आतंकवाद के प्रति ढुलमुल रवैये को बर्दाश्त करते रहेंगे. (इसके बाबजूद मै प्रतिआतन्कवाद का समर्थन नहीं कर सकता और मेरा विश्वास आतंकवाद और अन्य समस्याओं की जड़ कांग्रेस को समाप्त करने में है)
8. सच्चर कमिटी का वकवास जो सचाई से परे और झूठा है. यह राष्ट्रिय सर्वेक्षण संसथान के आंकडो से एकदम अलग और मनगढंत है और व्यावहारिक स्तर पर भी कही नहीं ठहरता. गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र-प्रदेश आदि में रहने वाले लोग इसकी वास्तविकता का अनुमान आसानी से लगा सकते है.
9. मुस्लिमों के लिए असंवेधानिक आरक्षण की व्यवस्था. संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण का स्पष्ट रूप से असहमति जाहिर करती है. दुःख की बात है कांग्रेसियों के बाद अब वामपंथी भी कल(२२.०९.२०१०) मुस्लिमों के लिए १०% आरक्षण की घोषणा करनेवाले है. इससे किसका भला होनेवाला है ये लोग अच्छी तरह जानते है.
वास्तविकता तो ये है की ये छद्म धर्मनिरपेक्षवादी सरकारे मुस्लिमों को बिभिन्न क्षेत्र में आरक्षण की वैशखी तो थमाना चाहती है परन्तु उनकी स्थिति में मूलभूत सुधार कट्टर मुस्लिमों जो मुस्लिम सम्प्रदाय को पिछडा बनाने के लिए जिम्मेदार है की नाराजगी और वोट बैंक खिसकने के डर से करना नहीं चाहती है. अगर सरकार ये काम करे तो न केवल पिछड़े मुस्लिमों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो बल्कि देश में अपराध, कट्टरवाद, आतंकवाद आदि में भी पर्याप्त कमी हो.
10. कांग्र्रेसियों के लिए अल्पसंख्यक का एकमात्र अर्थ मुस्लिम होता है और अल्पसंख्यक हित के नाम पर सारे कार्य का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना होता है. यहाँ तक की इस धुन में देश हित अहित का भी ख्याल रखने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है.
11. पाकिस्तान में हजारों मदरसे इस कारन से बंद कर दिए गए क्योंकि उसमे कट्टरवाद की तथा धर्म के साथ साथ बन्दुक की शिक्षा भी दी जा रही थी, परन्तु भारत में मदरसा को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके दुष्प्रभाव की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है. मुस्लिमों के पिछडापन और उनमे अराष्ट्रवादी तत्वों के उद्भव का बिज इनमे ढूंढा जा सकता है.
12. छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने संचार साधनों को भी अपने गिरफ्त में ले लिया है और पेड मिडिया इन अरष्ट्रवादियों का सहयोगी बन गया है. कुछ उदहारण अत्यंत शर्मनाक है. इन्डियन मुजाहिद्दीन का प्रणेता मुस्लिम धर्मगुरु मदनी की आतंकवादी और देशद्रोही गतिविधियां और उसके दुष्प्रचार के विरुद्ध मिडिया गूंगी दिखाई पड़ती है. अयोध्या में तथाकथित मस्जिद टुटा ये विश्व जाना पर कश्मीर में हाल में एक शिव मंदिर जला दिया गया और कुछ दिन बाद दूसरा मंदिर भी तोडा गया पर मीडिया में खबर तक नहीं आई. इससे भी शर्मनाक यह है की हाल ही में बरेली में हुए हिंदुओं पर अत्याचार जिसमे हिंदुओं को बुरी तरह मारा गया, हिंदू स्त्रियों के साथ खुलेआम बदसलूकी की गयी, हिंदुओं की दुकाने जला दी गयी और लूट ली गयी आदि घटनाएँ मीडिया में नहीं आ सकी. गुजरात दंगे की चर्चा होती है पर गोधरा कांड की नहीं होती, उडीसा दंगे की चर्चा होती है पर पादरी का दुर्व्यहार और संत लक्षमनानन्द की हत्या की चर्चा नहीं होती है. ऐसे हजारों उदहारण पड़े हुए है.
मै दावे के साथ कह सकता हू भारत में हिंदू-मुस्लिम के बिच सामाजिक स्तर पर कोई रंजिश नहीं है. देश में सांप्रदायिक सौहार्द, एकता और अखंडता को वास्तविक खतरा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों से है. इन छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने भारतीय इतिहास को विकृत कर हमारे गौरवशाली अतीत, हमारी सभ्यता और संस्कृति, हमारे परम वैभवशाली पूर्वज आदि की अवहेलना कर हमारे गौरव और हमारे पुरुषार्थ को अपमानित किया है. सबसे दुखद तो यह है की आक्रमणकारियों को हीरो और हमें, देश की रक्षा के लिए लड़नेवालों को विलेन के रूप में उल्लेख किया है. देश में छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों की पो बारह होने का एकमात्र कारन यह है की हम हिंदुओं में एकता का अभाव है और वे इसी कमजोरी का फायदा उठाते रहे है. अभी पिछले दिनों कश्मीर में मिशनरी स्कूल पर हुए हमले की निंदा पाक का दलाल कुत्ता अलीशाह गिलानी ने किया पर हिंदुओं के मंदिरों पर हुए हमले की उसने या किसी छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने चर्चा तक नहीं की क्योंकि वे जानते है हिंदू कमजोर है क्योंकि उनमे एकता नहीं है. अतः सभी भारतवासियों से अपील है की वे छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों के विरुद्ध खुलकर सामने आये. इससे पहले की हमारा धैर्य, हमारी सहिष्णुता एकबार फिर हमें अंतहीन प्रतीक्षा की ओर ले जाये राष्त्रवादिओं और देशभक्तों से अपील है की वे संगठित होकर छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों से देश को मुक्त करने का प्रयास करे.
जय हिंद. जय हो
Courtesy : Mukesh Kumar
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