बंगलादेश को भारतीय भूमि देने का सत्य .... और विदेश नीतियों का इस्लामीकरण
बंगलादेश को कुछ विवादों के चलते भूमि दी जा रही है, जिसके बारे में अनजान रखा जा रहा है सबको l
कोई समाचार पत्र छाप रहा है की केवल 60 एकड़ भूमि ही दी गई है ?
किसी का छापना है की 600 एकड़ .... 140 एकड़ ....
क्या है सत्य ... ?
ये बात है तब की जब Jessore के हिन्दू राजा और मुर्शिदाबाद के नवाब जुए में गाँव के गाँव हार जीत पर लगाया करते थे l
1947 के बंटवारे के बाद मुर्शिदाबाद भारत में आ गया और हिन्दू शहर जाशोर बंगलादेश में चला गया l
कुछ द्वीपों का भी इतिहास ऐसा है की भारत और तत्कालीन porkistan के साथ सीमा विवाद चलता ही रहा निरंतर l
मार्शल टीटो समझौता
बंगलादेश और Porkistan के साथ कोई प्राकृतिक सीमा नहीं है, जैसे की चीन और श्री लंका के साथ पाई जाती है, अतः सीमा विवाद भी होना आवश्यक था और वो भी ... इस्लामी मानसिकता के साथ l
बंगलादेश की सीमा भारतीय राज्यों से लगती है ...पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय
UNO ने एक कमेटी बना कर भारत Porkistan सीमा विवाद का हल करवाना चाह जिसकी अध्यक्षता कर रहे थे युक्रेन के निवासी मार्शल टीटो l
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद नेहरु और तत्कालीन Porkistan शासक ने भी स्वीकृति दी और आगे जाकर याह्या खान आदि ने यह निर्णय लिया की मार्शल टीटो जो परामर्श देगा उसे हम मान लेंगे l
मार्शल टीटो ने भी बड़ी कुशलता से षड्यंत्र रचते हुए यह परामर्श सुझा दिया की तत्कालीन तीस्ता नदी को ही सीमा मान लिया जाए, जिसको की उस समय तो मान लिया गया l
परन्तु उस समय तीस्ता नदी में बाढ़ आई हुई थी जिस कारण से तीस्ता नदी ने कई जगहों से रास्ता बदला भी हुआ था और पानी भी भरा हुआ था l
इस्लामी मानसिकताओं के लालच का तो कोई अंत स्वाभाविक रूप से है ही नहीं
हजरत महामूत के Easy Money के सिद्धांत को तो अपने खून में बसा चुके हैं, ये सब इस्लामी कीड़े l
तत्कालीन पोर्किस्तान (बंगलादेश) की नीयत खराब हुई और उसने तत्कालीन बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों पर भी अपना कब्जा लेने को बार बार भारत पर दबाव बनाया, सीर क्रीक का विवाद भी आप सब पढ़ सकते हैं इस विषय पर l
वर्तमान समझौता
वर्तमान समझौते के तहत ऐसे प्रतीत होता है की जैसे भारत ने ...अमेरिका जैसे देश के आगे घुटने टेक दिए हों क्योंकि Uncle Sam तो फिर भी दादागिरी के लिए मशहूर हैं, अपने एजेंटों से परमाणु संधि के लिए भारत के संसद तक खरीद लेते हैं वो तो ....
परन्तु बंगलादेश जैसे भूखे नंगे दो कौड़ी की औकात न रखने वाले देश के आगे घुटने टेक देना भारतीय विदेश नीति के इस्लामीकरण की मानसिकता को दर्शाता है l
ऐसा प्रतीत होता है जैसे भारत की विदेश नीति इस्लामी मानसिकता के लोगों द्वारा निर्धारित की जाती है l
इस भूमि विवाद के विवादित समझौते के अंतर्गत एक बहुत बड़ा जनसँख्या परिवर्तन भी होने जा रहा है जिसके बारे में भारतीय जनमानस को इतिहास की तरह आज भी .... अँधेरे में ही रखा जा रहा है l
बंगलादेश के 1,70,000 मुसलमानों को भारत में शरण दी जाएगी जिनकी कुल भूमि है 5400 एकड़ l
और भारत के 30000 हिन्दुओं की 17500 एकड़ भूमि बंगलादेश को दी जा रही है l
12000 एकड़ भूमि दुसरे देश को दी जा रही है... इससे बड़ा धोखा या देशद्रोह नहीं हो सकता भारतीय जनमानस के साथ l
और साथ में भारत के हिन्दुओं के ऊपर एक शर्त भी थोपी गयी है की यदि आप भारत सरकार से अपनी भूमि पर कोई Claim नहीं करते हैं तो आप भारत में कहीं भी रह सकते हैं l
और यह भी प्रत्यक्ष है, साक्षी है, प्रमाणित है की ... जब ये हिन्दू लोग बंगलादेश के अधीन आएंगे तो अगले कुछ वर्षों में ही अधिकतर का धर्म-परिवर्तन भी करवा दिया जायेगा, और जाने कितनी महिलाओं को यौन-उत्पीडन के दौर से गुजरना होगा ?
क्या यह ... हिटलर शाही का देश है ?
या फिर इस्लामी देश ?
प्रश्न फिर वही आता है की क्या यह सरकार और नीतियाँ .... भारतीय हैं ?
किस लोकतंत्र और धर्म-निरपेक्षता की पक्षधर है ये लोकतंत्र के अंदर व्याप्त राजशाही ...?
ये देश हमारा है,
इस भूमि पर सनातनी आर्यों का पहला अधिकार है... था और सदैव रहेगा l
क्या आप लोग इसका विरोध कर सकते हैं ?
यदि आज नहीं कर सकते तो तैयार रहिये आप भी किसी भी समय किसी भी इस्लामी देश के अधीन हो सकते हैं बिना किसी चल अचल सम्पत्ति के l
यहाँ कुछ बातें उल्लेक्ख्नीय है ...
महत्वपूर्ण ये है की इंदिरा गांधी ने 1980 में इस विवाद पर बंगलादेश को मिलेगी ... उतनी ही भूमि बंगलादेश यदि भारत को देता है .. उसी दिशा में यह समझौता पूर्ण हो सकता है अन्यथा नहीं l
हालांकि बंगलादेश सरकार ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया था l
परन्तु भारत की ऐसी कौन सी नब्ज़ है .... जो इस्लामी मानसिकता के मंत्रियों की उँगलियों के नियन्त्रण में है ?
क्या भारत में पैदा होने वाले हिन्दुओं पर जयचंदी श्राप अनंत काल के लिए लग चुका है ?
सब बिके हुए ही पैदा हो रहे हैं ?
भला किस प्रकार कुछ भारतीयों को इस्लामी देश की नागरिकता लेने पर विवश किया जा सकता है ?
और 12000 एकड़ भारतीय भूमि दुसरे देश को कैसे दी जा सकती है ?
कृपया आप सब सुझाएँ .... क्या हो रहा है ?
और आप सब क्या क्या कर सकते हैं ?
जय जय श्री राम कृष्ण परशुराम ॐ .....
कोई समाचार पत्र छाप रहा है की केवल 60 एकड़ भूमि ही दी गई है ?
किसी का छापना है की 600 एकड़ .... 140 एकड़ ....
क्या है सत्य ... ?
ये बात है तब की जब Jessore के हिन्दू राजा और मुर्शिदाबाद के नवाब जुए में गाँव के गाँव हार जीत पर लगाया करते थे l
1947 के बंटवारे के बाद मुर्शिदाबाद भारत में आ गया और हिन्दू शहर जाशोर बंगलादेश में चला गया l
कुछ द्वीपों का भी इतिहास ऐसा है की भारत और तत्कालीन porkistan के साथ सीमा विवाद चलता ही रहा निरंतर l
मार्शल टीटो समझौता
बंगलादेश और Porkistan के साथ कोई प्राकृतिक सीमा नहीं है, जैसे की चीन और श्री लंका के साथ पाई जाती है, अतः सीमा विवाद भी होना आवश्यक था और वो भी ... इस्लामी मानसिकता के साथ l
बंगलादेश की सीमा भारतीय राज्यों से लगती है ...पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय
UNO ने एक कमेटी बना कर भारत Porkistan सीमा विवाद का हल करवाना चाह जिसकी अध्यक्षता कर रहे थे युक्रेन के निवासी मार्शल टीटो l
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद नेहरु और तत्कालीन Porkistan शासक ने भी स्वीकृति दी और आगे जाकर याह्या खान आदि ने यह निर्णय लिया की मार्शल टीटो जो परामर्श देगा उसे हम मान लेंगे l
मार्शल टीटो ने भी बड़ी कुशलता से षड्यंत्र रचते हुए यह परामर्श सुझा दिया की तत्कालीन तीस्ता नदी को ही सीमा मान लिया जाए, जिसको की उस समय तो मान लिया गया l
परन्तु उस समय तीस्ता नदी में बाढ़ आई हुई थी जिस कारण से तीस्ता नदी ने कई जगहों से रास्ता बदला भी हुआ था और पानी भी भरा हुआ था l
इस्लामी मानसिकताओं के लालच का तो कोई अंत स्वाभाविक रूप से है ही नहीं
हजरत महामूत के Easy Money के सिद्धांत को तो अपने खून में बसा चुके हैं, ये सब इस्लामी कीड़े l
तत्कालीन पोर्किस्तान (बंगलादेश) की नीयत खराब हुई और उसने तत्कालीन बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों पर भी अपना कब्जा लेने को बार बार भारत पर दबाव बनाया, सीर क्रीक का विवाद भी आप सब पढ़ सकते हैं इस विषय पर l
वर्तमान समझौता
वर्तमान समझौते के तहत ऐसे प्रतीत होता है की जैसे भारत ने ...अमेरिका जैसे देश के आगे घुटने टेक दिए हों क्योंकि Uncle Sam तो फिर भी दादागिरी के लिए मशहूर हैं, अपने एजेंटों से परमाणु संधि के लिए भारत के संसद तक खरीद लेते हैं वो तो ....
परन्तु बंगलादेश जैसे भूखे नंगे दो कौड़ी की औकात न रखने वाले देश के आगे घुटने टेक देना भारतीय विदेश नीति के इस्लामीकरण की मानसिकता को दर्शाता है l
ऐसा प्रतीत होता है जैसे भारत की विदेश नीति इस्लामी मानसिकता के लोगों द्वारा निर्धारित की जाती है l
इस भूमि विवाद के विवादित समझौते के अंतर्गत एक बहुत बड़ा जनसँख्या परिवर्तन भी होने जा रहा है जिसके बारे में भारतीय जनमानस को इतिहास की तरह आज भी .... अँधेरे में ही रखा जा रहा है l
बंगलादेश के 1,70,000 मुसलमानों को भारत में शरण दी जाएगी जिनकी कुल भूमि है 5400 एकड़ l
और भारत के 30000 हिन्दुओं की 17500 एकड़ भूमि बंगलादेश को दी जा रही है l
12000 एकड़ भूमि दुसरे देश को दी जा रही है... इससे बड़ा धोखा या देशद्रोह नहीं हो सकता भारतीय जनमानस के साथ l
और साथ में भारत के हिन्दुओं के ऊपर एक शर्त भी थोपी गयी है की यदि आप भारत सरकार से अपनी भूमि पर कोई Claim नहीं करते हैं तो आप भारत में कहीं भी रह सकते हैं l
और यह भी प्रत्यक्ष है, साक्षी है, प्रमाणित है की ... जब ये हिन्दू लोग बंगलादेश के अधीन आएंगे तो अगले कुछ वर्षों में ही अधिकतर का धर्म-परिवर्तन भी करवा दिया जायेगा, और जाने कितनी महिलाओं को यौन-उत्पीडन के दौर से गुजरना होगा ?
क्या यह ... हिटलर शाही का देश है ?
या फिर इस्लामी देश ?
प्रश्न फिर वही आता है की क्या यह सरकार और नीतियाँ .... भारतीय हैं ?
किस लोकतंत्र और धर्म-निरपेक्षता की पक्षधर है ये लोकतंत्र के अंदर व्याप्त राजशाही ...?
ये देश हमारा है,
इस भूमि पर सनातनी आर्यों का पहला अधिकार है... था और सदैव रहेगा l
क्या आप लोग इसका विरोध कर सकते हैं ?
यदि आज नहीं कर सकते तो तैयार रहिये आप भी किसी भी समय किसी भी इस्लामी देश के अधीन हो सकते हैं बिना किसी चल अचल सम्पत्ति के l
यहाँ कुछ बातें उल्लेक्ख्नीय है ...
- न ही वेटिकन, चीन और सलीमशाही जूतियाँ चाटने वाली मीडिया द्वारा इस विषय पर कुछ विशेष दिखाया या छापा जा रहा है ?
- विपक्ष द्वारा या किसी भी हिंदूवादी सन्गठन द्वारा कोई बड़ा आन्दोलन नहीं किया जा रहा ?
- विपक्ष भी चुप ..... ? जाने कौन सी दवाई पिलाई हुई है आजकल विपक्ष को सरकार ने ?
- भारतीय जनमानस तो पुरे विश्व में इतना महामूर्ख है की उसे न तो कुछ पढने की अब आदत है और न ही कुछ समझने की ... एक पैशाचिक मानसिकता खून में रच बस चुकी है ... "हमको क्या ?? "
महत्वपूर्ण ये है की इंदिरा गांधी ने 1980 में इस विवाद पर बंगलादेश को मिलेगी ... उतनी ही भूमि बंगलादेश यदि भारत को देता है .. उसी दिशा में यह समझौता पूर्ण हो सकता है अन्यथा नहीं l
हालांकि बंगलादेश सरकार ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया था l
परन्तु भारत की ऐसी कौन सी नब्ज़ है .... जो इस्लामी मानसिकता के मंत्रियों की उँगलियों के नियन्त्रण में है ?
क्या भारत में पैदा होने वाले हिन्दुओं पर जयचंदी श्राप अनंत काल के लिए लग चुका है ?
सब बिके हुए ही पैदा हो रहे हैं ?
भला किस प्रकार कुछ भारतीयों को इस्लामी देश की नागरिकता लेने पर विवश किया जा सकता है ?
और 12000 एकड़ भारतीय भूमि दुसरे देश को कैसे दी जा सकती है ?
कृपया आप सब सुझाएँ .... क्या हो रहा है ?
और आप सब क्या क्या कर सकते हैं ?
जय जय श्री राम कृष्ण परशुराम ॐ .....
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