पाक का नापाक गणित : 2017 में हो सकता है भारत-चीन युद्ध !
Lovy Bhardwaj द्वारा
पाक का नापाक गणित: 2017 में हो सकता है भारत-चीन युद्ध !
चीन की बढ़ती ताकत और के मद्देनजर पाकिस्तान में भारत-चीन संबंध को अलग नजरिए से देखा जाने लगा है। इसमें 2017 तक भारत-चीन युद्ध की आशंका तक जताई जा रही है।
पाकिस्तान इन दिनों चीन से संबंध सुधारने में लगा है और भारत के साथ चीन के रिश्ते लगातार नरम-गरम रहे हैं। हाल ही में चीन ने जम्मू-कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हुए वहां की कमान संभाल रहे वरिष्ठ सैन्य अफसर को वीजा तक देने से इनकार कर दिया है। इन परिस्थितियों के बीच पाकिस्तान में भारत-चीन युद्ध की अटकलों को लेकर प्रोपैगंडा चलाया जा रहा है। आधिकारिक रूप से तो इस बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, लेकिन मीडिया के जरिए यह प्रोपैगंडा चलाया जा रहा है।पाकिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट डॉन के मुताबिक दुनिया की दो बड़ी ताकतों (भारत और चीन) के बीच टकराव तय है। तर्क है कि भारत और चीन में शांतिपूर्वक विकास के लिए विकल्प कम होते जा रहे हैं। भारत और चीन सभी स्तरों पर स्पर्धा कर रहे हैं, फिर चाहे वह आर्थिक मोर्चा हो या फिर क्षेत्रीय वर्चस्व की बात हो। यही होड़ खतरनाक नतीजे दे सकती है। हालांकि, करीब साल भर पहले भारतीय मीडिया में भी इससे मिलती-जुलती खबर आई थी। इसके मुताबिक, भारतीय सेना की खुफिया कवायद जिसे 'डिवाइन मैट्रिक्स' का नाम दिया गया है, में चीन के साथ युद्ध का अनुमान लगाया गया है। भारतीय सेना के अफसर के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि दक्षिण एशिया में एक मात्र ताकत के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए चीन, भारत पर हमला कर सकता है। भारतीय सेना के द्वारा किए गए आकलन में कहा गया है कि चीन इनफर्मेशन वारफेयर (आईडब्लू) के सहारे भारत को हराने की फिराक में है।
2009 में पेंटागन की ओर से जारी रिपोर्ट में भी कहा गया था कि चीन ऐसे उपकरणों और हथियारों को विकसित कर रहा है जो दक्षिण एशिया में मौजूद किसी भी देश की नौसेना और वायुसेना को बौना साबित कर देंगे। पेंटागन को आशंका है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ जाएगा।
भारत और अमेरिका के हाल के सालों में बढ़ती नजदीकी से भी चीन चिंतित है। खास तौर से अमेरिका और भारत के बीच हुए परमाणु करार ने चीन को खासा परेशान किया है। वहीं, चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती दोस्ती से भारत चिंतित है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 1962 में सीमा विवाद को लेकर एक युद्ध हुआ था, जिसमें चीन को जीत मिली थी। पेंटागन ने हाल में भी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक चीन पड़ोसी भारत से लगी सीमा पर मिसाइलें तैनात कर रहा है और अपनी वायुसेना को बहुत कम समय में भारतीय सीमा पर सक्रिय करने की तैयारी कर चुका है।
वहीं, चीन भारत के साथ युद्ध की आशंका को नकारता रहा है। चीन के जानकारों के मुताबिक चीन विकास के जिस दौर में पहुंच चुका है, वहां भारत से लड़ाई करने जैसा बेकार, महंगा और क्षेत्र की भू-राजनैतिक तस्वीर बदलने वाला कदम वह नहीं उठाएगा। चीन के जानकारों का मानना है कि भारत से युद्ध का चीन को बहुत ज़्यादा फायदा नहीं होने वाला है।
भारत को उकसाता रहा है चीन
चीन से भारत का संबंध अच्छा नहीं रहा है। यही वजह है कि भारत को लगातार उकसाता रहा है। दोनों देशों के बीच 1962 से चली आ रही खटास हाल ही में विकसित हो रहे अच्छे व्यापारिक रिश्तों के बावजूद कम नहीं हो रही है। चीन भारत को उकसाने के लिए कोई न कोई हरकत करता रहा है। ऐसे ही कुछ मुद्दों पर एक नज़र:
भारत की सीमा में लिख दिया 'चीन'- भारत- चीन सीमा की वास्तविक नियंत्रण रेखा में 2008 में 270 बार चीनी घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। 2009 में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ीं। 2008 के पहले छह महीने में चीन ने सिक्किम में कुल 71 बार भारतीय इलाके में चीन ने घुसपैठ की। जून, 2008 में चीन के सैनिक वाहनों के काफ़िले भारतीय सीमा से एक किलोमीटर भीतर तक आ गए। इसके एक महीने पहले चीनी सैनिकों ने इसी इलाके में स्थित कुछ पत्थर के ढांचे तोड़ने की धमकी भी दी, जिस धमकी को बाद में चीनी अधिकारियों ने दोहराया भी था।
सितंबर 2008 में लद्दाख में सीमा पर स्थित पांगोंग त्सो झील पर चीनी सैनिकों का मोटर बोट से भारतीय सीमा में अतिक्रमण नियमित रूप से चल रहा है और आज तक जारी भी है। 135 किमी लंबी इस झील का दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है और शेष एक तिहाई भारत के पास है। कारगिल युद्ध के दौरान चीन ने इस झील के साथ-साथ पांच किमी का एक पक्का रास्ता बना लिया है, जो झील के दक्षिणी छोर तक है। यह इलाका जो भारतीय सीमा के भीतर आता है।
जून 2009 में जम्मू- कश्मीर में मौजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित देमचोक (लद्दाख क्षेत्र) में दो चीनी सैनिक हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा में नीचे उड़ते हुए घुसे। इन हेलीकॉप्टरों से डिब्बाबंद भोजन गिराए गए। जुलाई, 2009 में हिमाचल प्रदेश के स्पीती, जम्मू -कश्मीर के लद्दाख और तिब्बत के त्रिसंगम में स्थित ‘माउंट ग्या’ के पास चीनी फ़ौज सीमा से करीब 1.5 किलोमीटर भीतर आ गई। इन चीनी सैनिकों ने पत्थरों पर लाल रंग से 'चीन' लिखा। 31 जुलाई 2009 को भारत के सीमा गश्ती दल ने ‘ज़ुलुंग ला र्दे’ के पास लाल रंग में चीन-चीन के निशान भी लिखे देखे। सितंबर, 2009 में उत्तराखंड मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने केंद्र सरकार को चमोली जिले के रिमखिम इलाके के स्थानीय लोगों से मिली चीनी घुसपैठ की जानकारी दी। इस जानकारी के अनुसार पांच सितंबर, 2009 को चीनी सैनिक भारतीय सीमा के भीतर दाखिल हुए।
अरुणाचल प्रदेश- अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन लगातार बयानबाजी करता रहा है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके को ‘दक्षिण तिब्बत’ का नाम दिया है। इसके अलावा वह अरुणाचल प्रदेश को चीन के नक्शे पर दिखाता है। चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। यही वजह है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के लोगों को वीज़ा नहीं देता है क्योंकि चीन का तर्क है कि अरुणाचल प्रदेश के निवासी चीन के नागरिक हैं। भारत चीन के इन कदमों का विरोध करता रहा है। कुछ साल पहले चीनी सैनिकों ने बुद्ध की एक प्रतिमा को तबाह कर दिया था। इस प्रतिमा को भारत-चीन सीमा पर मौजूद बुमला नाम की जगह पर बनाया गया था। भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अरुणाचल प्रदेश दौरे का भी चीन ने विरोध किया था। इसके अलावा तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा की भी अरुणाचल यात्रा का चीन ने विरोध किया था। गौरतलब है कि दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान इसे भारत का हिस्सा बताया था।
कश्मीर का मुद्दा- कश्मीर को लेकर चीन का रवैया पाकिस्तान को खुश करने वाला है। चीन ने कई मौकों पर जम्मू-कश्मीर को विवादित इलाका बताकर भारत से खटास बढ़ाई है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को वीज़ा जारी करते समय चीन वीजा को पासपोर्ट के साथ चिपकाने की बजाय नत्थी कर देता है। भारत नत्थी किए गए वीजा को मान्यता नहीं देता है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के निवासी चीन की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं। अपने इस कदम के पीछे चीन का तर्क है कि जम्मू-कश्मीर एक विवादित इलाका है।
लोन में अड़ंगा- चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद को तीसरे मंच पर उठाने की कोशिश के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के सामने यह मुद्दा उठाया था। भारत ने 88 अरब रुपये के लोन के लिए आवेदन किया था, जिसका इस्तेमाल अरुणाचल प्रदेश में पीने के पानी के इंतजाम के लिए करना था। चीन का तर्क था कि चूंकि अरुणाचल प्रदेश एक विवादास्पद क्षेत्र है इसलिए यहां किसी योजना के लिए लोन नहीं दिया जाना चाहिए।
सिक्किम- चीन 2005 तक सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने को तैयार नहीं था। चीन सिक्किम को एक स्वतंत्र देश मानता था। लेकिन 2005 में चीन ने सिक्किम को भारत का हिस्सा मान लिया। लेकिन बावजूद इस मान्यता के चीन सिक्किम में सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा)का उल्लंघन करता रहा है। 2008 में सिक्किम के उत्तरी हिस्से में चीन की सेना ने घुसपैठ को अंजाम दिया, जिसका भारत ने जोरदार विरोध किया था।
कहां खड़े हैं भारत और चीन?
भारत और चीन के बीच करीब 40 वर्षों से पैदा हुआ तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। चीन किसी न किसी बहाने बार-बार पड़ोसी देश को धमकाता रहता है। वह पड़ोसी देश पाकिस्तान को मदद कर भारत के खिलाफ साजिश रचने की कोशिशें करता रहता है। दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक है। लेकिन अधिकतर मोर्चों पर भारत के मुकाबले चीन कहीं अधिक शक्तिशाली दिखाई पड़ता है।
1.रक्षा: चीन का मौजूदा रक्षा बजट 78 बिलियन डॉलर का है जबकि भारत सरकार इस मद में 29.46 बिलियन डॉलर ही खर्च करती है। चीन के पास करीब 11 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल है जबकि भारत अभी तक तीन हजार किलोमीटर की मारक क्षमता का मिसाइल ही विकसित कर सका है। चीन के पास 7,555,000 सैन्य बल हैं जबकि भारत के पास करीब आधे 3,773,300 सैनिक हैं।
2.अर्थव्यवस्था: अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी चीन भारत से आगे है। एक्सचेंज रेट के लिहाज से भारत दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जबकि चीन का इस मामले में तीसरा स्थान है। भारत की 1.209 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के मुकाबले चीन की औसत जीडीपी करीब 7.8 ट्रिलियन डॉलर है। प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में भी चीन (6100 डॉलर) भारत (1016 डॉलर) से काफी आगे है। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7 प्रतिशत है जबकि चीन की 9.1 है। मुद्रास्फीति के लिहाज से भी चीन (-1.2%) भारत (7.8%) से बेहतर स्थिति में है। चीन में बेरोजगारी की दर 4.3% है जबकि भारत में यह 6.8 % है।
3.बुनियादी ढांचा: दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद चीन का बुनियादी ढांचा भारत से बेहतर है। चीन में स्वास्थ्य सेवाओं पर 258 बिलियन डॉलर खर्च हो रहा है जबकि भारत में इस मद में 77.3 बिलियन डॉलर ही खर्च किया जाता है। चीन में प्रति व्यक्ति डॉक्टरों की संख्या 1.7 है जबकि भारत में यह महज 0.6 है। शिक्षा पर खर्च करने के मामले में भी चीन भारत से आगे है। चीन में शिक्षा बजट 8.11 बिलियन डॉलर का है जबकि भारत में इस मद में 189 मिलियन डॉलर ही खर्च किया जाता (Contents Ref: Dainik Bhaskar)
चीन की बढ़ती ताकत और के मद्देनजर पाकिस्तान में भारत-चीन संबंध को अलग नजरिए से देखा जाने लगा है। इसमें 2017 तक भारत-चीन युद्ध की आशंका तक जताई जा रही है।
पाकिस्तान इन दिनों चीन से संबंध सुधारने में लगा है और भारत के साथ चीन के रिश्ते लगातार नरम-गरम रहे हैं। हाल ही में चीन ने जम्मू-कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हुए वहां की कमान संभाल रहे वरिष्ठ सैन्य अफसर को वीजा तक देने से इनकार कर दिया है। इन परिस्थितियों के बीच पाकिस्तान में भारत-चीन युद्ध की अटकलों को लेकर प्रोपैगंडा चलाया जा रहा है। आधिकारिक रूप से तो इस बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, लेकिन मीडिया के जरिए यह प्रोपैगंडा चलाया जा रहा है।पाकिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट डॉन के मुताबिक दुनिया की दो बड़ी ताकतों (भारत और चीन) के बीच टकराव तय है। तर्क है कि भारत और चीन में शांतिपूर्वक विकास के लिए विकल्प कम होते जा रहे हैं। भारत और चीन सभी स्तरों पर स्पर्धा कर रहे हैं, फिर चाहे वह आर्थिक मोर्चा हो या फिर क्षेत्रीय वर्चस्व की बात हो। यही होड़ खतरनाक नतीजे दे सकती है। हालांकि, करीब साल भर पहले भारतीय मीडिया में भी इससे मिलती-जुलती खबर आई थी। इसके मुताबिक, भारतीय सेना की खुफिया कवायद जिसे 'डिवाइन मैट्रिक्स' का नाम दिया गया है, में चीन के साथ युद्ध का अनुमान लगाया गया है। भारतीय सेना के अफसर के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि दक्षिण एशिया में एक मात्र ताकत के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए चीन, भारत पर हमला कर सकता है। भारतीय सेना के द्वारा किए गए आकलन में कहा गया है कि चीन इनफर्मेशन वारफेयर (आईडब्लू) के सहारे भारत को हराने की फिराक में है।
2009 में पेंटागन की ओर से जारी रिपोर्ट में भी कहा गया था कि चीन ऐसे उपकरणों और हथियारों को विकसित कर रहा है जो दक्षिण एशिया में मौजूद किसी भी देश की नौसेना और वायुसेना को बौना साबित कर देंगे। पेंटागन को आशंका है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ जाएगा।
भारत और अमेरिका के हाल के सालों में बढ़ती नजदीकी से भी चीन चिंतित है। खास तौर से अमेरिका और भारत के बीच हुए परमाणु करार ने चीन को खासा परेशान किया है। वहीं, चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती दोस्ती से भारत चिंतित है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 1962 में सीमा विवाद को लेकर एक युद्ध हुआ था, जिसमें चीन को जीत मिली थी। पेंटागन ने हाल में भी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक चीन पड़ोसी भारत से लगी सीमा पर मिसाइलें तैनात कर रहा है और अपनी वायुसेना को बहुत कम समय में भारतीय सीमा पर सक्रिय करने की तैयारी कर चुका है।
वहीं, चीन भारत के साथ युद्ध की आशंका को नकारता रहा है। चीन के जानकारों के मुताबिक चीन विकास के जिस दौर में पहुंच चुका है, वहां भारत से लड़ाई करने जैसा बेकार, महंगा और क्षेत्र की भू-राजनैतिक तस्वीर बदलने वाला कदम वह नहीं उठाएगा। चीन के जानकारों का मानना है कि भारत से युद्ध का चीन को बहुत ज़्यादा फायदा नहीं होने वाला है।
भारत को उकसाता रहा है चीन
चीन से भारत का संबंध अच्छा नहीं रहा है। यही वजह है कि भारत को लगातार उकसाता रहा है। दोनों देशों के बीच 1962 से चली आ रही खटास हाल ही में विकसित हो रहे अच्छे व्यापारिक रिश्तों के बावजूद कम नहीं हो रही है। चीन भारत को उकसाने के लिए कोई न कोई हरकत करता रहा है। ऐसे ही कुछ मुद्दों पर एक नज़र:
भारत की सीमा में लिख दिया 'चीन'- भारत- चीन सीमा की वास्तविक नियंत्रण रेखा में 2008 में 270 बार चीनी घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। 2009 में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ीं। 2008 के पहले छह महीने में चीन ने सिक्किम में कुल 71 बार भारतीय इलाके में चीन ने घुसपैठ की। जून, 2008 में चीन के सैनिक वाहनों के काफ़िले भारतीय सीमा से एक किलोमीटर भीतर तक आ गए। इसके एक महीने पहले चीनी सैनिकों ने इसी इलाके में स्थित कुछ पत्थर के ढांचे तोड़ने की धमकी भी दी, जिस धमकी को बाद में चीनी अधिकारियों ने दोहराया भी था।
सितंबर 2008 में लद्दाख में सीमा पर स्थित पांगोंग त्सो झील पर चीनी सैनिकों का मोटर बोट से भारतीय सीमा में अतिक्रमण नियमित रूप से चल रहा है और आज तक जारी भी है। 135 किमी लंबी इस झील का दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है और शेष एक तिहाई भारत के पास है। कारगिल युद्ध के दौरान चीन ने इस झील के साथ-साथ पांच किमी का एक पक्का रास्ता बना लिया है, जो झील के दक्षिणी छोर तक है। यह इलाका जो भारतीय सीमा के भीतर आता है।
जून 2009 में जम्मू- कश्मीर में मौजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित देमचोक (लद्दाख क्षेत्र) में दो चीनी सैनिक हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा में नीचे उड़ते हुए घुसे। इन हेलीकॉप्टरों से डिब्बाबंद भोजन गिराए गए। जुलाई, 2009 में हिमाचल प्रदेश के स्पीती, जम्मू -कश्मीर के लद्दाख और तिब्बत के त्रिसंगम में स्थित ‘माउंट ग्या’ के पास चीनी फ़ौज सीमा से करीब 1.5 किलोमीटर भीतर आ गई। इन चीनी सैनिकों ने पत्थरों पर लाल रंग से 'चीन' लिखा। 31 जुलाई 2009 को भारत के सीमा गश्ती दल ने ‘ज़ुलुंग ला र्दे’ के पास लाल रंग में चीन-चीन के निशान भी लिखे देखे। सितंबर, 2009 में उत्तराखंड मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने केंद्र सरकार को चमोली जिले के रिमखिम इलाके के स्थानीय लोगों से मिली चीनी घुसपैठ की जानकारी दी। इस जानकारी के अनुसार पांच सितंबर, 2009 को चीनी सैनिक भारतीय सीमा के भीतर दाखिल हुए।
अरुणाचल प्रदेश- अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन लगातार बयानबाजी करता रहा है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके को ‘दक्षिण तिब्बत’ का नाम दिया है। इसके अलावा वह अरुणाचल प्रदेश को चीन के नक्शे पर दिखाता है। चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। यही वजह है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के लोगों को वीज़ा नहीं देता है क्योंकि चीन का तर्क है कि अरुणाचल प्रदेश के निवासी चीन के नागरिक हैं। भारत चीन के इन कदमों का विरोध करता रहा है। कुछ साल पहले चीनी सैनिकों ने बुद्ध की एक प्रतिमा को तबाह कर दिया था। इस प्रतिमा को भारत-चीन सीमा पर मौजूद बुमला नाम की जगह पर बनाया गया था। भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अरुणाचल प्रदेश दौरे का भी चीन ने विरोध किया था। इसके अलावा तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा की भी अरुणाचल यात्रा का चीन ने विरोध किया था। गौरतलब है कि दलाई लामा ने अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान इसे भारत का हिस्सा बताया था।
कश्मीर का मुद्दा- कश्मीर को लेकर चीन का रवैया पाकिस्तान को खुश करने वाला है। चीन ने कई मौकों पर जम्मू-कश्मीर को विवादित इलाका बताकर भारत से खटास बढ़ाई है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को वीज़ा जारी करते समय चीन वीजा को पासपोर्ट के साथ चिपकाने की बजाय नत्थी कर देता है। भारत नत्थी किए गए वीजा को मान्यता नहीं देता है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के निवासी चीन की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं। अपने इस कदम के पीछे चीन का तर्क है कि जम्मू-कश्मीर एक विवादित इलाका है।
लोन में अड़ंगा- चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद को तीसरे मंच पर उठाने की कोशिश के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के सामने यह मुद्दा उठाया था। भारत ने 88 अरब रुपये के लोन के लिए आवेदन किया था, जिसका इस्तेमाल अरुणाचल प्रदेश में पीने के पानी के इंतजाम के लिए करना था। चीन का तर्क था कि चूंकि अरुणाचल प्रदेश एक विवादास्पद क्षेत्र है इसलिए यहां किसी योजना के लिए लोन नहीं दिया जाना चाहिए।
सिक्किम- चीन 2005 तक सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने को तैयार नहीं था। चीन सिक्किम को एक स्वतंत्र देश मानता था। लेकिन 2005 में चीन ने सिक्किम को भारत का हिस्सा मान लिया। लेकिन बावजूद इस मान्यता के चीन सिक्किम में सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा)का उल्लंघन करता रहा है। 2008 में सिक्किम के उत्तरी हिस्से में चीन की सेना ने घुसपैठ को अंजाम दिया, जिसका भारत ने जोरदार विरोध किया था।
कहां खड़े हैं भारत और चीन?
भारत और चीन के बीच करीब 40 वर्षों से पैदा हुआ तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। चीन किसी न किसी बहाने बार-बार पड़ोसी देश को धमकाता रहता है। वह पड़ोसी देश पाकिस्तान को मदद कर भारत के खिलाफ साजिश रचने की कोशिशें करता रहता है। दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक है। लेकिन अधिकतर मोर्चों पर भारत के मुकाबले चीन कहीं अधिक शक्तिशाली दिखाई पड़ता है।
1.रक्षा: चीन का मौजूदा रक्षा बजट 78 बिलियन डॉलर का है जबकि भारत सरकार इस मद में 29.46 बिलियन डॉलर ही खर्च करती है। चीन के पास करीब 11 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल है जबकि भारत अभी तक तीन हजार किलोमीटर की मारक क्षमता का मिसाइल ही विकसित कर सका है। चीन के पास 7,555,000 सैन्य बल हैं जबकि भारत के पास करीब आधे 3,773,300 सैनिक हैं।
2.अर्थव्यवस्था: अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी चीन भारत से आगे है। एक्सचेंज रेट के लिहाज से भारत दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जबकि चीन का इस मामले में तीसरा स्थान है। भारत की 1.209 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के मुकाबले चीन की औसत जीडीपी करीब 7.8 ट्रिलियन डॉलर है। प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में भी चीन (6100 डॉलर) भारत (1016 डॉलर) से काफी आगे है। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7 प्रतिशत है जबकि चीन की 9.1 है। मुद्रास्फीति के लिहाज से भी चीन (-1.2%) भारत (7.8%) से बेहतर स्थिति में है। चीन में बेरोजगारी की दर 4.3% है जबकि भारत में यह 6.8 % है।
3.बुनियादी ढांचा: दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद चीन का बुनियादी ढांचा भारत से बेहतर है। चीन में स्वास्थ्य सेवाओं पर 258 बिलियन डॉलर खर्च हो रहा है जबकि भारत में इस मद में 77.3 बिलियन डॉलर ही खर्च किया जाता है। चीन में प्रति व्यक्ति डॉक्टरों की संख्या 1.7 है जबकि भारत में यह महज 0.6 है। शिक्षा पर खर्च करने के मामले में भी चीन भारत से आगे है। चीन में शिक्षा बजट 8.11 बिलियन डॉलर का है जबकि भारत में इस मद में 189 मिलियन डॉलर ही खर्च किया जाता (Contents Ref: Dainik Bhaskar)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें