वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ फ़िर उजागर
वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ फ़िर उजागर…:- सात में से पाँच वोट हमेशा कांग्रेस को
महाराष्ट्र के अर्धापुर नगर पंचायत चुनाव हेतु निर्वाचन अधिकारी द्वारा सभी राजनैतिक दलों को चुनाव प्रक्रिया एवं मतदान पद्धति तथा मशीनों को चेक करने हेतु एक प्रदर्शन (Demonstration) रखा गया था। इसमें जिस इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन पर सभी उम्मीदवारों को प्रक्रिया समझाई जानी थी, उसके प्रदर्शन के दौरान सात वोट डाले गये जिसमें से पाँच कांग्रेस के खाते में गये। ऐसा दो-दो बार और हुआ, इसके पश्चात वहाँ उपस्थित सभी राजनैतिक दल हैरान रह गये (कांग्रेस के अलावा)। निर्वाचन अधिकारी डॉ निशिकान्त देशपाण्डे ने "शायद मशीन खराब है…" कहकर मामला रफ़ा-दफ़ा कर दिया और अगली तारीख पर दोबारा प्रदर्शन करने हेतु बुला लिया।
मशीनों के निरीक्षण के दौरान सात अलग-अलग बटनों को दबाया गया था, लेकिन गणना में पाँच मत कांग्रेस के खाते में दर्शाए गये। शिवसेना के निशान धनुषबाण का बटन दबाने पर वह वोट भी कांग्रेस के खाते में ही जा रहा था…। पिछले विधानसभा चुनाव में डॉ निशिकान्त देशपांडे ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के निर्वाचन क्षेत्र में अधिकारी थे, उस समय भी शिवसेना-भाजपा ने चुनाव में गड़बड़ियों की शिकायत मुख्य निर्वाचन अधिकारी से की थी, जिसका निराकरण पाँच साल होने के बाद भी नहीं हुआ है। शिवसेना ने इस समूचे प्रकरण की उच्चस्तरीय जाँच करवाने हेतु राष्ट्रपति को पत्र लिखा है, एवं आगामी विधानसभा चुनावों में उपयोग की जाने वाली सभी EVM की जाँच की माँग की है…।
उल्लेखनीय है कि डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी एवं एस कल्याणरमन ने इस विषय पर एक पुस्तक भी लिखी है, जिसमें वोटिंग मशीनों की हैकिंग के तरीके, भारतीय वोटिंग मशीनों की गड़बड़ियों तथा विदेशों में इन मशीनों के हैक होने के विभिन्न प्रकरणों तथा कई प्रमुख देशों द्वारा इन मशीनों को ठुकराये जाने अथवा प्रत्येक मतदाता को उसकी वोटिंग के पश्चात "सही रसीद" देने का प्रावधान किया गया है…(Book :- Electronic Voting Machines - Unconstitutional and Tamperable... ISBN 978-81-7094-798-1)
पिछले आम चुनाव में शिवगंगा लोकसभा सीट से पी चिदम्बरम का निर्वाचन भी अभी तक संदेह के घेरे में है, उस चुनाव में भी पी चिदम्बरम पहली मतगणना में 300 वोटों से हार गये थे, दूसरी बार मतगणना में भी यह अन्तर बरकरार रहा (विभिन्न न्यूज़ चैनलों ने इसकी खबर भी प्रसारित कर दी थी), परन्तु चिदम्बरम द्वारा तीसरी बार मतगणना की अपील किये जाने पर "आश्चर्यजनक रूप से" चिदम्बरम 3354 वोटों से विजयी घोषित हुए थे। विपक्षी उम्मीदवार ने जो शिकायत की थी, उसका निराकरण भी पिछले 3 साल में नहीं हो सका…।
अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस द्वारा आगामी 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों तथा 2014 के लोकसभा चुनावों में मतदाता को वोट डालते ही तत्काल एक पर्ची प्रिण्ट-आउट का प्रावधान किया जाए, ताकि मतदाता आश्वस्त हो सके कि उसने जिसे वोट दिया है, वह वोट उसी उम्मीदवार के खाते में गया है। हाल-फ़िलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं होने से इन मशीनों को हैक करके इसमें कुल वोटिंग प्रतिशत का 70-30 या 80-20 अनुपात में परिणाम कांग्रेस के पक्ष में किया जा सकता है (बल्कि आशंका यह भी है कि चुनिंदा लोकसभा क्षेत्रों में पिछले लोकसभा चुनाव में शायद ऐसा ही किया गया हो, परन्तु यह कार्य इतनी सफ़ाई और गणित लगाकर किया गया होगा ताकि किसी को शक न हो…)। परन्तु इस धोखाधड़ी का इलाज मतदाता को वोट की रसीद का प्रिण्ट आउट देकर किया जा सकता है…।
डॉ स्वामी इस सम्बन्ध में पहले ही माँग कर चुके हैं, चुप्पी भरा आश्चर्यजनक रवैया तो भाजपा का है, जो इस मुद्दे को ठीक से नहीं उठा रही…।
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