शनिवार, जनवरी 07, 2012

श्री रामसेतु ध्वस्त प्रोजेक्ट के पीछे की भयानक गहराई (तुस्टीकरण मूल हेतु नहीं वो तो सिर्फ आड़पेदाश है ) - राज बुरानपुरी.

श्री रामसेतु ध्वस्त प्रोजेक्ट के पीछे की भयानक गहराई (तुस्टीकरण मूल हेतु नहीं वो तो सिर्फ आड़पेदाश है ) - राज बुरानपुरी.

by Raj Buranpuri on Saturday, January 7

श्री रामसेतु ध्वस्त प्रोजेक्ट के पीछे छुपी भयानक गहराई (तुस्टीकरण मूल हेतु नहीं वो तो सिर्फ आड़पेदाश है ) - राज बुरानपुरी.

क्या आप जानते है रामसेतु तोड़ने के इरादों के पीछे सिर्फ तुस्टीकरण नहीं था जी हा पर उसका साइड एफ्फेक्ट जरुर था वो भी मुफ्त में.. हकीकत क्या है इसके पीछे आइये जाननेकी कोशिश करे : पूरा विश्व आज उर्जा की बढती मांग की मार जेल रहा है ,एसेमें वाजपयी सरकारने दो बोम्ब ब्लास्ट किये और जवाब में अमेरिका ने हमारी कंपनियो के उनके बाज़ार में एक्सपोर्ट पर पाबंधी लगादी रेडियो एक्टिव युरेनियम पर तो इंदिरा सरकार के समय से पाबंधी थी. फिर अचानक अमेरिका इतना दरियादिल केसे हुआ दोस्ती के नामसे की हमारे देश में अणुउर्जा के लिए अग्रीमेंट पेश किया उसके दुसरे हजारो कारन आप जानते होगे पर जो सबसे अहम् है वो है "रामसेतु ", अब आप कहोगे क्या बकवास है रामसेतु बिचमे कहा से आया ??? तो दोस्तों ये १७,५०,००० सालो से भारत श्रीलंका के बिचमे विध्यमान है ही ..! और उर्जा के सन्दर्भ में केसे बिच में आया तो येभी रोचक जानकारी है .अंग्रेजी पार्लमेंट के रिपोर्ट अनुसार सन १४८० के साल में एक भयानक सुनामी आया था जिसमे ये श्री रामसेतु समंदर के निचे चला गया.उसके पहले तक जिसका व्यापारिक उपयोग ३००० साल तक दोनों तरफ के लोगो ने किया भारत से कपडा जाता था और श्रीलंका से काली मिर्च और पत्ता आता था.

अब इन सबके पीछे बात कुछ गहरी है, हमारे विज्ञानी पिछले कई सालो से ये खोजनेमे लगे है की युरेनियम के अतिरिक्त और कोनसा हमारे पास रेडियो एक्टिवे इंधन है जिससे बम्ब और बिजली बना सके.और आप जानते होगे की हमारा जो "एटोमिक एनेर्जी कमिसन" है उसमे ६००० विज्ञानी इसी काम में पिछले चालीस सालो से लगे हुए है ;उन विज्ञानियो को पता चला की भारत में तमिलनाडु के समुद्री प्रदेश में एक एसा रेडियो एक्टिव इंधन है जिससे अगले १५० सालतक लगातार बिजली बनायीं जा सकती है और वो रेडियो एक्टिव इंधन का हम उपयोग करना सुरु कर दे तो किसीभी देश के सामने हाथ फ़ैलाने की जरुरत नहीं है.

हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलामजी एसी सोच रखते थे की अमेरिका से युरेनियम की भीख मांगने से अच्छा है की भारत से उपलब्ध इंधन का उपयोग किया जाये और हमारे पास एसे कुछ एसे रेडियो एक्टिव इंधन है. कम से कम पांच एसे तत्वों का पता चला है और उसमे एक तत्व तो एसा पाया गया है की १५० साल तक लाख मेगावोट बिजली हर घंटे बनायीं जा सकती है ये बात पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलामजीने व्यक्तिगत तौर पर श्री राजीव दीक्षित को दिल्ली में कही थी तो सामने राजीव जी ने अपने स्वभाव के अनुसार कहा की ये बात खुल के जनता में कहेते क्यों नहीं तो जवाब मिला रिटायर होने के बाद कहुगा जब तक सत्ता में हु तबतक नहीं कह सकता क्युकी प्रधानमंत्री नहीं चाहते और उन्होंने रिटायर होने के बाद अपना पहला इंटरव्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिया जिसमे शेखर गुप्ता से ढाई घंटेके इंटरव्यू में कहा हमें अमेरिका से ग्राम भी युरेनियम लेनेकी जरुरत नहीं है अगर हम इंधन बनाये तो अगले १५० साल चल सकता है.

अब अमेरिका की नजर हमारे उस इंधन पर पड़ी है वो चाहता है भारत सरकार उनको हमारा ये इंधन दे और बदलेमे अमेरिकी सरकार उनको थोडा बहोत युरेनियम देगी ये है खेल .अब जानिए इस खेल को पूरा करने के लिए वो इंधन कहा है तो वो वही जगह है जिसे आप श्री रामसेतु कहते है जो साढ़े तिन मिल चौढा और पेंतिश मिल लम्बा है. अब वैज्ञानिको ने जो पता लगाया है की ये जो श्री रामसेतु जहा पर है समुद्र की तलेटी में वही पर सबसे ज्यादा रेडियो एक्टिव इंधन है ,तो अब ये रेडियो एक्टिव इंधन चाहिए किसको ? अमेरिका को.. और ये तभी संभव है जब ये श्री रामसेतु तोडा जाये .और हमारी मनमोहन सरकार इसके लिए बहोत बेताब है इसे तोड़कर बेचने के लिए अब बताईये ये कहना गलत है की मनमोहन अमेरिकी एजेंट है जो हमारी सरकार में बेठा है जबसे इसने वर्ल्ड बैंक में काम किया है और उनके सत्ता में आने की आगाही वर्ल्ड बैंक/आई.ऍम.ऍफ़. ने १ साल पहले की थी.और ये एजेंट चाहता है की वो गद्दी से उतरे उसके पहले ये श्री रामसेतु टूट जाये और तभी वहा से रेडियो एक्टिव मटेरिअल निकलेगा जो इसे अमेरिका भिजवाना है और बदले में अमेरिका थोडा बहोत युरेनियम देगा एसा अग्रीमेंट है .

आपको शायद मालूम होगा की जो धनुषकोटि एरिया है वहा पर सात प्रकार के रेडियो एक्टिव तत्व है एसा विज्ञानियों का कहना है जो १५० साल तक निकले जाने पर भी ख़तम होने वाला नहीं है. अब इसको लुंटनेमें मनमोहन सिंह को एक सहयोगी मिल गया जिसका नाम है "करुनानिधि" जिन्होंने राम के होने होने और राम कोनसी इंजीनियरिंग कॉलेज में गए थे जेसी बकवास करते रहते थे घौर कीजियेगा ये सिर्फ हमारे देश में ही संभव है जहा के हिन्दुओ का खून पानी है .

अब पूरा खेल यह है की साढ़े सत्रह लाख साल पुराना यह रामसेतु पुल तोड़ कर रडियो एक्टिव इंधन अमेरिका को बेचा जाये और इसके लिए कंपनी भी बनायीं गयी है जिसमे पार्टनर है करूणानिधि और टी.आर.बालू. टी.आर.बालू जो उस वक्त शिपिंग मिनिस्टर(२००४-२००९) थे. तो जब इनकी ये कंपनी कहती है पुल तोड़ कर जो कचरा निकलेगा उसको इकठ्ठा कर कर कही कही भेज देंगे तो आपको जूठ बताया जाता है की ये कचरा है ये रेडियो एक्टिव मटेरिअल को कचरा बता कर भेजना नहीं बेचना चाहते है और इसका सौदा ये सब मिलके खाना चाहते है .अब ये खेल को हम हिन्दुस्तानी समज जाये और कभी श्री रामसेतु टूटने न दिया जाये. क्या रामसेतु,हर रोज होने वाले स्कैम ,और हमसे, इस देश से ताल्लुक रखने वाली हर बात का जिम्मा सिर्फ माननीय सुब्रमण्यम स्वामी पर है ?? और कुछ नहीं तो उनको खुल्ला सहयोग तो देहि सकते हो !! - by Raj Buranpuri.

-----------------------------------------------------------------------------------------------------

FYI : The sea separating India and Sri Lanka is called Sethusamudram meaning "Sea of the Bridge". Maps prepared by a Dutch cartographer in 1747, available at the Tanjore Saraswathi Mahal Library show this area as Ramancoil, a colloquial form of the Tamil Raman Kovil (or Rama's Temple).[9] Another map of Mughal India prepared by J. Rennel in 1788 retrieved from the same library called this area as "the area of the Rama Temple", referring to the temple dedicated to Lord Rama at Rameswaram. Many other maps in Schwartzberg's historical atlas and other sources such as travel texts by Marco Polo call this area by various names such as Sethubandha and Sethubandha Rameswaram.

The western world first encountered it in "historical works in the 9th century" by Ibn Khordadbeh in his Book of Roads and Kingdoms (ca. 850 CE), referring to it is Set Bandhai or "Bridge of the Sea". Later, Alberuni described it. The earliest map that calls this area by the name Adam's bridge was prepared by a British cartographer in 1804.

Geological Survey of India (GSI) carried out a special programme called “Project Rameswaram” that concluded that age data of corals indicate that the Rameswaram island has evolved since 125,000 years ago.

The government of India constituted nine committees before independence, and five committees since then to suggest alignments for a Sethusamudram canal project. Most of them suggested land-based passages across Rameswaram island and none suggested alignment across Adam's bridge. The Sethusamudram project committee in 1956 also strongly recommended to the Union government to use land passages instead of cutting Adam's bridge because of the several advantages of land passage.

Here i quote translation of one chant :

"Then the gods, Gandharvas, Siddhas (living beings superior to humans) and supreme Rishis (great sages) assembled in the sky, eager to see that masterpiece, and the gods and Gandharvas gazed on that causeway, so difficult of construction, that was ten leagues* in width and a hundred in length built by Nala.

*leagues = An obsolete unit of distance of variable length (usually 3 miles) !!

Questions to Government

  1. Why was the route of Metro passing 'close' Qutub Minar in New Delhi was abandoned and later reworked fearing prospective damages to this 815 years man made monument?
  2. Why the project of Taj corridor (which would have made lot of dollars to our money minded govt) was put off after the hue and cry of environmentalists as the construction near Taj 'may' cause bad effect on this 359 years old man made monument. Please give attention here that these monuments were not going to be destroyed but were 'feared' to get damaged.
  3. Will any government in China would destroy or even alter The great wall of China(2695 years old) for the sake of any amount of money?
  4. Will any one allow pulling down 4507 years old Pyramids of Egypt in lieu of any uncountable amount of money?

If the answer is NO, then why this 17,25,000 years old man made monument is being destroyed for the sake of some coins?

Ram Setu (Sethu) Destruction Status {this destruction info. from Official Setusamudram Project Government Website}

Date Destruction Status

Sept 17, 2007 24.76%

Sept 11, 2007 24.47%

Sept 5, 2007 23.65%

Aug 31, 2007 23.11%

Aug 27, 2007 22.53%

Aug 2, 2007 19.46%

July 28, 2007 17.57%

- by राज बुरानपुरी(Raj Buranpuri).


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें