कभी आधी रात को सोते हुये बाबा रामदेव के भक्तों, समर्थकों को पुलिस
द्वारा लाठियों से पीटा जाना, उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ना तो कभी
साध्वी प्रज्ञा के साथ बेहद अमानवीय अत्याचार करना हमारे सुरक्षा
एजेंसियों एटीएस, सीबीआई, एनआईए का वास्तविक चरित्र बन गया है। जबकि दूसरी
ओर सैकड़ों बेगुनाहों के साथ खून की होली खेलने वाले कसाब को सोनिया और
राहुल के ईशारे पर बिरियानी खिला-खिला कर हमारी सुरक्षा एजेंसियां उसे खूब
मोटा कर रहे हैं। संसद हमले के दोषी अफजल की फाइल गृहमंत्रालय की ही खाक
छान रही है। और अब असीमानंद के साथ भारत की सुरक्षा एजेंशियां जो अत्यंत
घिनौनी हरकत कर रही हैं उससे किसी भी देशभक्त का मस्तक लज्जा से अवश्य
नीचे हो जायेगा। हिन्दुओं व हिन्दू संतों के उपर आये इस संकट से चिंतित
हिन्दू महासभा के हिंदूवादी नेता डॉ. संतोष राय ने राष्ट्रपति को पत्र
लिख संत असीमानंद के साथ न्याय की गुहार की है। उनके द्वारा 1 दिसंबर,
2011 को राष्ट्रपति को लिखे गये पत्र का संक्षिप्त अंश इस प्रकार है:
डॉ. संतोष राय ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि महोदया जैसा कि विभिन्न समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि स्वामी असीमानंद को ब्लैक बोर्ड पर सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी अपनी कहानी लिखते थे और उन्हें उस कहानी को याद कर कोर्ट में यही सब बोलने के लिए कहा जाता था। इसके साथ ही उन्हें धमकी दी जाती थी कि अगर ऐसा नहीं किया, तो जान से मार देंगे। उनके परिवार को भी मारने की बात कही जाती थी। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी कहा गया कि अगर बयान - सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी(एनआईए) मुताबिक नहीं दिए, तो उनके मां के सामने ही कपड़े उतारे जाएंगे। क्या हिन्दू होने के नाते हमारी सुरक्षा एजेंसियां मानवता की सारी सीमायें लांघ गई हैं।
आखिरकार असीमानंद ने यह राज बता ही दिया कि सुरक्षा एजेंसियों की इस प्रताड़ना की वजह से ही उन्होंने बयान दिए। यह सब बातें समझौता व अन्य ब्लॉस्ट में आरोपी स्वामी असीमानंद ने अपने पत्र में लिखी हैं और यह पत्र भारत की राष्ट्रपति, गृह मंत्री, ह्यूमन राइट्स, केबिनेट सेक्रेटरी, सुप्रीम कोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, जयपुर हाई कोर्ट, हैदराबाद हाईकोर्ट, मुंबई हाई कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा है। यदि उनके साथ यह अमानवीय अत्याचार नही होता तो उन्हें पत्र लिखने की आवश्यकता नही थी।
असीमानंद ने पत्र में लगाते हुये आगे लिखा है कि अधिकारियों की इन हरकतों की वजह से उन्हें अपने हिन्दू होने पर शर्म आ रही है। उन्हें जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और स्वयं असीमानंद हिन्दू और उनका कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्वामी असीमानंद ने यह पत्र उस बात से बहुत परेशान होकर लिखा है कि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई, उनके साथ हिन्दू होने के कारण अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। अब चूंकि अब स्पष्टत: इस देश को यह ज्ञात हो गया है कि देश के शीर्ष सत्ता प्रतिष्ठान पर बैठे लोग मक्का और वेटिकन के ईशारे पर इस देश को या तो दारूल इस्लाम बना देना चाहते हैं या फिर जेहावा का ईसाई स्थल बना देना चाहते हैं।
जब बम विस्फोट में लश्कर ए तैयबा का हाथ था तो असीमानंद को क्यों फंसाया गया
डॉ. राय ने आगे राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा है कि स्वामी असीमानंद ने अपने पत्र में लिखा है कि समझौता ब्लॉस्ट की जिम्मेदारी सर्वप्रथम लश्कर ए तैयबा ने ली थी। जिसके तीन आतंकवादी पकड़े भी गए थे और उन्होंने कबूल किया था कि समझौता ब्लॉस्ट उन्हीं की देन है और पैसा दाउद इब्राहिम ने दिया था। इन तीनों आरोपियों का नारको परीक्षण भी हो चुका है। जब वे ये बात स्वीकार चुके थे, तो असीमानंद को क्यों इस मामले में बलपूर्वक क्यों फंसाया गया।
असीमानंद का मानवाधिकार क्यों नहीं
असीमानंद को जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और असीमानंद हिन्दू हैं और इसलिये असीमानंद का कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्वामी असीमानंद को एनआईए जानबूझकर फंसाना चाहती है।
जैसा कि स्वामी असीमानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि एनआईए जानबूझ कर नमूनों के मिलान के बहाने उन्हें फंसाना चाहती है। अदालत ने मामले पर एक दिसंबर के लिए सुनवाई तय की है। समझौता एक्सप्रेस में धमाका 18 सितंबर की देर रात व 19 सितंबर 2007 की सुबह किया गया था।इसमें 68 लोग मरे थे जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एनएआई ने विस्फोटकों की सील खोल इनकी जांच करने की मांग की थी जिसे पंचकूला की स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ स्वामी ने हाईकोर्ट से प्रार्थना देकर इसे खारिज करने की मांग की। कहा गया कि जांच का आदेश दिया गया तो उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा। जैसा कि अभी तक ऐसा ही होता आया है।महामहिम आपसे नम्र निवेदन है कि निष्पक्ष जांच हेतु उच्चतम न्यायालय एव उच्च न्यायालय के निवृत्त न्यायधीशों के द्वारा एक समिति गठित कर त्वरित न्याय हेतु निर्देशित करें।
संपर्क
डॉ. संतोष राय
अध्यक्ष- स्वागत समिति
अखिल भारत हिन्दू महासभा
एफ-67, द्वितीय तल,
भगत सिंह मार्केट,
नई दिल्ली- 110001
मोबाईल. +91 - 9999 500 398
दूर ध्वनि. +91 - 11 - 32928342
फैक्स. +91 - 11 - 47340165
त्वरित डॉक - info@hindumahasabha.net, hindumahasabha@ymail.com, abhindumahasabha@gmail.com, webhindumahasabha@gmail.com
http://www.hindimedia.in/2/index.php/patrika/1042-dr-roy-wrote-a-letter-to-the-president-on-hindu-human-rights-abuses.html
डॉ. संतोष राय ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि महोदया जैसा कि विभिन्न समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि स्वामी असीमानंद को ब्लैक बोर्ड पर सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी अपनी कहानी लिखते थे और उन्हें उस कहानी को याद कर कोर्ट में यही सब बोलने के लिए कहा जाता था। इसके साथ ही उन्हें धमकी दी जाती थी कि अगर ऐसा नहीं किया, तो जान से मार देंगे। उनके परिवार को भी मारने की बात कही जाती थी। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी कहा गया कि अगर बयान - सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी(एनआईए) मुताबिक नहीं दिए, तो उनके मां के सामने ही कपड़े उतारे जाएंगे। क्या हिन्दू होने के नाते हमारी सुरक्षा एजेंसियां मानवता की सारी सीमायें लांघ गई हैं।
आखिरकार असीमानंद ने यह राज बता ही दिया कि सुरक्षा एजेंसियों की इस प्रताड़ना की वजह से ही उन्होंने बयान दिए। यह सब बातें समझौता व अन्य ब्लॉस्ट में आरोपी स्वामी असीमानंद ने अपने पत्र में लिखी हैं और यह पत्र भारत की राष्ट्रपति, गृह मंत्री, ह्यूमन राइट्स, केबिनेट सेक्रेटरी, सुप्रीम कोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, जयपुर हाई कोर्ट, हैदराबाद हाईकोर्ट, मुंबई हाई कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा है। यदि उनके साथ यह अमानवीय अत्याचार नही होता तो उन्हें पत्र लिखने की आवश्यकता नही थी।
असीमानंद ने पत्र में लगाते हुये आगे लिखा है कि अधिकारियों की इन हरकतों की वजह से उन्हें अपने हिन्दू होने पर शर्म आ रही है। उन्हें जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और स्वयं असीमानंद हिन्दू और उनका कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्वामी असीमानंद ने यह पत्र उस बात से बहुत परेशान होकर लिखा है कि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई, उनके साथ हिन्दू होने के कारण अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। अब चूंकि अब स्पष्टत: इस देश को यह ज्ञात हो गया है कि देश के शीर्ष सत्ता प्रतिष्ठान पर बैठे लोग मक्का और वेटिकन के ईशारे पर इस देश को या तो दारूल इस्लाम बना देना चाहते हैं या फिर जेहावा का ईसाई स्थल बना देना चाहते हैं।
जब बम विस्फोट में लश्कर ए तैयबा का हाथ था तो असीमानंद को क्यों फंसाया गया
डॉ. राय ने आगे राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा है कि स्वामी असीमानंद ने अपने पत्र में लिखा है कि समझौता ब्लॉस्ट की जिम्मेदारी सर्वप्रथम लश्कर ए तैयबा ने ली थी। जिसके तीन आतंकवादी पकड़े भी गए थे और उन्होंने कबूल किया था कि समझौता ब्लॉस्ट उन्हीं की देन है और पैसा दाउद इब्राहिम ने दिया था। इन तीनों आरोपियों का नारको परीक्षण भी हो चुका है। जब वे ये बात स्वीकार चुके थे, तो असीमानंद को क्यों इस मामले में बलपूर्वक क्यों फंसाया गया।
असीमानंद का मानवाधिकार क्यों नहीं
असीमानंद को जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और असीमानंद हिन्दू हैं और इसलिये असीमानंद का कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्वामी असीमानंद को एनआईए जानबूझकर फंसाना चाहती है।
जैसा कि स्वामी असीमानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि एनआईए जानबूझ कर नमूनों के मिलान के बहाने उन्हें फंसाना चाहती है। अदालत ने मामले पर एक दिसंबर के लिए सुनवाई तय की है। समझौता एक्सप्रेस में धमाका 18 सितंबर की देर रात व 19 सितंबर 2007 की सुबह किया गया था।इसमें 68 लोग मरे थे जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एनएआई ने विस्फोटकों की सील खोल इनकी जांच करने की मांग की थी जिसे पंचकूला की स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ स्वामी ने हाईकोर्ट से प्रार्थना देकर इसे खारिज करने की मांग की। कहा गया कि जांच का आदेश दिया गया तो उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा। जैसा कि अभी तक ऐसा ही होता आया है।महामहिम आपसे नम्र निवेदन है कि निष्पक्ष जांच हेतु उच्चतम न्यायालय एव उच्च न्यायालय के निवृत्त न्यायधीशों के द्वारा एक समिति गठित कर त्वरित न्याय हेतु निर्देशित करें।
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डॉ. संतोष राय
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दूर ध्वनि. +91 - 11 - 32928342
फैक्स. +91 - 11 - 47340165
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