गुरुवार, जुलाई 05, 2012

किसी के धर्म को लूटने का अधिकार नहीं दे सकता : श्री मोरारजी देसाई

https://fbcdn-sphotos-a.akamaihd.net/hphotos-ak-prn1/534826_219618141484031_1896962193_n.jpg

सन 1979 में संसद सदस्य श्री ओमप्रकाश त्यागी जी ने संसद में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक प्रस्तत किया था जिसके अनुसार छल , छद्म , भय आर प्रलोभन द्वारा किसी का धर्म छीनने को अपराध घोषित करने का प्रावधान था | तब मदर टेरेसा ने तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मोरारजी देसाई को जो पात्र लिखा था वो उनके सेवा कार्यों के ऊपर का लुभावना पर्दा उठाकर वास्तविक भावना को नंगा कर देने वाला है |

यह विधेयक इतना निष्पक्ष और निर्दोष था की किसी भी विवकशील लोकतंत्र प्रेमी को इस विधेयक का विरोध नहीं करना चाहिए था लेकिन केवल विदेशी पादरी , मदर टेरेसा , रांची के फादर बुल्के इत्यादि ही इसका विरोध कर रहे थे |

26 मार्च 1979 को मदर टेरेसा द्वारा श्री मोरारजी देसाई को पात्र लिखा जिसमे उन्होंने लिखा था की " मैं निश्चित ही ईसा के नाम पर सेवा कर रही हं आर ईसा का सन्देश देने ही आई हूँ | लोगों को ईसाई बनाने पर यदि प्रतिबन्ध लगाया जाता है तो हम इसे सहन नहीं करेंगे | हम विद्रोह करेंगे "
उन्होंने देसाई जी पर व्यक्तिगत आक्षेप करते हुए लिखा की " आप बूढ़े हो गए हैं , कुछ वर्षों बाद तुम्हे मरकर पर जाना है फिर तुम्हे इस बात का जवाब देना पड़ेगा की तुमने इसाईयत के प्रसार पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया ?? मदर टेरेसा ने उन्हें नरक में जाने का श्राप भी दिया |
तब मोरारजी देसाई जी ने नके पात्र का जवाब बहुत ही संयम से देते हे कहा की " मैं आपकी सेवा भावना की प्रशंसा करता हं लेकिन उसकी आड़ में किसी के धर्म को लूटने का अधिकार नहीं दे सकता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें